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महाशिवरात्रि 8 मार्च, आइए जानें चार प्रहर की पूजा के विषय में

महाशिवरात्रि 8 मार्च आइए जानें चार प्रहर की पूजा के विषय में 



महाशिवरात्रि का व्रत रखने से अच्छा जीवनसाथी मिलता है, शीघ्र शादी के योग बनते हैं और दांपत्य जीवन में खुशहाली आती है।शिव पुराण के अनुसार चतुर्दशी तिथि शिवलिंग का प्राक्ट्य और विवाहोत्सव के रूप में जानी जाती है, इसलिए ये तिथि शिव की प्रिय है. यही कारण है कि हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है. इस दिन शिव पूजा करने वालों को वैवाहिक जीवन में सुख शांति और विवाह के लिए सुयोग्य जीवनसाथी पाने का वरदान मिलता है। वैसे तो हर महीने मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है महाशिवरात्रि का व्रत अमोघ फल देने वाला माना गया है।

महाशिवरात्रि पर्व भगवान् शिव के दिव्य अवतरण का मंगलसूचक है, भोलेनाथ के निराकार से साकार रूप में अवतरण की रात्रि ही महाशिवरात्रि कहलाती है.

शिवरात्रि के समान पाप और भय मिटाने वाला दूसरा व्रत नही है. इसके करने मात्र से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं.

इस दिन शिव पूजा करने वालों को महादेव काम, क्रोध, लोभ, मोह आदि विकारों से मुक्त करके परम सुख, शांति प्रदान करते हैं.

इस दिन महादेव और माता पार्वती की शादी हुई थी इसलिए इस दिन रात्रि काल में भोलेनाथ की बारात निकाली जाती है और पूजन किया जाता है।

फाल्गुनकृष्णचतुर्दश्यामादिदेवो महानिशि । शिवलिङ्गतयोद्भूतः कोटिसूर्यसमप्रभ

अर्थात:- ईशान संहिता में लिखे इस श्लोक अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन करोड़ो सूर्यों के समान प्रभा वाले लिंगरूप में प्रकट हुए थे. ज्योतिर्लिंग का प्रादुर्भाव होने से यह पर्व महाशिवरात्रि के रुप में मनाया जाता है।

तीन महानिशाओं में अंतिम कही जाने वाली महाशिवरात्रि के चार प्रहर में भगवान शिव का चार विशेष अभिषेक उनकी कृपा पाने का सबसे आसान उपाय है. चार प्रहर की पूजा करने से सभी पापों से मुक्त होकर धर्म, अर्थ काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

चार पहर की पूजा संध्याकाल यानि प्रदोष वेला से शुरू होकर अगले दिन ब्रह्ममुहूर्त तक की जाती है. इस साल महाशिवरात्रि 8 मार्च 2024 को है.चतुर्दशी तिथि 8 मार्च को रात 9 बजकर 58 मिनट पर आरंभ होगी और 9 मार्च को शाम 6 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी. चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्दशी तिथि (महानिशीथकाल रात्रि 9 बजकर 58 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक) में मध्यरात्रि में भगवान शिवजी की पूजा विशेष पुण्य फलदायी होगी।

शिवजी का दूध और जल से अभिषेक करें, उन्हें वस्त्र, चंदन यज्ञोपवीत, आभूषण, सुगन्धित द्रव्य के साथ बेलपत्र, कनेर, धतूरा, मदार, ऋतुपुष्प, नैवेद्य आदि अर्पित करें. धूप-दीप से आरती करें. इसी के साथ पंचाक्षर-मंत्र का जप करें. मंत्र-जप के साथ रूद्राभिषेक, रूद्राष्टाध्यायी तथा रूद्रीपाठ का भी विधान है.


चार प्रहर के विशिष्ट अभिषेक का समय 8 मार्च 2024 को शाम 06 बजकर 25 मिनट से सुबह 06 बजकर 37 मिनट तक रहेगा.


प्रथम प्रहर में भगवान शिव का दूध से अभिषेक करते हुए ऊँ हीं ईशान्य नमः मंत्र का जप करें.

द्वितीय प्रहर में ऊँ हीं अघोराय नमः जपते हुए दही से अभिषेक करें.

तृतीय प्रहर में ऊँ हीं वामदेवाय नमः का जप करते हुए घी से अभिषेक करें.

चतुर्थ प्रहर में शहद से अभिषेक करें और ऊँ हीं सद्योजाताय नमः का जप करें.

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