क्रॉस वोटिंग की खबर हुई सच्ची तो कांग्रेस के लिए अच्छा नहीं - Smachar

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क्रॉस वोटिंग की खबर हुई सच्ची तो कांग्रेस के लिए अच्छा नहीं

क्रॉस वोटिंग की खबर हुई सच्ची तो कांग्रेस के लिए अच्छा नहीं


 

विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की है क्रॉस वोटिंग को लेकर जो खबरें सामने आ रही हैं, अगर सही निकलती हैं तो कांग्रेस के लिए हिमाचल में शुभ संकेत नहीं. अब वोटों की गिनती के बाद जब नतीजे आएंगे, तभी यह साफ हो पाएगा कि वोटों का नंबरगेम किसके पक्ष में जाता है।

हिमाचल प्रदेश की एक राज्यसभा सीट के चुनाव में अब कांग्रेस के भी आधा दर्जन से अधिक विधायकों के क्रॉस वोटिंग करने की खबर है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कांग्रेस के कम से कम नौ विधायकों ने कांग्रेस की ओर से जारी व्हिप से अलग जाकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) उम्मीदवार के पक्ष में मतदान किया है।

कहा यह भी जा रहा है कि कांग्रेस के नौ से अधिक विधायक बीजेपी के पक्ष में क्रॉस वोटिंग कर सकते हैं. राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग के पीछे हिमाचल कांग्रेस की गुटबाजी को मुख्य वजह बताया जा रहा है. दरअसल, हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के दो धड़े हैं. एक धड़ा वीरभद्र सिंह समर्थकों का है जिसे प्रतिभा सिंह लीड करती हैं. दूसरा धड़ा है ऐसे विधायकों और नेताओं का, जो सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के साथ हैं।

कांग्रेस उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी के खिलाफ बीजेपी ने कभी वीरभद्र सिंह के करीबी रहे हर्ष महाजन को उम्मीदवार बनाया है. हर्ष महाजन के कांग्रेस के कई विधायकों के साथ अच्छे संबंधों की चर्चा भी होती रही है. इसे लेकर कांग्रेस सतर्क भी थी. एक दिन पहले ही विधायक दल की बैठक में विधायकों को पार्टी लाइन पर रहकर वोट करने के लिए कहा गया था. कांग्रेस ने व्हिप जारी कर यह भी कहा था कि वोट किसको दे रहे हैं, ये विधायकों को पोलिंग एजेंट को दिखाना होगा।

बीजेपी उम्मीदवार हर्ष महाजन ने कहा है कि मैं सबको जानता हूं. मैंने सबसे वोट मांगा है. अब रिजल्ट आएगा तब पता चल जाएगा. उन्होंने क्रॉस वोटिंग को लेकर सवाल पर कहा कि अगर ऐसा हुआ है तो हमारी गलती थोड़ी है. कांग्रेस के विधायक सीएम की कार्यशैली से नाराज हैं. इसी नाराजगी में क्रॉस वोटिंग हुई है जो उनकी गलती है. गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग को ऑपरेशन लोटस की आहट माना जा रहा है।

राज्यसभा के बदले गणित से कांग्रेस की सुक्खू सरकार भी खतरे में आ जाएगी. दरअसल, हिमाचल प्रदेश विधानसभा की स्ट्रेंथ 68 विधायकों की है. कांग्रेस के 40, बीजेपी के 25 और दो निर्दलीय समेत तीन अन्य विधायकों का समर्थन भी सुक्खू सरकार के साथ है. यानी कांग्रेस के पक्ष में 43 विधायक हैं और बीजेपी के पास 25. अब अगर नौ विधायकों ने कांग्रेस की जगह बीजेपी के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की है तो ऐसी स्थिति में बीजेपी का वोट गणित 34 पहुंच जाएगा. कांग्रेस भी 43 से घटकर प्रथम वरीयता के 34 वोट पर आ जाएगी. सीट जीतने के लिए प्रथम वरीयता के 35 वोट चाहिए होंगे।

अगर दोनों में से किसी भी दल के पास यह संख्याबल नहीं रहा तो बात दूसरी वरीयता के वोट पर जाएगी. ऐसा हुआ तो बीजेपी को विश्वास है कि कांग्रेस के कई विधायक दूसरी वरीयता का वोट हर्ष को देंगे और पार्टी जीत जाएगी. ऐसा हुआ तो यह सुक्खू सरकार के लिए भी खतरे की घंटी होगी. 68 सदस्यों वाली हिमाचल विधानसभा में बहुमत के लिए जरूरी जादुई आंकड़ा 35 विधायकों का है।

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