भारत में पहली बार नदी के नीचे दौड़ी मेट्रो,नदी का 520 मीटर हिस्सा 45 सेकंड में करेगी पार
भारत में पहली बार नदी के नीचे दौड़ी मेट्रो,नदी का 520 मीटर हिस्सा 45 सेकंड में करेगी पार
मेट्रो रेलवे के अधिकारी ने कहा है कि मेट्रो रेलवे के लिए यह ऐतिहासिक पल है. इस कार्य को पूरा करने में कई बाधाएं आई थी. मगर, सभी रुकावटों को पार करने के बाद हुगली नदी के नीचे बुधवार को रैक चलाने में हम सफल हुए हैं. कोलकाता और आस-पास के लोगों को आधुनिक यातायात प्रदान करने की दिशा में यह क्रांतिकारी कदम है. यह कोलकाता के लोगों के लिए विशेष उपहार है।
आपको बताते चलें कि कोलकाता मेट्रो के ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर को अब तक शुरू हो जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा हुआ नहीं और इस वजह से इसकी लागत भी बढ़ गई. साल 2009 में इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दी गई थी. उस समय इस पर 4,875 करोड़ रुपये खर्च का अनुमान लगाया गया था।
उस समय प्रोजेक्ट पूरा होने की डेडलाइन अगस्त 2015 रखी गई थी. मगर, न्यूज एजेंसी ने पिछले साल दिसंबर में अधिकारियों के हवाले से बताया था कि इस वजह से इसकी लागत बढ़कर 8,475 करोड़ पहुंच गई है, जिसमें से 8,383 करोड़ खर्च भी हो चुके हैं।
कोलकाता मेट्रो ने बुधवार को इतिहास रच दिया है। लंबे इंतजार के बाद आज देश की पहली मेट्रो हुगली नदी के नीचे दौड़ी है. भारत में पहली बार मेट्रो ने नदी के नीचे यात्रा पूरी की है।इस मेट्रो रैक ने हुगली नदी को 11 बजकर 55 मिनट पर पार किया है।
इस यात्रा के दौरान मेट्रो रेलवे के अतिरिक्त महाप्रबंधक एचएन जायसवाल और एमडी केएमआरसीएल के साथ-साथ अन्य वरिष्ठ अधिकारी मेट्रो में मौजूद थे. हावड़ा मैदान स्टेशन पर मेट्रो के पहुंचने पर मेट्रो रेलवे के जनरल मैनेजर पी उदय कुमार रेड्डी ने पूजा की. दरअसल, दो मेट्रो रैक को आज एस्प्लेनेड स्टेशन (Esplanade station) से हावड़ा मैदान स्टेशन ले जाया गया है।जल्द ही हावड़ा मैदान से एस्प्लेनेड तक 4.8 किलोमीटर के भूमिगत खंड पर ट्रायल रन शुरू किया जाएगा. उम्मीद है कि इस खंड पर वाणिज्यिक सेवाएं इस साल शुरू हो जाएंगी. एक बार यह खंड खुल गया, तो हावड़ा देश का सबसे गहरा मेट्रो स्टेशन होगा.
इसकी गहराई सतह से 33 मीटर नीचे है. उम्मीद है कि मेट्रो के 45 सेकंड में हुगली नदी के नीचे 520 मीटर के हिस्से को कवर कर लेगी. यह सुरंग नदी में पानी की सतह से 32 मीटर की गहराई में बनाई गई है, जो अपने आप में इंजीनियरिंग का बेहतरीन नमूना है।
सुरंग में पानी के प्रवाह और रिसाव को रोकने के लिए कई सुरक्षात्मक उपाय किए गए हैं. पानी को सुरंग में घुसने से रोकने के लिए इन खंडों में फ्लाई ऐश और माइक्रो सिलिका से बने कंक्रीट का इस्तेमाल किया गया है।
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