बिन बरसात वन विभाग के दो चेक डैम बह गए 27 अप्रैल को ,पूर्व में इस रेंज में 503 ख़ैर के पेड़ भी कटे चुके हैं - Smachar

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बिन बरसात वन विभाग के दो चेक डैम बह गए 27 अप्रैल को ,पूर्व में इस रेंज में 503 ख़ैर के पेड़ भी कटे चुके हैं

बिन बरसात वन विभाग के दो चेक डैम बह गए 27 अप्रैल को ,पूर्व में इस रेंज में 503 ख़ैर के पेड़ भी कटे चुके हैं


फतेहपुर वलजीत ठाकुर / हिमाचल प्रदेश नदी नालों एवं भौगोलिक परिस्थितियों से गिरा हुआ प्रदेश है, जहां पर प्रदेश सरकार द्वारा के किसानों की भूमि को सिंचित करने के उद्देश्य से छोटे छोटे खड्डों नालों पर जल भंडारण करने के लिए वन विभाग के द्वारा चेक डैम का निर्माण करवाया जाता है, लेकिन आपने सुना होगा कि भारी बरसात के चलते चेक डैम बह गया, लेकिन वन मंडल नूरपुर के अंतर्गत ग्लोड गांव में थोड़ी सी बूंदाबांदी होने के कारण ही नूरपुर वन परीक्षेत्र के द्वारा बनाए गए दो चेक डैम पूरी तरह मिट्टी में ध्वस्त हो गए, जिसके चलते वहां के किसानों में वन विभाग के प्रति भारी रोष व्याप्त है,

जिसके चलते स्थानीय किसान अंग्रेज सिह ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर भी कर दी है,

       आपको बता दें कि नूरपुर वन क्षेत्र के अंतर्गत मिट्टी में ध्वस्त हुए चेक डेमों के निर्माण कार्य पर लगभग 7 लाख रुपए की राशि खर्च की गई थी , वैसे तो नदी नालों पर डैम बनाने के लिए टननो के हिसाब से उच्च गुणवत्ता की सरिये का प्रयोग किया जाता है, लेकिन नुरपूर रेंज के अंतर्गत बनाए गए इस चेक डैम पर सरिए का नामोनिशान तक नहीं है जिससे साफ जाहिर होता है की विभाग की कथित मिलीभगत के चलते प्रदेश सरकार के सरकारी धन का किस तरह से दुरुपयोग किया जा रहा है , और किसानों की भूमि को सिंचित करने के नाम पर ठगा सा जा रहा है, आपको बता दें कि स्थानीय लोगों की शिकायत करने के बाद वन विभाग हरकत में आया, ओर आनन-फानन में दूसरी जगह चेक डैम का निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया है, लेकिन प्रदेश सरकार की लाखों रुपए वन संपदा को नुकसान पहुंचाने वाले अभी भी पहुंच से दूर है।

इस संबंध में मौके पर पहुंचे वन विभाग के सी,सी, एफ , डी आर, कौशल ने कहां की चेक डैमो के टूटने की जांच की जाएगी, और शीघ्र नहीं चेक डैम का निर्माण कर दिया जाएगा।

 आपको बता दें कि नूरपुर रेंज के अंतर्गत ही गत वर्ष गांव मिजग्रा, गांव ठाकरा भोल, के जंगलों मे खुदरो सरकारी भूमि से 503 खैर के पेड़ अवैध रूप से काटे गये थे, जिनकी अनुमानित कीमत 30लाख रूपए आंकी गई थी लेकिन वन विभाग खैरो की अवैध कटान होने की 8 माह वाद हरकत में आया, तब तक वन माफिया द्वारा कटान की निशान मिटा दिए गए थे, हालांकि अवैध रूप से काटे गए पेड़ों की संख्या हजारों में बताई जा रही थी, जिसके चलते विधानसभा चुनावों के दौरान भी अवैध कटान का मुद्दा छाया रहा था और स्थानीय एवं तत्कालीन वन मंत्री क खामियाजा भी भुगतना पड़ा है अब सवाल यह है कि प्रदेश के लाखों-करोड़ों की वन संपदा को नुकसान पहुंचाने वाली कथित रूप से शामिल अधिकारियों पर शिकंजा कसा जाएगा या बेलगाम घूमते रहेंगे।


इस संबंध में नूरपुर पुलिस के जांच अधिकारी प्रेम सिंह ने बताया कि पुलिस ने एफ, आई आर, 340/22 दर्ज की है, जिस् में 503 खैर के अवैध पेड़ों के कटान की पुष्टि हुई है, लेकिन वन विभाग ने कटान के 8 महीनों के वाद इसकी शिकायत की थी।

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