वैसाखी को खालसा के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है: परमजीत सिंह गिल
वैसाखी को खालसा के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है: परमजीत सिंह गिल
बटाला (अविनाश शर्मा, संजीव नैयर):- हिमालय परिवार संगठन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं गुरदासपुर लोकसभा क्षेत्र के वरिष्ठ नेता परमजीत सिंह गिल ने कहा कि वैसाखी का त्यौहार भारतीय इतिहास में विशेष महत्व रखता है। सिख इतिहास में इस दिन को खालसा की जयंती के रूप में मनाया जाता है।
उन्होंने कहा कि 1699 की बैसाखी के दिन दसवें गुरु गोबिंद सिंह जी ने आनंदपुर साहिब में खालसा पंथ की स्थापना की थी. इसलिए पूरा सिख समुदाय इस दिन को खालसा के जन्मदिन के रूप में मनाता है।
यह दिवस वैशाख माह के प्रथम दिन मनाया जाता है। यह त्यौहार आमतौर पर गेहूं की फसल पकने की खुशी में भी मनाया जाता है। इसे किसान मेला भी कहा जाता है। इस दिन कई स्थानों पर बड़े-बड़े मेले लगते हैं तथा कई गुरुद्वारों में धार्मिक समारोह भी आयोजित किए जाते हैं।
उन्होंने कहा कि 1699 में बैसाखी के दिन गुरु गोबिंद सिंह जी ने आनंदपुर साहिब में एक महान सभा बुलाई थी, जिसमें विभिन्न स्थानों से लगभग 80 हजार लोग एकत्रित हुए थे। जब सभा शुरू हुई तो गुरू साहिब ने म्यान से तलवार निकाली और कहा, "क्या कोई सिख है जो धर्म के लिए अपना जीवन बलिदान कर सके?" यह सुनकर सभा शांत हो गई और पांच सिख एक-एक करके खड़े हुए और गुरु के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।
गुरू साहिब ने उन पांचों को अमृत पिलाया और उन्हें पंज प्यारे की उपाधि दी तथा बाद में स्वयं उनसे अमृत ग्रहण किया। खालसा पंथ की स्थापना करके गुरु साहिब ने एक नया पंथ बनाया और जाति, रंग आदि के आधार पर भेदभाव को समाप्त कर दिया। गुरु साहिब ने आदेश दिया कि दीक्षा समारोह के बाद पुरुषों के नाम के साथ 'सिंह' और महिलाओं के नाम के साथ 'कौर' प्रत्यय जोड़ा जाए। दीक्षा के बाद केश, कंघी, कड़ा, कृपाण और कच्छहरा प्रत्येक सिख की पोशाक का अनिवार्य हिस्सा बन गए।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा इस दिन का इतिहास अमृतसर से भी जुड़ा हुआ है जब 13 अप्रैल 1919 को बैसाखी के दिन अमृतसर के जलियांवाला बाग में एकत्रित निहत्थे भारतीयों को जनरल डायर ने गोलीया मारी थी। इस नरसंहार में लगभग 20,000 लोग मारे गए, जिनमें बच्चे, महिलाएं, बुजुर्ग आदि शामिल थे।
उन्होंने कहा कि हम सभी को वैसाखी का त्यौहार श्रद्धा व उत्साह के साथ मनाना चाहिए तथा जलियांवाला बाग के शहीदों को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि भी देनी चाहिए।
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