दो देवी बहनों के मिलन के पावन अवसर पर ऐतिहासिक चामुंडा माता मंदिर में जातर मेले का आयोजन किया गया।
दो देवी बहनों के मिलन के पावन अवसर पर ऐतिहासिक चामुंडा माता मंदिर में जातर मेले का आयोजन किया गया।
इसमें जिले के विभिन्न इलाकों से हजारों लोगों ने उपस्थिति दर्ज करवाते हुए मंदिर में विराजमान दोनों देवी बहनों का आशीर्वाद लिया। इस दौरान चामुंडा माता के गुर ने भक्तों को सुख समृद्धि का आशीर्वाद दिया। जातर मेले के दौरान खट्टे पकौडू, पापड़ सहित अन्य खाद्य पदार्थों के अस्थायी स्टॉल मंदिर परिसर में सजाए गए थे। इसमें लोगों ने इन सभी व्यंजनों का स्वाद चखा। विदित रहे कि इस ऐतिहासिक जातर मेले को देखने और इसका साक्षी बनने के लिए लोग साल भर इंतजार करते हैं। जातर मेले के दौरान मुख्य आकर्षण चुराही नाटी बनी, जोकि बैरेवाली माता के साथ आए कारदारों ने मंदिर परिसर में डाली। कारदारों के साथ माता के भक्त भी इस नाटी में थिरकने लगे। पारंपरिक वाद्य यंत्रों की धुन पर डाली जाने वाली नाटी को देख हर कोई उसमें शामिल होता हुआ नजर आया। जातर मेले के दौरान कानून और शांति व्यवस्था बनाए रखने को लेकर मंदिर परिसर में पुलिस बल भी तैनात रहा। आपको बता दें कि पुरानी परंपरा का निर्वहन करते हुए देवीकोठी से बैरेवाली माता हर वर्ष अपनी बहन चामुंडा से मिलने चम्बा पहुंचती हैं। जैसे ही उनका चम्बा में आगमन होता है तो लोग बैरेवाली माता का आशीर्वाद पाने के लिए उन्हें अपने घरों में आमंत्रित करते हैं। कारदार बैरेवाली माता के चिह्नों को लेकर लोगों के घरों में पूजा-अर्चना के लिए पहुंचते हैं। यहां उनकी फूल वर्षा के साथ स्वागत किया जाता है। इन बहनों के मिलन के अंतिम दिन चामुंडा माता मंदिर परिसर में जातर मेले का आयोजन होता है। बहरहाल, अब बैरेवाली माता अपनी देवी बहन से विदाई लेकर वापस देवीकोठी के लिए प्रस्थान कर जाएंगी।
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