मुंडू का अंग्रेजी में अनुवाद - Smachar

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मुंडू का अंग्रेजी में अनुवाद

 मुंडू का अंग्रेजी में अनुवाद

हिमाचल की पृष्ठभूमि से जुड़ा उपन्यास ‘मुंडू’ विद्वान समीक्षकों, शोधकर्ताओं और पाठकों का ध्यान केंत्रित करता रहा है I नमन प्रकाशन दिल्ली द्वारा इसे 2020 में प्रकशित किया गया था I इसके रचित सुविख्यात कथाकार त्रिलोक मेहरा की जनवादी कहानियों की तरह ही उपन्यास बहु-समाज की पीड़ा को शब्द में संजोकर इसके उपचार की नींव रखता है I उपन्यास हिमाचल के उस क्षेत्र की कहानी व्यक्त करता है जो पंजाब की सीमाओं से बाहर होकर हिमाचल में आ मिला था I इस क्षत्र के बारे में अपनी प्रस्तावना-टिप्पणी में पूर्व संपादक ‘विपाशा’ और भाषा कला संस्कृत अकादमी के सचिव डॉ तुलसी रमण ने भी कहा है, ‘20वीं सदी मध्य से पूर्व इस शब्द ने कैसे एक मिथक का रूप ले लिया, यह अपने में दिलचस्प है I पहाड़ के जिन लोगों ने रियासती समय में राजे-रानों और अंग्रेजों की दोहरी बेगार ढोने के दिन देखे हैं और रोजी-रोटी के लिए मैदानों की ओर जाकर अथाह कष्ट झेले हैं, वे इस ‘मुंडू’ के निहितार्थ जानते हैं I’ कोई शक नहीं ‘मुंडू’ उपन्यास पर विद्वानों की बड़ी टिप्पणियाँ हैं और यह टिप्पणियाँ इसका भी इशारा करती हैं कि अवश्य ही राजे-रानों का समय चला गया है लेकिन सरकारों में नेताओं के हाल भी कुछ ऐसे ही हैं और आज पढ़-लिखकर कुछ ही वर्ग मुक्त हो पाया है जबकि शहरों में जाकर छोटी नौकरी और कम तनखा में शोषित होने को मजबूर युवा आज भी दिख जाएगा I जिस लोकतान्त्रिक विचार को प्रतिपादित करने हेतु उपन्यासकार की कलम अविरल चलती रही है वह दंश का पात्र बदला है लेकन चरित्र नहीं बदला I यहीं उपन्यासकार त्रिलोक मेहरा की यह कृति ‘मुंडू’ एक चिरकालिक कृति होने का दावा करती है और अपने लोकतान्त्रिक-जागरण के लिए तब तक अवश्य ही उपयोग की जाएगी जब तक आमजन आर्थिक तौर पर मजबूत नहीं हो जाता और स्वतंत्र होकर अपने हिस्से का जीवन जी नहीं लेता I इन्हीं सब से परिचित होकर साहित्यकार पंकज ‘दर्शी’ इस जनवादी स्वर के उपन्यास ‘मुंडू’ को व्यापक स्तर के पाठकों तक पहुंचने का जिम्मा उठा चुके हैं और उपन्यास ‘मुंडू’ का अंग्रेजी में अनुवाद कर रहे हैं I उनके अनुसार अगले तीन महीने तक वे अनुवाद को सफल तरीके से समाप्त कर सकेंगे I इससे पहले भी वह कृतियों के अनुवाद में रूचि लेते रहे हैं I मंडी से सुविख्यात कथाकार डॉ गंगाराम ‘राजी’ के एक उपन्यास का उन्होंने हॉल ही में अनुवाद किया है और इस पर विश्व स्तर के प्रकाशकों ने भी छापने की रूचि प्रकट की है I पंकज दर्शी के अनुसार वे चाहते हैं कि हिमाचल को देश-विदेश में जाना जाए और यहां के रहन-सहन, संस्कृति, जीवन-शैली के साथ-साथ यहां की समस्यायों को और पीड़ाओं को भी साहित्य के माध्यम से सर्व-साझा किया जाए I प्रदेश में बेहतर रचनाएँ की गई हैं लेकिन इन रचनाओं को देश-विदेश तक पर्याप्त पहचान मिल नहीं पाई है और बहुत कम रचनाओं का अनुवाद अन्य भाषाओँ में हो पाया है I ‘मुंडू’ उपन्यास का अंग्रेजी में अनुवाद अवश्य ही इसे व्यापक स्तर के पाठकों और समीक्षकों तक पहुंचाएगा I

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