पौंग बांध झील के किनारे स्थित फतेहपुर में श्री गुरु रविदास महाराज के 646वे प्रकाशोत्व पर शोभायात्रा का आयोजन हुआ - Smachar

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पौंग बांध झील के किनारे स्थित फतेहपुर में श्री गुरु रविदास महाराज के 646वे प्रकाशोत्व पर शोभायात्रा का आयोजन हुआ

पौंग बांध झील के किनारे स्थित फतेहपुर में श्री गुरु रविदास महाराज के 646वे प्रकाशोत्व पर शोभायात्रा का आयोजन हुआ 


फतेहपुर : वलजीत ठाकुर / हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा के पौंग बांध झील के किनारे स्थित उपमण्डल फतेहपुर , में श्री गुरु रविदास प्रबन्धक कमेटी फतेहपुर के तत्वावधान में श्री गुरु रविदास महाराज के 646वे प्रकाशोत्व पर शोभायात्रा का आयोजन किया गया जिसमे मुख्य अतिथि के रुप मे श्री श्री 108 स्वामी गुरदीप गिरि जी महाराज ने शोभायात्रा की अगुवाई की फतेहपुर से राजा का तालाब तक यह शोभायात्रा निकाली गई। फतेहपुर चौक, रैहन, राजा का तालाब में साध संगतों ने पुष्प वर्षा करके शोभायात्रा यात्रा का भव्य स्वागत किया । शोभायात्रा के साथ वाहनों का काफिला था श्री गुरु रविदास महाराज की जय उदघोष के साथ भव्य यात्रा ऐसी लग रही थी मानो इस पावन धरा पर जनत उतर आईं हो । लोगों का उत्साह देखते ही वनता था।शोभायात्रा के दौरान क्षेत्र भक्तिमय वातावरण से ओतप्रोत था। सड़क किनारे लोगों ने शोभायात्रा भजनों की लहरीयो के बीच गुरू रविदास जी का अलौकिक दर्शन व आशीर्वाद लिया ।इस अवसर पर कमेटी प्रधान सुरेन्द्र सिह चेयरमैन कालु राम सहित कमेटी के सदस्य मौजूद रहे ।

ईश्वर ने इस जगत में सभी के जन्म व मृत्यु का नियम एक सामान बनाया था । जीवन जीने के रास्ते भी एक सामान बनाऐ हैं- अध्यात्मिक संत गुरु रविदास जी की वाणी भारत देश देवी-देवताओं की साधू संतों व महात्माओं पवित्र व पावन भूमि है । अनत काल से साधू संतों व महात्माओं ने अपने तपोबल से इस देवधरा को अपनी आत्मीय वल से सींचा है ।देश -विदेश में ज्ञान व मानवता का संदेश देकर इस पावन पवित्र धरा की भारत माता की मान प्रतिष्ठा भारत माता के सुपुत्र होने दाईत्व चरम सीमा तक पहुंचने में सदैव जीवन भर तत्पर रहे हैं ।

विश्व स्तर पर ज्ञान की ज्योति जलाने वाले समाज में प्रभु के देवदूत इस विश्व के महान संत एवं सृष्टि संचालित स्वरूप श्री गुरु रविदास जी ने सीर गोबर्धनपुर काशी बनारस उतर प्रदेश की पावन धरा की गोद में माता कैराना देवी पिता बाबा सन्तोष दास के घर में माघ शुक्ल पक्ष पूर्णिमा प्रविष्टे 15 रविवार संवत 1433 अवतरित होकर कलिकाल में धर्म के ज्ञान प्रकाश को इस संसार में प्रज्वलित किया ।

 श्री गुरु रविदास जी में असीमित शक्तियों के भंडाररण से ओतप्रोत थे इस रहस्य का पता उनके चमत्कारों से चलाता है ।

1 (मैं ही ब्रह्म हूं ) श्री गुरु रविदास जी ने अपने वक्षास्थल को चीर कर यज्ञोपवीत निकाल कर यह सिद्ध कर दिया कि इस विश्व के हर प्राणी में ब्रह्मा का निवास है । सृष्टि के निर्माण के समय सृष्टि निर्माता ने सभी को अपने सामान बनाया । माफी चाहूंगा लेकिन सत्य को झुठलाया नहीं जा सकता जाति-पांति पर श्री गुरु रविदास जी का विश्व को जाति तत्त्व ज्ञान उपदेश था कि ईश्वर ने इस जगत में सभी के जन्म व मृत्यु का नियम एक सामान बनाया था । जीवन जीने के रास्ते भी एक सामान बनाऐ है । ईश्वर ने किसी से भेद भाव नहीं किया है । जो ऊंच नीच का भेद भाव रखते हैं वह इंसान हो ही नहीं सकते, ईश्वर उन्हें अपनी शरण में नहीं लेता है । हर व्यक्ति स्वयं भगवान का स्वरूप है ।

2( गंगा मैया की संतान रूप थे ) श्री गुरु रविदास जी ने लाला को कडा देकर यह कहा की गंगा मैया को यह सोना का कडा़ दे देना लेकिन ध्यान रखना कि जब तक वह गंगा जल से हाथ निकाल कर स्वयं न लें तब तक मत देना कहना तेरे बेटे ने दिया है । वापिस आने पर श्री गुरु रविदास जी ने पूछा तो लाला ने बहाने किया श्री गुरु रविदास जी सारी बात समझ गये उन्होंने लाला की भावना को बिना ठेस पंहुचाए कौड़ी के निचे स्वयं गंगा मैया ने प्रकट होकर अपने पुत्र का मान रख लिया । 

 श्री गुरु रविदास जी भोलेभाल निर्मल सभाव वह निष्कपट सभाव के संत थे यही कारण है कि इनके उपदेशों बाणी से ज्ञान रूपी अमृत बरसता है । श्री गुरु रविदास जी का जन्म उस समय हुआ जब जाति-पाति के कारण ईश्वरीय कार्यों में हस्तक्षेप हो रहा था । इस विश्व के संत श्री गुरु रविदास जी ने बड़ी सहजता से निर्मल भावना से प्रभू के इस कार्य को जन जन तक पहुंचाने में संसार का मार्गदर्शन किया ।

 

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