मां चंद्रघंटा के तीसरे नवरात्र पर जाने मां की पावन कथा व आरती जिसके श्रवण मात्र से होती मनोकामना की पूर्ति - Smachar

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मां चंद्रघंटा के तीसरे नवरात्र पर जाने मां की पावन कथा व आरती जिसके श्रवण मात्र से होती मनोकामना की पूर्ति

 मां चंद्रघंटा के तीसरे नवरात्र पर जाने मां की पावन कथा व आरती जिसके श्रवण मात्र से होती मनोकामना की पूर्ति

 


देवी चंद्रघंटा का वाहन शेर है। भक्तों के लिए माता का यह स्वरूप बेहद कल्याणकारी माना गया है। आगे जानिए देवी चंद्रघंटा की पूजा विधि, मंत्र, आरती और कथा.चैत्र नवरात्रि की तृतीया तिथि यानी 24 मार्च, शुक्रवार को सुबह स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। एक पटिए पर देवी चंद्रघंटा की प्रतिमा स्थापित करें।

- देवी को फूल माला चढ़ाएं, कुमकुम से तिलक करें और इसके बाद कुंकुम, चावल, अबीर, गुलाल, रोली, मेहंदी, हल्दी आदि चीजें एक-एक करके चढ़ाते रहें।

- इस प्रकार पूजा के बाद इस मंत्र का जाप कम से कम 11 बार करें और आरती करें-पिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता। प्रसादं तनुते मह्यम् चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥

पुराणों के अनुसार, किसी समय महिषासुर नाम का एक दैत्य था। देवताओं से वरदान पाकर वह बहुत शक्तशाली हो गया। उसने स्वर्ग पर भी अधिकार कर लिया। तब सभी देवता त्रिदेवों के पास गए और उन्हें अपनी परेशानी बताई। त्रिदेवों के मुख से एक प्रकाश निकला जो स्त्री रूप में बदल गया। ये स्त्री और कोई नहीं बल्कि देवी दुर्गा थीं। युद्ध के लिए सभी देवताओं ने इन्हें अपने अस्त्र-शस्त्र दिए। देवराज इंद्र ने इन्हें अपना वज्र और घंटा दिया। इसलिए इनका नाम चंद्रघंटा पड़ा। देवी ने महिषासुर से युद्ध कर उसका वध कर दिया।

जय मां चंद्रघंटा सुख धाम। पूर्ण कीजो मेरे काम।।

चंद्र समान तू शीतल दाती। चंद्र तेज किरणों में समाती।।

क्रोध को शांत बनाने वाली। मीठे बोल सिखाने वाली।।

मन की मालक मन भाती हो। चंद्र घंटा तुम वरदाती हो।।

सुंदर भाव को लाने वाली। हर संकट मे बचाने वाली।।

हर बुधवार जो तुझे ध्याये। श्रद्धा सहित जो विनय सुनाय।।

मूर्ति चंद्र आकार बनाएं। सन्मुख घी की ज्योत जलाएं।।

शीश झुका कहे मन की बाता। पूर्ण आस करो जगदाता।।

कांची पुर स्थान तुम्हारा। करनाटिका में मान तुम्हारा।।

नाम तेरा रटू महारानी। भक्त की रक्षा करो भवानी।।

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