लद्दाख में इन मांगों के साथ अनशन कर रहे हैं सोनम वांगचुक - Smachar

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लद्दाख में इन मांगों के साथ अनशन कर रहे हैं सोनम वांगचुक

लद्दाख में इन मांगों के साथ अनशन कर रहे हैं सोनम वांगचुक

केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख़ के जाने-माने पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक के अनशन को दो सप्ताह पूरे होने वाले हैं,कंपकंपाती ठंड और शून्य से नीचे तापमान के बावजूद उनके प्रदर्शन में हिस्सा लेने वालों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है.


बीती तीन फरवरी को भी लेह में छठी अनुसूची को लागू करने की मांग को लेकर कड़ाके की ठण्ड में एक बड़ा प्रदर्शन हुआ था, जिसमें हज़ारों लोगों ने भाग लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ अपनी नाराज़गी ज़ाहिर की थी।

प्रदर्शन के अलावा लद्दाख़ बंद रहा था.तब अपेक्स बॉडी लेह (एबीएल) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायन्स (केडीए) ने बंद और प्रदर्शन की अपील की थी

अपेक्स बॉडी लेह (एबीएल) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायन्स (केडीए) सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक संगठन हैं, जो लद्दाख की चार मांगों को लेकर अपना आंदोलन चला रहे हैं।

संविधान की छठी अनुसूची के अलावा पूर्ण राज्य की मांग, लद्दाख में एक और संसदीय सीट को बढ़ाना और पब्लिक सर्विस कमीशन को लद्दाख में क़ायम करने जैसी मांगे शामिल हैं।सोनम वांगचुक ने लेह से फ़ोन पर बीबीसी के साथ बातचीत में कहा, "मेरा अनशन 21 दिनों तक चलेगा. हमारी मांगे वही पुरानी हैं. लद्दाख़ को पूर्ण राज्य का दर्जा और छठे शेड्यूल को लागू करना।

वांगचुक ने दावा किया कि खुले मैदान में क़रीब दो हज़ार लोग उनके समर्थन में प्रदर्शन कर रहे हैं।

19 फरवरी 2024 की बातचीत से कुछ समय पहले केंद्र सरकार ने एक हाई पावर्ड कमेटी का भी गठन किया था।

बातचीत के ये दौर, 19 से लेकर 23 फ़रवरी तक चला, फिर चार मार्च को एक बार फिर बातचीत हुई, लेकिन कोई सहमति नहीं बन पाई।

छह मार्च को लेह के कई धार्मिक संगठनों ने लद्दाख़ में बंद का आह्वान किया था. तब से सोनम वांगचुक अनशन पर बैठे हैं।

केंद्र शासित प्रदेश बनने से पहले लद्दाख के लोग जम्मू -कश्मीर पब्लिक सर्विस कमीशन में गैज़ेटेड पदों के लिए अप्लाई कर सकते थे, लेकिन अब ये सिलसिला बंद हो गया.


वर्ष 2019 से पहले नॉन गैज़ेटेड नौकरियों के लिए जम्मू कश्मीर सर्विस सेलेक्शन बोर्ड भर्ती करता था और उस में लद्दाख के उमीदवार भी होते थे. लेकिन अब ये नियुक्तियां कर्मचारी चयन आयोग की ओर से की जा रही हैं.


यह आयोग एक संवैधानिक निकाय है जो केंद्र सरकार के लिए भर्ती करता है. अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाने से लेकर आजतक लद्दाख में बड़े स्तर पर नौकरियों के लिए नॉन -गैज़ेटेड भर्ती अभियान नहीं चलाया गया है, जिसको लेकर लद्दाख के युवाओं में गुसा है


लद्दाख प्रशासन ने अक्टूबर 2023 में अपने आधिकारिक बयान में बताया था कि केंद्र शासित प्रदेश में भर्ती करने की प्रक्रिया जारी है.


लद्दाख के लोग ये उम्मीद कर रहे थे कि केंद्र शासित प्रदेश बनने के साथ-साथ लद्दाख को विधानमंडल भी दिया जाएगा और छठी अनुसूची के तहत सुरक्षा भी दी जाएगी.


बीजेपी ने साल 2019 के अपने चुनावी घोषणापत्र में और बीते वर्ष लद्दाख हिल काउंसिल चुनाव के में भी लद्दाख को राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में शामिल करने का वादा किया था

लोगों का आरोप है कि बीजेपी इन वादों से मुकर रही है और इस असंतोष ने प्रदर्शन का रूप ले लिया है।

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 244 के तहत छठी अनुसूची स्वायत्त प्रशासनिक प्रभागों में स्वायत्ता जिला परिषदों के गठन का प्रावधान करती है, जिनके पास एक राज्य के भीतर कुछ विधायी, न्यायिक और प्रशासनिक स्वतंत्रता होती है।

जिला परिषदों में कुल 30 मेंबर होते हैं. चार मेंबर्स को राज्यपाल नियुक्त करता है।

छठी अनुसूची के मुताबिक़ ज़िला परिषद की अनुमति से ही क्षेत्र में उद्योग लगाए जा सकेंगे।

बीते वर्ष सितम्बर में पीटीआई को दिए गए एक इंटरव्यू में लद्दाख के उपराज्यपाल जीडी मिश्रा ने बताया था कि लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के बाद विकास के क्षेत्र में बड़ा बदलाव आया है।

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