चालीस घंटों की जगह बीस घंटे में होगा दिल्ली-लेह का सफर,भारत में बिछ रही दुनिया की सबसे ऊंची रेलवे लाइन - Smachar

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चालीस घंटों की जगह बीस घंटे में होगा दिल्ली-लेह का सफर,भारत में बिछ रही दुनिया की सबसे ऊंची रेलवे लाइन

चालीस घंटों की जगह बीस घंटे में होगा दिल्ली-लेह का सफर,भारत में बिछ रही दुनिया की सबसे ऊंची रेलवे लाइन


 तिरासी हज़ार तीन सौ साठ करोड़ रुपए में बनेगी चार सौ पैंसठ किलोमीटर लंबी बिलासपुर मनाली लेह रेललाइन 

दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज बनाने वाली भारतीय रेल दुनिया की सबसे ऊंची रेलवे लाइन बिछाने जा रही है इसके बाद दिल्ली से लेह के बीच का सफर चालीस घंटे से घटकर बीस घंटे में पूरा हो जाएगा भारतीय रेलवे समुद्र तल से पांच हज़ार तीन सौ साठ मीटर की उचाई पर चार सौ पैंसठ किलोमीटर लंबी बिलासपुर मनाली लाइन बिछा रही है जो बिलासपुर से शुरू होकर मनाली उपजी मंडी सुरेंद्र नगर कोप सर क्यों लॉन्ग होते हुए लेह तक पहुंचेगी? ये इंडियन रेलवे की सबसे मुश्किल प्रोजेक्ट्स में से एक है क्योंकि ये लेह लद्दाख को बारह महीने रेल कनेक्टिविटी देने के लिए इस रेल लाइन का आधे से ज्यादा हिस्सा सुरंगों में से होकर गुजरेगा बिलासपुर मनाली लेह रेल प्रोजेक्ट में चौहत्तर सुरंगें बनाई जाएंगी सबसे लंबी सुरंग सत्ताईस किलोमीटर की होगी इसमें एक सौ चौबीस बड़े और तीन सौ छियानवे छोटे ब्रिज बनाए जाएंगे बिलासपुर से लेह के बीच तीस स्टेशन होंगे  

 यह रेलवे लाइन रोहतांग ला बदला चाला लाचुंगला ओर से होकर गुजरेगी । रेलवे स्टेशन समुद्र तल से पांच हज़ार तीन सौ उनसठ मीटर की उचाई पर दुनिया का सबसे उंचा रेलवे स्टेशन बनने की उम्मीद है जो चीन के किंघई में पांच हज़ार छियासी मीटर पर बने तंग बुला रेलवे स्टेशन का रिकॉर्ड तोड़ देगा तिरासी हज़ार तीन सौ साठ करोड़ रुपए की लागत वाला यह प्रोजेक्ट दो हज़ार पच्चीस तक पूरा करने का टारगेट है इस प्रोजेक्ट के निर्माण में विषम भौगोलिक परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन लेख को बारह महीने कनेक्ट करने के लिए इंजीनियर्स दिन रात जुटे हुए हैं अभी सड़क मार्ग साल में सिर्फ पांच महीने खुला रहता है मौजूदा समय में लेह के लिए रेल कनेक्टिविटी नहीं है लेह से मौजूदा सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन भानुपल्ली है, जो करीब सात सौ तीस किलोमीटर की दूरी पर है अभी दिल्ली से लेह जाने में करीब चालीस घंटे का समय लगता है लेकिन इस प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद ये दूरी मात्र बीस घंटे में ही पूरी हो जाएगी हाइ ऐल्टिटूड एरिया में ऑक्सीजन के स्तर को बनाए रखने के लिए रेलवे स्पेशल ट्रेन चलाएगी जिसमें विमान जैसे दबाव वाले डिब्बों का उपयोग करने की योजना बनाई गई है जिससे की यात्रियों को यात्रा के दौरान उचाई वाले क्षेत्रों पर सांस लेने में कठिनाई का सामना ना करना पड़े इस तरह के कोच वर्तमान में केवल चीन की चीन गई तिब्बत रेलवे लाइन में उपयोग किए जाते हैं ये रेलवे परियोजना का सामरिक महत्व काफी ज्यादा है क्योंकि यह भारत चीन सीमा के पास होगी इससे न केवल सेना को मदद मिलेगी बल्कि जम्मू कश्मीर, हिमाचल ने लद्दाख में पर्यटन को भी काफी बढ़ावा मिलेगा, जिससे हिमालय की कंदराओं में मौजूद यह प्रदेश तेजी से विकसित होंगे ।

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