दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से राम तलाई मंदिर में महाशिवरात्रि के संबंध में कार्यक्रम आयोजित किया
दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से राम तलाई मंदिर में महाशिवरात्रि के संबंध में कार्यक्रम आयोजित किया
बटाला (अविनाश शर्मा, संजीव नैयर)दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की बटाला की ओर से राम तलाई मंदिर में महाशिवरात्रि के संबंध में कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिस में सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी सुश्री पूनम भारती जी ने भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह प्रसंग का वाचन किया। उन्होनें बताया कि भगवान शिव और पार्वती का मिलन एक मानव को जीवन के लक्ष्य के प्रति सजग करता है। शिव भाव परमात्मा तथा पार्वती अर्थात आत्मा।मानव जीवन आत्मा और परमात्मा के मिलन का एक दुर्लभ अवसर है। लेकिन मननशील प्राणी होते हुए भी एक इंसान अपने जीवन के लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाता। क्योंकि क्योंकि वह जीवन के इस रहस्य से अपरिचित है यही हालात यही हालत हिमालय में हिमवान और मैना की थी। अपनी ही बेटी के रूप में साक्षात शक्ति तथा द्वार पर खड़े भगवान भोलेनाथ को वह पहचान नहीं पाए।लेकिन जब उनको नारद जी ने आकर वास्तविकता का बोध करवाया तो वह सत्य से परिचित हो पाए। मानव भी अपने भीतर बैठे परमात्मा को ना जानने से दुखी व अशांत है।लेकिन वह उसे तब तक नहीं जान सकता जब तक उसके जीवन में नारद रूपी गुरु का आगमन नहीं होता।क्योंकि यह सृष्टि का अटल नियम है जिसे भी परमात्मा रूपी रहस्य की पुष्टि हुई उसके जीवन में पहले पूर्ण गुरु का आगमन हुआ।
गुरु की पहचान बताते हुए साध्वी जी ने कहा कि गुरु शब्द दो शब्दों के मिलाप से बना है।गु और रू गु भाव अंधकार और रू भाव प्रकाश।जो मानव के अंतःकरण में व्याप्त अंधकार व ईश्वर संबंधी संदेशों को प्रकाश व आत्म ज्ञान के माध्यम से तिरोहित कर दे वही पूर्ण ब्रह्मनिष्ठ गुरु है।लेकिन आज ऐसे गुरु का संग प्राप्त ना होने के कारण मानव का अंतःकरण अंधकार से भरा हुआ है।जिस प्रकार बाहर अंधेरा होने पर हम पथ से भटक जाते हैं,वैसी ही स्थिति आज परिवार समाज देश व राष्ट्र की है चारों तरफ वैमनस्य,कोलाहल,खून की होली संस्कारहीनता नजर आ रही है।समाज में भाई-भाई का शत्रु व पिता-पुत्र को चंद रुपयों की खातिर मृत्यु के घाट उतारता हुआ नजर आ रहा है।लेकिन प्रश्न यह है कि ऐसी स्थिति को सुधारा कैसे जाए?तो उत्तर यही है कि जैसे गणिका वैश्या, अंगुलिमाल डाकू,सज्जन ठग एक ब्रह्मनिष्ठ गुरु के ज्ञान के माध्यम से भक्तों की श्रेणी में आकर खड़े हुए।वैसे ही व्यक्ति को भी ऐसे सद्गुरु की आवश्यकता है।फिर ही समाज में एक भव्य क्रांति आ सकती है ।
इस अवसर पर भजनों को श्रवण कर उपस्थित श्रद्धालुओं ने खूब आनंद उठाया।
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