हिमाचल की लोक-कथाएं होंगी पुस्तक में संकलित
हिमाचल की लोक-कथाएं होंगी पुस्तक में संकलित
हिमाचल प्रदेश की बहुत सी लोक कथाएं अब तक मौखिक रूप में उपलब्ध हैं जबकि कुछ जाने माने साहित्यकारों ने इसपर बेहतर काम किया है इनमें से कांगड़ा की संस्कृति के पुरोधा डॉ गौतम शर्मा व्यथित ने चौपाल नमक पुस्तक में हिमाचल की कुछ लोक कथाओं को हिंदी में शब्दबद्ध किया है जोकि फेयर ब्रदर्स द्वारा 2003 में प्रकाशित की गई थी । मंडी से अर्पणा धीमान और प्रकाश चंद धीमान द्वारा लोक कथाओं का प्रांतीय भाषाओं में दो साझा संकलन 1996 और 2002 में प्रकाशित किए गए थे । मंडी से संस्कृति लोकगीतों का विख्यात नाम रूपेश्वरी शर्मा द्वारा भारत की लोक कथाएं हिमाचल प्रदेश मंडियाली और हिंदी अनुवाद में इंडिया नेटबुक्स द्वारा 2023 में प्रकाशित की गई है ।
मंडी से सुविख्यात उपन्यासकार डॉ गंगा राम राजी के तीन उपन्यास खैरा गढ़ी की रानी, मेरा दर्द न जाने कोई तथा योद्धा जोरावर सिंह, शिमला से विश्व विख्यात उपन्यासकार एस आर हरनोट का उपन्यास हिडिंब तथा त्रिलोक मेहरा के उपन्यास मुंडू में लोक कथा से संदर्भ मिलते हैं जबकि गंगा राम राजी के तीनों उपन्यास ऐतिहासिक लोक कथा और प्रचलित किंवदंतियों पर आधारित हैं ।
हाल ही में कुल्लू में हिमालयन सीएफएसआर द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में लोककथा भी एक चर्चित विषय रहा जिसमें बहुत से शोध पत्र पढ़े गए और आयोजकों द्वारा लोक कथाओं के लिखित रूप की मांग पेश की गई ताकि लोक साहित्य के शोधार्थी, तथा लोक कथाओं के माध्यम से अन्य वैज्ञानिक, सामाजिक, भौगोलिक, आर्थिक और जीवन शैली की खोज की जा सके ।
इसके साथ ही लोक कथाओं की सिमटती संस्कृति को भी संरक्षित किया जा सके ।
इसी संदर्भ में यश बुक्स पब्लिशर राजा का तालाब, कांगड़ा की सह निदेशक उपासना शर्मा ने हिमाचल की लोक कथाओं को हिंदी में शब्दबद्ध करके साझा संकलन निकलने की पेशकश रखी है जिसमें साहित्यकार पंकज दर्शी मुख्य संपादक की भूमिका, ज्वाली महाविद्यालय की प्रधानाचार्य नीरू ठाकुर लोक साहित्य संपादक की भूमिका, महाविद्यालय देहरी से सह आचार्या डॉ नेहा मिश्रा विधा संपादक की भूमिका और साहित्यकार कपिल मेहरा तथा अश्वनी कुमार को भाषा और व्याकरण के संपादन की भूमिका और जिम्मेवारी दी गई है ।
इस साझा संकलन से पूर्व संस्मरणों का साझा संकलन हस्ताक्षर पहाड़ के पुस्तक पंकज दर्शी द्वारा संपादित की गई थी जोकि आज भी एक प्रचलित पुस्तक है । पहले साझा संकलन के साथ ही सह निदेशक उपासना शर्मा का कहना है कि " राज्य में यह प्रथम अलग स्तर का प्रयास है जिससे केवल हमारी लोक कथाएं ही संरक्षित नहीं होंगी बल्कि बहुत से स्थापित और नवोदित साहित्यकारों को इसमें छपने का सुअवसर मिलेगा तथा इसके साथ ही लोक साहित्य के पाठकों, खोजकर्ता और शोधकर्ताओं के लिए यह पुस्तक बेहतर सहयोगी साबित होगी ।" उपासना शर्मा भाषा कला संस्कृति विभाग से भी लोक कथाओं के साझा संकलन को बहुत से पाठकों और पुस्तकालयों तक पहुंचाने का प्रस्ताव रखेंगी । शिक्षा संस्थानों के पुस्तकालयों में इस पुस्तक को यश बुक्स पब्लिशर की मार्केटिंग टीम द्वारा उपलब्ध करवाया जाएगा । उपासना शर्मा का यह भी कहना है कि आज लोक कथाएं चाहे चलन और प्रचलन में सिमट रही हैं लेकिन पाठक, रुचिकर और शोधकर्ताओं की मांग इनके प्रति निरंतर बनी हुई है । /p>
10 जुलाई 2023 से लेखकों के लिए इस विषय की जानकारी उपलब्ध करवाई जाएगी और इस लेखन मुहिम से जुड़ने के लिए यश बुक्स पब्लिशर ने एक व्हाट्सएप नंबर 9459203057 तथा ईमेल folktaleshimachal@gmail.com जारी किया है ।
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