सरदार वल्लभभाई पटेल की 140वीं जयंती के अवसर पर 31 अक्टूबर, 2015 को माननीय प्रधान मंत्री द्वारा "एक भारत श्रेष्ठ भारत" की घोषणा की गई थी। - Smachar

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सरदार वल्लभभाई पटेल की 140वीं जयंती के अवसर पर 31 अक्टूबर, 2015 को माननीय प्रधान मंत्री द्वारा "एक भारत श्रेष्ठ भारत" की घोषणा की गई थी।

 सरदार वल्लभभाई पटेल की 140वीं जयंती के अवसर पर 31 अक्टूबर, 2015 को माननीय प्रधान मंत्री द्वारा "एक भारत श्रेष्ठ भारत" की घोषणा की गई थी। 


चंबा : जितेन्द्र खन्ना / इस अभिनव उपाय के माध्यम से, विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की संस्कृति, परंपराओं और प्रथाओं के ज्ञान से राज्यों के बीच समझ और जुड़ाव बढ़ेगा, जिससे भारत की एकता और अखंडता मजबूत होगी। 

कार्यक्रम के तहत सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को कवर किया जाएगा। राष्ट्रीय स्तर पर राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों की जोड़ी बनेगी और ये जोड़ी एक साल तक या जोड़ी के अगले दौर तक प्रभावी रहेगी। राज्य/संघ राज्य क्षेत्र स्तरीय युग्मों का उपयोग राज्य स्तरीय गतिविधियों के लिए किया जाएगा। इसी

कड़ी में हिमाचल प्रदेश से लगभग 110 शिक्षकों का ग्रूप ने केरल का शैक्षिक सांस्कृतिक भ्रमण किया। यह गतिविधि विभिन्न राज्यों और जिलों को वार्षिक कार्यक्रमों में जोड़ने के लिए बहुत उपयोगी हैं। जो संस्कृति, पर्यटन, भाषा, शिक्षा व्यापार आदि के क्षेत्रों में आदान-प्रदान के माध्यम से लोगों को जोड़ेगी और नागरिक बहुत बड़ी संख्या में सांस्कृतिक विविधता का अनुभव कर सकेंगे। राज्य/केंद्रशासित प्रदेश यह महसूस करते हुए कि भारत एक है।

            हमने भावनात्मक संबंधों को बनाए रखने लोगों को भारत की विविधता को समझने और उसकी सराहना करने में सक्षम बनाने के लिए किसी भी राज्य की समृद्ध विरासत और संस्कृति, रीति-रिवाजों और परंपराओं को प्रदर्शित करना, इस प्रकार आम पहचान की भावना को बढ़ावा देना; दीर्घकालिक प्रतिबद्धताओं को स्थापित करने के लिए और

एक ऐसा वातावरण बनाना जो सर्वोत्तम प्रथाओं और अनुभवों को साझा करके राज्यों के बीच सीखने को बढ़ावा देना और स्वयं उनसे सीखने का प्रयास किया।

एक राष्ट्र के रूप में भारत के विचार का जश्न मनाने के लिए, जिसमें विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में विभिन्न सांस्कृतिक इकाइयाँ एकजुट होती हैं और एक-दूसरे के साथ बातचीत करती हैं। हमने विविध व्यंजन, संगीत, नृत्य, शिक्षण अधिगम, थिएटर, हस्तशिल्प, खेल, साहित्य, त्योहार, पेंटिंग, की शानदार अभिव्यक्ति को देखा और यही मैंने खण्ड स्तर पर बी.आर.सी.सी. के रूप में चम्बा खण्ड में विद्यालयों में करवाने का प्रयास किया। और अध्यापकों के सहयोग से सफलता प्राप्त की। बच्चों को बंधन और भाईचारे की सहज भावना को आत्मसात करने में सक्षम बनाने का प्रयास किया।

हिमाचल व केरल में बच्चों को

 जागरूक करना इस भ्रमण का उद्देश्य रहा। जिससे मजबूत नींव पर, देश की भू-राजनीतिक ताकत से सभी को लाभ सुनिश्चित होगी। विभिन्न सांस्कृतिक और आर्थिक क्षेत्रों के घटकों के बीच बढ़ते अंतर-संबंध के बारे में बड़े पैमाने पर लोगों को प्रभावित करना जो राष्ट्र निर्माण की भावना के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

केरल भ्रमण से इस घनिष्ठ अंतर-सांस्कृतिक अंतःक्रियाओं के माध्यम से समग्र रूप से राष्ट्र के लिए जिम्मेदारी और स्वामित्व की भावना पैदा करना, इसका उद्देश्य स्पष्ट रूप से अंतर-निर्भरता मैट्रिक्स का निर्माण करने का प्रयास करना है।

हमारा उद्देश्य विभिन्न प्रकार की व्यावसायिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए अंतर-राज्यीय यात्रा को और बढ़ावा रहा। इस भ्रमण में चम्बा से चार शिक्षकों ने भाग लिया। विद्यालयों के भ्रमण के साथ पद्मनाभम स्वामी मन्दिर, विवेकानंद रॉक कन्याकुमारी, प्रियदर्शिनी विज्ञान भवन, नेपियर संग्रहालय, रविवर्मा आर्ट गैलरी, चिड़ियाघर, विभिन्न मन्दिरों का भ्रमण किया। 

डॉ राजेश सहगल

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