सावन महीने में मां शीतला के दरबार में लगी रौनकें - Smachar

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सावन महीने में मां शीतला के दरबार में लगी रौनकें

सावन महीने में मां शीतला के दरबार में लगी रौनकें



हिमाचल प्रदेश के हरेक कोने में आपको ऐसे दिव्य स्थान, रमणीय स्थान,सैरगाह, घाटियां ,मोड़ अवश्य मिलेंगे जो स्वयं में कई प्रकार के इतिहास ,लोकोतिहास(किंवदंतीय) समेटे हुए हैं जिनकी अपनी स्थानीय लोककल्याणकारी महत्ताएं है जिसके दर्शन हमें पंचांग के अनुसार समय -समय पर यहाँ लगने वाले मेलों, त्योहारों, खेलों,पर्वों में देखने को मिलते हैं । 

प्रदेश के कांगड़ा जिला स्थित बैजनाथ धाम में आजकल सावन मेले की तैयारियां चली हुई हैं , दूर दराज क्षेत्र से व्यापारी ,साध संगत अपने अपने गंतव्य-मंतव्य के साथ बैजनाथ क्षेत्र में पहुंचने लगे हैं ,सावन के यह मेले न केवल बैजनाथ धाम तक सीमित रहते हैं बल्कि महाकाल मंदिर  तक इसकी शोभा देखते ही बनती है । सोमवार के मेलों से शुरु हुए यह पर्व काल़े महीने के शनिवार मेलों तक चलते हैं जिसमें इस क्षेत्र के विभिन्न रंग आपको देखने को मिलते हैं जिनमें जीवंतता है लोकविश्वास है लोकवाणी है और लोक आस्था है.लोकपर्व वैदिककालीन  सभ्यता को साथ लिए |

आस्था ऐसा भाव है जो भाव में भगवान को ढूंढता है ,भाव चाहे जैसा भी हो ,सुख का हो दुख का हो पीड़ा का हो चाहे सृजन. का हो भाव अपने ईश्वर को ढूंढ ही लेता है और नतमस्तक होकर एकाकार. होकर अपने इश्वरीय तत्व से मुश्किल रास्तों में ,घड़ियों में अमरसत्ता से किसी न किसी प्रकार का आशीर्वाद, सहारा पा ही लेता है.। 

बैजनाथ क्षेत्र में ऐसे कई स्थान है जहाँ भाव गंगाएं बहती हैं चाहे वो खीर गंगा घाट हो , अमर बैजनाथ धाम हो ,दशानन तपोस्थली के अन्य मंदिर हों चाहे अवाही नाग हो चाहे महाकाल मंदिर हो ,बाबा काठक हो,नवग्रह मंदिर हो ,मुगुलिया महादेव हो, गढ़ माता मंदिर हो ,मुकुटनाथ मंदिर हो ,डमरू महादेव मंदिर हो चाहे सिमसा माता हो चाहे त्रिवेणी संगम हो , हर स्थान का अपना विशेष महत्व है ।  

आज मैं आपको बैजनाथ चोबीन चौक से महाकाल की ओर ले जा रहा हूं जहाँ हम चौक से मुड़ते ही सीधे महाकाल मंदिर की ओर आते हुए रेलवे ओवर ब्रिज को पार कर तकियां में संत राम दास के दर्शानार्थ बाद बैजनाथ तहसील बाजार से गुजरते.हुए ,बैजनाथ महाविद्यालय और चाय फैक्टरी भवन उपरांत आप उस्तेहड़ गाव पहुंचेगें तो हमें एक तरफ एक टैंटनुमा दुकान साल के हर समय खुली मिलेगी जहां जलेबियाँ, रस ,पकौड़े आदि सारा साल मिलते हैं और दूसरी तरफ दर्शन होंगे शीतला माता भवन के । 

शीतला माता उस्तेहड़ (बैजनाथ,) मंदिर की भीतरी परिक्रमा करने पर हमें देवी शीतला के साथ साथ अन्य देवी देवताओं के मूर्ति रूप में भव्य दर्शन होंगे साथ ही हनुमन दर्शन भी । शीतला माता की मूर्ति के पास बना जलकुंड अपनी विशेषता के लिए विख्यात है कि इस जलकुंड का पानी आंखों में लगाने,डालने या आंखें धोने से नेत्र विकार दूर हो जाते हैं ।.माता का यह मंदिर सदियों पुराना है जो अनन्य इतिहास भी स्वयं में समेटे है नवरात्रों के दिनों यहां भंडारे का आयोजन भी होता है । 

आजकल खूब रौणक है शीतला माता मंदिर आस पास । मंदिर में भक्त जनों का खूब आना जाना है , मंदिर बाहर अभी तीन दुकानें टैंटनुमा लग गई हैं जहाँ हम प्रसाद सहित मेला मिठाई खरीद खा सकते है घर भी ले जा सकते हैं खूब जलेबियाँ बनती हैं साथ ही साथ शीतला माता मंदिर में दर्शन कर देवी देव आशीर्वाद पाकर ,जल कुंड से जल ले आंखें धो हम निर्मल आंखों का आशीर्वाद पा सकते हैं,नेत्र विकार से मुक्ति पा सकते हैं  । 


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