आखिर पालमपुर के नेता टूरिज्म विलेज पर क्यों हैं खामोश : त्रिलोकपुर
आखिर पालमपुर के नेता टूरिज्म विलेज पर क्यों हैं खामोश : त्रिलोकपुर।
यह शब्द भाजपा के प्रदेश महामंत्री त्रिलोक कपूर ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
कपूर ने कहा कि जिस प्रकार से प्रदेश की कांग्रेस सरकार कमीशन खोरी की आड़ में प्रदेश में नए दिन नई घटना को अंजाम दे रही है उसमें पालमपुर भी अछूता नहीं रहा है। उन्होंने कहा कि पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय जैसे विद्या मंदिर के आंगन में टूरिज्म विलेज की आड़ में एक बड़ी कमीशन खोरी की बड़ी बदबू आ रही है। लेकिन इसके बावजूद कुछ राजनीतिक नेताओं के मुंह में क्यों ताला लगा हुआ प्रदेश महामंत्री ने कहा कि वास्तव में यह भूमि चाय बागान की थी
लेकिन वर्ष 1960 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इस जमीन का स्वरूप बदलकर नेशनल बायोलॉजी रिसर्च इंस्टीट्यूट (NBRI) के लिए स्थानांतरित किया थी। इसी तरह उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में फॉरेस्ट रिसर्च सेंटर बने, उसके लिए भी ऐसे प्रयास किए थे। देहरादून में तो FRI की स्थापना हो गई, लेकिन पालमपुर में NBRI नहीं बन पाया और बाद में इस भूमि को पंजाब एग्रीकल्चर कॉलेज के नाम पर दे दिया गया था। उसके पश्चात वर्ष 1978 में जनता पार्टी के सरकार के प्रयासों से चौधरी सरवन कुमार कृषि विश्वविद्यालय के रूप में प्रदेश व देश के किसानों की सेवा कर रहा है।भाजपा नेता ने कहा कि दुर्भाग्यवश लगभग लगातार 40 वर्ष तक शासन करने वाली कांग्रेस की केंद्र सरकार नेशनल बायोलॉजी रिसर्च इंस्टीट्यूट स्थापित नहीं कर पाई। और अब फिर वही प्रदेश में सत्तारूढ़ कांग्रेस की सरकार उसी कृषि के विद्या मंदिर का व्यापरीकरण करने के लिए एक बहुत बड़े षड्यंत्र के तहत लगभग 2000 करोड़ रूपए मूल्य की जमीन को एक भ्रष्टाचार के तहत भारी कमीशन रखकर अपने चहेतों को खुश करने के लिए सेल आउट कर रही है।
उन्होंने कहा कि इसी जमीन में CSIR, IHBT, यूनिवर्सिटी की अपनी एक गाय की डेरी है और उन गायों को ऐसी खाली जमीन पर चराने के लिए कृषि वैज्ञानिकों के अलग-अलग रूप से कई शोध के केंद्र हैं। जिसके लिए भी बहुत बड़ी भूमि की आवश्यकता रहती है।
उन्होंने कहा कि हम सब यह जानते हैं कि टूरिस्ट विलेज की आड़ में यहां पर असंख्य 5 स्टार होटल, पब डिस्को सेंटर जब खुलेंगे तो यह हम सब जानते हैं कि कृषि विश्वविद्यालय में शैक्षणिक वातावरण कैसा होगा।
भाजपा नेता कपूर ने कहा कि सीड कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया के पास कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर का 2022 में एक एमओयू साइन हुआ है, जिसकी पहले इंस्टॉलमेंट भी आ चुकी है और उस बीज उत्पादन केंद्र के लिए 75 हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता है यही नहीं इसी ही विश्वविद्यालय के अंतर्गत कृषि इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना का जो विषय है वह केंद्र सरकार में विचाराधीन है और यही नहीं पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय को नॉर्थ वेस्ट हिमालय की सेंट्रल यूनिवर्सिटी के रूप में स्वीकृति दी जाए इसके लिए भी केंद्र सरकार विचार कर रही है। अब इसके बावजूद हम इस कृषि शिक्षा मंदिर को सरकार के चहेते कमीशन खोरों के हाथ न बिकने देंगे और ना ही इसका व्यापरीकरण होने देंगे। अगर माननीय उच्च न्यायालय का दरवाजा भी खटकाना पड़ेगा तो भी बिल्कुल संकोच नहीं किया जाएगा
भाजपा नेता ने कहा, उम्मीद करता हूं कि पालमपुर के ऐसे सभी बड़े नेता इस टूरिज्म विलेज के विषय को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट करेंगे कि वह इसके पक्ष में है या नहीं ।
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