पीएम मोदी ने वॉर मेमोरियल में शहीद जवानों को दी श्रद्धांजलि - Smachar

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पीएम मोदी ने वॉर मेमोरियल में शहीद जवानों को दी श्रद्धांजलि

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज कारगिल विजय दिवस की 25वीं वर्षगांठ पर देश वीर जवानों को श्रद्धांजलि देने के लिए कारगिल पहुंचे हैं। प्रधानमंत्री लदाख स्थित कारगिल वॉर मेमोरियल पहुंचें और यहां उन्होंने कारगिल युद्ध के दौरान शहीद हुए जवानों को पुष्प अर्पित किये। इसमें बड़ी संख्या में कारगिल युद्ध के दौरान अपने प्राण न्यौछावर करने वाले बहादुरों के परिजन, वीरता पुरस्कार विजेता और वरिष्ठ अधिकारी मौजूद है।




इससे पहले पीएम मोदी ने एक्स पर पोस्ट करके लिखा 26 जुलाई भारत के हर नागरिक के लिए खास दिन है। हम कारगिल विजय दिवस की 25वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। यह दिन देश के जवानों को याद करने का है जिन्होंने देश की रक्षा में अपने प्राण न्योछावर कर दिए।

मैं कारगिल वॉर मेमोरियल जाऊंगा और वहां देश की वीर बहादुरों को श्रद्धांजलि अर्पित करूंगा। इसके साथ ही शिंकुन ला टनल प्रोजेक्ट की भी शुरुआत करूंगा। यह प्रोजेक्ट खराब मौसम में लेह में कनेक्टिविटी को बेहतर करने में अहम भूमिका निभाएगा।

प्रधानमंत्री के दौरे को देखते हुए यहां सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। द्रास में स्थित कारगिल वॉर मेमोरियल के पास सुरक्षा को काफी बढ़ा दिया गया है। इस दौरान पीएम मोदी शिंकुन ला सुरंग परियोजना के लिए पहले विस्फोट का भी वर्चुअली शुभारंभ करेंगे।

शिंकुन ला सुरंग परियोजना में निमू-पदुम-दारचा रोड पर लगभग 15,800 फीट की ऊंचाई पर 4.1 किलोमीटर लंबी ट्विन-ट्यूब सुरंग का निर्माण शामिल है। इस सुरंग का उद्देश्य लेह को हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करना है। इ सुरंग के एक बार पूरा हो जाने पर यह दुनिया की सबसे ऊंची सुरंग होगी।

आपको बता दें कि पाकिस्तान के साथ हुई कारगिल जंग 3 मई 1999 से 26 जुलाई 1999 तक लड़ी गई थी| 26 जुलाई को भारतीय सेना ने जीत हासिल की थी| तब से इस तारीख को कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है| 1999 से पहले भारत और पाकिस्तान के बीच एक समझौता हुआ था कि दोनों ही देश के सैनिक सर्दियों में उन इलाकों में अपने जवानों की तैनाती नहीं करेंगे, जहां पर बर्फ जमा होगी|

पाकिस्तान के साथ हुए समझौते का भारत ने तो इस समझौते का पालन किया था, लेकिन पाकिस्तान ने धोखे के तहत सर्दियों में इन पहाड़ियों पर कब्जा कर लिया था. इसमें द्रास, टाइगर हिल और कारगिल समेत कई अहम इलाकों पर वो पहुंच गए थे| करीब 134 किमी के दायरे में पाकिस्तानियों ने अपनी पैठ बना ली थी|  कारगिल युद्द के दौरान 3 महीने में भारत ने अपने 527 जवानों को खोया था| इस युद्द में 1363 जवान घायल हुए थे।

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