हिमाचल साहित्य में पहली बार इतिहास का एक नया कदम पड़ा है । - Smachar

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हिमाचल साहित्य में पहली बार इतिहास का एक नया कदम पड़ा है ।

 हिमाचल साहित्य में पहली बार इतिहास का एक नया कदम पड़ा है ।


हिमाचल में अधिकतर साहित्य लोक भाषा
, हिंदी और अंग्रेजी में अभी तक सामने आया है । विश्व स्तर पर अंग्रेजी साहित्य जगत चर्चित के नाम रुस्किन बॉन्ड, सलमान रुश्दी, अमृता शेरगिल, सोभा सिंह की जड़ें कहीं न कहीं हिमाचल से जुड़ी हैं । आज के साहित्यकारों में अंग्रेजी साहित्य को बढ़ाने वाले नामों में बिलासपुर से अभ्युदिता गौतम सिंघा, कांगड़ा से पंकज दर्शी, मोहन शर्मा, हरजिंदर चीमा, सुशील फुल, शिमला से कुंवर दिनेश सिंह, उषा वंदे, मनीषा एफ पॉल आदि हैं जिन्होंने अंग्रेजी साहित्य को आगे बढ़ाने के लिए अपने अथक प्रयास किए हैं । वहीं हिंदी और लोक भाषा में बहुत से नाम जुड़े हैं । अनुवाद में अंग्रेजी से हिंदी और हिंदी से अंग्रेजी में कविताओं, कहानियों का अनुवाद अनुवाद प्रकाशित हुआ है लेकिन हिंदी में रचित उपन्यासों का अंग्रेजी में पहली बार अनुवाद हुआ है । प्रदेश के चर्चित कथाकार त्रिलोक मेहरा के मुंडू और गंगाराम राजी के जोरावर सिंह कहलूरिया उपन्यास को पंकज दर्शी ने मात्र 6 महीनों में करके जहां एक ओर हिमाचल में रचित साहित्य में अनुवाद का बड़ा अध्याय जोड़कर इतिहास रचा है वहीं 6 माह में लगभग 1 लाख से अधिक शब्दों को बेहतरीन तरीके से अनुवाद करके अपने साहित्य कौशल का परिचय दिया है ।

उपन्यासों के अनुवाद से पंकज दर्शी का मंतव्य विश्व भर के पाठकों और समीक्षा विद्वानों तक हिमाचल की जीवनशैली , राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक आदि वस्तुओं को पहुंचकर पहचान दिलाना है ।

वे चाहते हैं कि हिमाचल को जहां पर्यटन और सेब के लिए जाना जाता है वहीं इसके सामाजिक परिवेश से भी लोग अवगत हों ।

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