उपायुक्त ने किया अग्निशमन सेवा सप्ताह का शुभारम्भ - Smachar

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उपायुक्त ने किया अग्निशमन सेवा सप्ताह का शुभारम्भ

 उपायुक्त ने किया अग्निशमन सेवा सप्ताह का शुभारम्भ


शिमला : गायत्री गर्ग /

अग्निशमन सेवा सप्ताह देश भर में प्रति वर्ष 14 अप्रैल से 20 अप्रैल तक मनाया जाता है। इस वर्ष का विषय प्रसंग है।- "अग्नि सुरक्षा सुनिश्चित करें, राष्ट्रीय निर्माण में योगदान दें इस अग्निशमन सेवा सप्ताह का शुभारंभ माननीय उपायुक्त महोदय, जिला शिमला श्री अनुपम कश्यप जी के कर कमलों द्वारा शहीदों को श्रद्धांजलि देकर च द्वीप प्रज्वलित करके किया गया। मौके पर मुख्य अग्निशमन अधिकारी, श्री संजीव कुमार, स्थानीय अग्निशमन अधिकारी, श्री मनसा राम, उप अग्निशमन अधिकारी भी भगत राम, उप अग्निशमन अधिकारी श्री गोपाल दास, उप-अग्निशमन अधिकारी श्री मनसा राम, उप अग्निशमन अधिकारी श्री सत्य प्रकाश तथा उप अग्निशमन अधिकारी श्री जगदीश राज के अलावा शिमला शहर से स्थित अग्निशमन केन्द्रो के कर्मचारी भी उपस्थित रहे। 

अग्निशमन सेवा सप्ताह के दौरान प्राथमिक अग्निशमन उपकरणों का चलाने तथा अग्नि से सुरक्षा व बचाव इत्यादि से सम्बन्धित जानकारी वारे सार्वजनिक स्थलों, औद्योगिक क्षेत्रों, शैक्षिक संस्थानों, सरकारी/गैर सरकारी कार्यालयों तथा स्थानीय निकायों इत्यादि में जागरूकता पैदा करने के लिए प्रदर्शन एवं प्रशिक्षण इत्यादि आयोजित किये जाएगे। अग्निशमन सेवा सप्ताह प्रतिवर्ष 14 अप्रैल से 20 अप्रैल तक देश भर में, 14 अप्रैल 1944 को मुंबई में लोगों की जान व माल की रक्षा करते हुए 66 अग्निशमन कर्मी गौरवमयी गौत को प्राप्त हुप शहीदों को श्रद्धा सुमन अर्पित करने के उपलक्ष में मनाया जाता है। 14 अप्रैल 1944 को मुंबई की विक्टोरिया डॉक पर मालवाहक समुद्री जहाज खड़ा था। जिसमें सांय 4:40 मिनट पर हुए भंयकर विस्फार्टी की गर्जना से पूरा मुम्बई शहर हिल गया था। इस जहाज में लगभग 1200 टन विस्फोटक, रुई की गाठे, तेल के इनों के अलावा खाद्यान्न व अन्य सामान लदा हुआ था। विस्फोटों की तीव्रता इतनी भयंकर थी, कि आग मुम्बई शहर के चारों तरफ फैल चुकी थी व आग की लपटों को मीलो दूर से देखा जा सकता था। समीपवर्ती मार्ग, इमारतें, रेलवे ट्रैक, विद्युत केन्द्र इत्यादि विध्वंस हो चुके थे। आग की लपटों से शहर को खतरा हो गया था और दूसरे दिन 15 अप्रैल को तत्काल सत्तासीन प्राधिकारियों द्वारा शहर के मध्य भाग में डायनामाईट द्वारा फायर लेल बजाने का आदेश भी दिया गया था, ताकि कम से कम आधे शहर को बचाया जा सके, किन्तु फायर ऑफिसर जोरमल कूम जिन्हें अपने बहादुर जवानों पर पूरा भरोसा था, ने यह जानते हुए भी कि इस कार्य में फायर फाईटरों की जान का नुकसान हो सकता है, को मानने से इनकार कर दिया व अपने कार्य को अंजाम देने में आहिम रहे। यह आग सौ एकड़ से भी ज्यादा क्षेत्र में फैल चुकी थी। जिसे नियंत्रित करने के लिए कई सप्ताह था समय लगा, जबकि खाद्यान और रूई की गाठों से कई महीनों तक सुलगते रहने के कारण धुआं निकलता रहा। आखिरकार अग्निशमन कर्मी अपने अभियान में सफल रहे और मुम्बई शहर को बचा लिया गया। 

 किन्तु अफसोस है कि इस विनाशकारी अग्नि दुर्घटना में हजारों लोगों की जाले चली गई। आज तक इसका सही आंकड़ा प्राप्त नहीं हुआ है। हां, इस अग्नि दुर्घटना में फंसे जहाज कर्मी, सरकारी कर्मचारी व अधिकारियों का ब्यौरा निम्न प्रकार से हैः- संस्था मृत अथवा लापता पायल मुम्बई पोर्ट ट्रस्ट आंकड़े प्राप्त नहीं जहाज में सवार कमी खेला 41 15 OT 14 30 जल सेना 160 मुम्बई पुलिस 55 अभ्य 04 165 इनके अलावा लोगों की जान व माल की रक्षा करते हुए 66 अग्निशमन कर्मी गौरवमयी गीत को प्राप्त कर शहीद हुए लया 83 अग्निशमन कर्मी घायल हुए। इन अग्निशमन कर्मियों की कुर्बानी को देखते हुए मुंबई अग्निशमन मुख्यालय बायकुला में शहीदों को श्रद्धा सुमन अर्पित करने के लिए एक स्मृति स्तम्भ का निमार्ण करवाया है। इस दिवस को प्रदेश के साथ साथ पूरे भारत वर्ष में 14 अप्रैल से 20 अप्रैल तक अग्निशमन सप्ताह के रूप में मनाया जाता है। अग्निशमन कर्मियों की कुर्बानियों से हिमाचल प्रदेश भी अछूता नहीं रहा है जून माह वर्ष 2009 में, मैसर्ज एडवॉन्टिक उद्योग, नालागढ़, जिला सोलन में हुए भीषण अग्निकांड में 9 व्यक्तियों की मृत्यु हुई, जिसमें 02 अग्निशमन सेवा विभाग के कर्मियों की शहादत भी शामिल है। इस वर्ष अग्निशमन सप्ताह "अग्नि सुरक्षा सुनिश्चित करें, राष्ट्रीय निर्माण में योगदान दें" संकल्प के साथ मनाया जा रहा है। प्रदेश के सभी जिलों के अग्निशमन सप्ताह के दौरान हिमाचल प्रदेश अग्निशमन विभाग के समस्त अग्निशमन इकाइयों में तैनात अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा विभिन्न सार्वजनिक स्थलों, औद्योगिक क्षेत्रों, शैक्षिक संस्थानों, सरकारी/गैर सरकारी कार्यालयों तथा स्थानीय निकायों इत्यादि में अग्नि सुरक्षा से सम्बन्धित जानकारी देगें, ताकि अग्नि दुर्घटना से होने वाले जान व माल के नुकसान को कम किया जा सके।

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