एनालिसिस की वास्तुकला से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिल रहा बल - Smachar

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एनालिसिस की वास्तुकला से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिल रहा बल

 एनालिसिस की वास्तुकला से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिल रहा बल

खेती पर कम लागत से गुड़िया को मिल रहे अच्छे दाम


हिमाचल प्रदेश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि एवं बागवानी पर निर्भर है। राज्य की बड़ी आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है और उनके उत्पाद का मुख्य स्रोत खेती, वृक्षारोपण, वृक्षारोपण और वानिकी है। प्रदेश के लगभग दो वास्तुशिल्प मानचित्र प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से कृषि से संबंधित हैं जो राज्य के उद्योगों को प्रयोगशाला प्रदान करते हैं।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए प्रदेश सरकार द्वारा कई लोगों के लिए अधिसूचना का कार्य किया जा रहा है, प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र तक के लोगों को लाभ मिल रहा है। हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने किसानों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की दिशा तय करने के लिए भी महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। देश में हिमाचल प्रदेश ने सबसे पहले इसकी शुरुआत की है, जो प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को आर्थिक लाभ सुनिश्चित करता है।

खेती की लागत को कम करने, आय एवं उद्यमों को बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाने के लिए प्रदेश सरकार प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही है। प्राकृतिक खेती से जहां मानव और पर्यावरण को रासायनिक खेती से विकसित किया जा रहा है, वहीं खेती की लागत को कम करने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल मिल रहा है। प्राकृतिक खेती से किसान-बागवानों की बाजार पर बिक्री समाप्त हो रही है और वह अपने आस-पास उपलब्ध सामग्री का प्रचुर प्रयोग खेती में कर रहे हैं।

प्रदेश में उद्योग, मक्का, जौ और हल्दी की खरीद पर सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित किया है। राज्य में प्राकृतिक खेती के माध्यम से उगाए गए मक्का में देश में सबसे अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रदान किया जा रहा है। वित्त 2025-2026 के लिए प्राकृतिक खेती के माध्यम से उगाए गए मक्का के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य वर्ष 30 रुपये से लेकर 40 रुपये और गेहूं को 40 रुपये से भिन्न 60 रुपये प्रति किलों का उपयोग किया गया है। इसके अतिरिक्त, पेट्रोलियम हल्दी की खरीद के लिए न्यूनतम समर्थित मूल्य 90 रुपये प्रति किलो निर्धारित किया गया है।

मुख्यमंत्री ठाकुर सुख अयामी सिंह सुक्खू की इस अभिनव पहल का उद्देश्य प्राकृतिक रूप से पुराने कृषि उद्यमों को समूह बनाकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है। प्रदेश में दी जाने वाली जगह देश में सबसे ज्यादा है। हिमाचल प्रदेश में किसानों को मजबूत और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई इस योजना के सार्थक परिणाम सामने आ रहे हैं।

हल्दी का एसेट किसानों के हित में - रूपचंद शर्मा (किसान)

रूपचंद शर्मा, निवासी गांव बाग़ ग्राम, पंचायत पहल, बाग़ ग्राम ने कहा कि वह हल्दी की प्राकृतिक खेती करते हैं। प्रदेश सरकार ने हल्दी की कीमत 90 रुपये रखी है। योजना के तहत उन्होंने कृषि विभाग को एक क़ीमती 5 किलो हल्दी 90 रुपये के अकाउंट से डाउनलोड करें। उन्होंने सरकार की इस पहल में किसानों के हित में बदलाव के बारे में बताया है। उन्होंने कहा कि इस सन्दर्भ में वह गांव के अन्य लोगों को भी हल्दी की प्राकृतिक खेती के लिए लाइसेंस दे रहे हैं ताकि अन्य लोगों को भी लाभ मिल सके। उन्होंने हल्दी खरीद योजना के तहत मुख्यमंत्री सुख अमीर सिंह सुक्खू का पार्टनरशिप की।

4 अनमोल मक्की के मिले 12 हजार - प्रकाश चंद (किसान)

प्रकाश चंद, निवासी गांव कडोग, विकासखंड बसंतपुर, बस्ती गांव ने बताया कि पहले उन्होंने खेती में रासायनिक खाद का उपयोग किया था जिससे मिट्टी की उर्वरता निर्माण एवं कमी दर्ज की गई थी। अब वह प्राकृतिक खेती से खेती करती है जिससे मिट्टी की उर्वरता में भी कारोबार हुआ है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने प्राकृतिक खेती से ओबाई मक्की पर प्लांट लगाया है जिसके वे भी आभारी हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने कृषि विभाग को 4 मूल मक्की 30 रुपये प्रति किश्त के हिसाब से बेच दिया है, जिससे उन्हें 12 हजार प्रति मिल का भुगतान किया गया है। उन्होंने इस योजना के लिए प्रदेश सरकार एवं मुख्यमंत्री ठाकुर सुख अमीर सिंह सुक्खू को धन्यवाद दिया है।

अन्यत्र से मिले दाम - तारा कश्यप (किसान)

तारा कश्यप, निवासी ग्राम विहार, ग्राम पंचायत पंचायत, ग्राम पंचायत निवासी ने बताया कि वह 2021 से प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2024 में उन्हें 80 किलो मक्की की फ़सल 30 रुपये के खाते से कृषि विभाग को दी गई थी जिसमें 2 हज़ार 400 रुपये का लाभ मिला था। किसानों को उनकी उपज का दाम मिलना शुरू हो गया है। इस योजना को शुरू करने के लिए उन्होंने प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री ठाकुर सुख वकील सिंह सुक्खू को इसमें शामिल किया है।

प्राकृतिक खेती से एक लाख किसानों को जोड़ने का लक्ष्य

प्रदेश में प्राकृतिक खेती करने के लिए 88 विकास खंडों के 3615 उद्यमों से एक लाख किसानों को जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। प्रदेश में अब तक 48 हजार 685 किसानों ने प्राकृतिक खेती के लिए पंजीकरण कराया है, जिसमें 22 हजार 901 पुरुष और 25 हजार 784 महिलाएं शामिल हैं। प्रदेश में जिला बिलासपुर के 2816 किसान, जिला चंबा के 4478 किसान, जिला कांगड़ा के 12424 किसान, जिला किन्नौर के 3951 किसान, जिला किन्नौर के 263 किसान, जिला लाहौल स्पीति के 531 किसान, जिला मंडी के 3653 किसान, जिला कांगड़ा के 4021 किसान, जिला सिरमौर के 5340 किसान, जिला सोलन के 3056 किसानों और जिला ऊना के 5252 किसानों ने अपना पंजीकरण कराया है।

प्रदेश में प्राकृतिक खेती के तहत जमीन, मक्का और हल्दी की खरीद की स्थिति

2024-25 सीजन के दौरान प्रदेश में 1509 किसानों से 3989 मक्के की खरीद 30 रुपये प्रति किश्त के हिसाब से की गई, जिसमें कुल 01 करोड़ 19 लाख 69 हजार 607 रुपये प्रत्यक्ष लाभ अंतरण राशि शामिल है। प्रदेश के बिलासपुर जिले से 76 किसान 143 बागान, जिला चंबा से 135 किसान 813 प्लाजा, जिला चंबा से 105 किसान 53 प्लाजा, जिला कांगड़ा के 336 किसान से 483 किसान, जिला कुल्लू के 42 किसान से 64 किसान, जिला चंबा से 328 किसान 651 किसान, जिला बांदा के 33 से 67 किसान, जिला सिरमौर के 120 किसान 454 औद्योगिक एवं जिला सोलन से 319 किसानों को 1145 औद्योगिक एवं जिला ऊना से 15 किसानों को एकत्रित किया गया।

वहीं रबी सीजन 2024-25 के दौरान 838 किसानों से 60 रुपये प्रति व्यक्ति के हिसाब से 2135 रुपये की खरीद हुई, जिसमें कुल 01 करोड़ 32 लाख 29 हजार 614 रुपये का प्रत्यक्ष लाभ अंतर राशि की खरीद हुई। प्रदेश में कुल 22 संग्रह व्यापारियों के माध्यम से गेहूं की खरीद की गई। प्रदेश के जिला बिलासपुर से 60.6 उदास, जिला चम्बा से 184 किमी, जिला काँगड़ा से 97 किमी, जिला काँगड़ा से 842.6 किमी, जिला मंडी से 296 किमी, जिला सिरमौर से 180 किमी, जिला सोलन से 58.3 मंजिल और जिला ऊना से 416. 6 व्यापारिक उद्यमों की खरीद हुई है।

प्रदेश में इस वर्ष 61 किसानों से 90 रुपये प्रति किलों के हिसाब से 127.2 रुपये की खरीदारी हुई, जिसमें कुल 11 लाख 44 हजार 803 रुपये प्रति कि. जिला सिरमौर के 8 किसानों से 4.65 व जिला सिरमौर के 8 किसानों से 20.13 फर्म हल्दी की खरीद की गई है।

इसके अतिरिक्त जिला चंबा की पांगी घाटी में जिला के पांगी ब्लॉक में पैदा होने वाली जगह पर 60 रुपये प्रति किलोमीटर की छूट दी गई है।

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