किसानों के घर द्वार पहुंचकर कृषि विभाग ने फसलों की पैदावार व मंडीकरण पर की चर्चा - Smachar

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किसानों के घर द्वार पहुंचकर कृषि विभाग ने फसलों की पैदावार व मंडीकरण पर की चर्चा

 किसानों के घर द्वार पहुंचकर कृषि विभाग ने फसलों की पैदावार व मंडीकरण पर की चर्चा 

उपलब्ध करवाए गए मक्की के बीज से हुई पैदावार का लिया जायजा

वेमौसमी सब्जी का उत्पादन कर किसान कर सकते आर्थिक को सुदृढ़


चम्बा : जितेन्द्र खन्ना /

उपनिदेशक कृषि डॉ कुलदीप धीमान और उनकी टीम द्वारा गांव सरोल तथा मंगला के किसानों से मुलाकात कर मक्की की विभिन्न किस्मों से किसानों को मिली पैदावार से संबधित प्रतिक्रिया को जाना।

उपनिदेशक कृषि ने कहा कि कृषि विभाग द्वारा किसानों को विभिन्न फसलों के सुधरी किस्मों के बीज 50 प्रतिशत अनुदान पर उपलव्ध करवाए जाते हैं ताकि किसान कम दाम देकर अच्छी पैदावार ले सकें I उन्होंने कहा कि इन्हीं फसलों के काटने के बाद किसानों से फसल की विभिन्न किस्म से निकली पैदावार से संबंधित प्रक्रियाएं ली जाती है ताकि अगले वर्ष किसानों को उनकी प्रतिक्रिया के अनुसार केवल अधिक पैदावार देने वाले किस्म के बीज ही उपलब्ध करवाए जाएं। उन्होंने बताया कि इसी कड़ी में इन दो गावों का दौरा कर पैदावार की प्रतिक्रियाएं हासिल की गई।

डॉ. धीमान ने किसानों से प्रतिक्रिया लेने के बाद जानकारी दी कि उन्होंने सम्बंधित विकास खंड के कृषि अधिकारियों के साथ गांव सरोल तथा मंगला के 6 किसानों से भेंट की तथा मक्की की अधिक पैदावार देने वाली अच्छी किस्मों के भुट्टे इकत्रित किए ताकि अगले वर्ष अन्य किसानों को इन किस्मों का अधिक से अधिक बीज उपलब्ध करवाया जा सके I उन्होंने कहा कि जिन किसानों ने फॉल आर्मी वर्म नाम के कीड़े के नियंत्रण के लिए समय पर कीटनाशक दवाई का छिडकाव नहीं किया था उन किसानों को पैदावार में नुक्सान हुआ है I

इसी दौरे के दौरान उन्होंने गांव हथेडी डाकघर मंगला के किसान महेंद्र सिंह के खेतों का भ्रमण भी किया।महेंद्र सिंह ने अभी अपने खेतों में वेमौसमी गोभी, मूली व पालक की फसल उगाई है जो की बिक्री के लिए तैयार है।

 डॉ कुलदीप ने कहा कि महेंद्र सिंह लंबे अरसे से वेमौसमी सब्जियों की खेती कर रहे हैं स्थानीय बाजार में इन्हें सब्जी के अच्छे दाम भी मिल जाते हैं और इससे उनकी अर्थिकी भी सुदृढ हो रही है। उन्होंने फसल की और अधिक पैदावार के लिए किसान को खेतों में फवारा सिंचाई प्रणाली भी स्थापित करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि सिंचाई प्रणाली से समय पानी की भी बचत होगी और पैदावार भी अधिक होगी।

उपनिदेशक ने कहा कि जिला में विविध जलवायु होने के कारण बेमौसमी सब्जियों के उत्पादन के लिए यहां पर अधिक संभावनाएं हैं उन्होंने किसानों से आह्वान भी किया है कि किसान वेमौसमी सब्जी उगाकर अपनी आमदनी को बढ़ा सकते हैं और बेरोजगार युवक सब्जी उत्पादन से स्वरोजगार के साधन प्राप्त कर सकते हैं।


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