बैसाख मास की शुक्ल पक्ष को बुद्ध पूर्णिमा का योग 5 मई को बन रहा, इस दिन करें यह काम होगी धन की वर्षा - Smachar

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बैसाख मास की शुक्ल पक्ष को बुद्ध पूर्णिमा का योग 5 मई को बन रहा, इस दिन करें यह काम होगी धन की वर्षा

बैसाख मास की शुक्ल पक्ष को बुद्ध पूर्णिमा का योग 5 मई को बन रहा, इस दिन करें यह काम होगी धन की वर्षा 


माना जाता है कि भगवान बुद्ध ने ही बौद्ध धर्म की आधारशिला रखी थी। तो वहीं हिंदू धर्मे के लोग उन्हें भगवान विष्णु का 9वां अवतार मानते हैं इसलिए ये दिन दोनों धर्में के लोगों के लिए खासा महत्व रखता है।

भगवान बुद्ध का जन्म ईसा से 563 साल पहले लुम्बिनी वन में हुआ था और उन्हें ज्ञान की प्राप्ति बोधगया में हुई थी तो वहीं कुशीनगर में उनका महापरिनिर्वाण हुआ था। सत्य, ज्ञान और त्याग के स्पष्ट प्रमाण महात्मा बुद्ध का हर कथन जीवन के सार को प्रकट करता है। उनके बताए रास्ते पर चलना वाला इंसान कभी भी दुख, क्रोध, लाभ और काम के मोह में नहीं आता है। इस खास दिन पर देश के कई राज्यों में अलग-अलग तरह के धार्मिक आयोजन होते हैं  

महात्मा बु्द्ध के बताए सिद्धांत


अहिंसा: सब लोग अहिंसा का पालन करें, छोटे जीवों पर प्रहार ना करें।

सत्य: सब लोगों को सच बोलना चाहिए, असत्य से कुछ भी हासिल नहीं होता।

अस्तेय: चोरी करना पाप है, इसे नहीं करना चाहिए।

अपरिग्रह: जरूरत भर ही संपत्ति रखें।

ब्रह्मचर्य: काम इंसान का शत्रु है इसलिए ब्रह्मचर्य का पालन करें।

अविलासिता: मद से दूर रहें। सुखी बिस्तर पर ना सोएं।

मद्यपान से दूरी: नशा दिमाग का शत्रु है इससे दूर रहें।

कंचन कामिनी और भोजन का त्याग: मतलब इंसान को स्वर्ण, स्त्री से दूर रहना चाहिए और भोजन एक ही समय करना चाहिए इससे इंसान दुख और लोभ से दूर रहता है उसका मन नियंत्रित रहता है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, बुद्ध पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी की आराधना करना विशेष लाभप्रद रहता है। यदि आप इस दिन ग्रहण काल में मां लक्ष्मी के महामंत्र 'ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद-प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम:' अथवा 'ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं ॐ स्वाहा:' का तुलसी की माला से ग्यारह माला (1100 बार) जप करें। इस उपाय से 15 दिनों में ही धन संबंधी सभी समस्याएं दूर होने लगती हैं और भाग्य में राजयोग बनता है।

इस दिन निदिन पानी और दूध को एक साफ बर्तन में डालकर अपने सिरहाने रखकर सोएं। फिर अगगले दिन सुबह इस पानी और दूध को कीकर के वृक्ष की जड़ में डाल दें।

यदि आप चंद्रमा से संबंधित वस्तुएं यथा सफेद फूल, सफेद कपड़े, चावल, चीनी, दही आदि का दान कर सकते हैं। इससे चंद्रमा का अशुभ प्रभाव दूर होगा और मां लक्ष्मी की भी कृपा प्राप्त होगी।


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