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मोहिनी एकादशी व्रत आइए जानें कब,इस दिन बनेगें शुभ योग

मोहिनी एकादशी व्रत आइए जानें कब,इस दिन बनेगें शुभ योग


मोहिनी एकादशी व्रत का धार्मिक दृष्टिकोण से विशेष महत्व है. लेकिन इस वर्ष पड़ने वाली मोहिनी एकादशी ज्योतिष दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण बताई जा रही है. क्योंकि इस बार मोहिनी एकादशी के दिन कई शुभ चीजें होनी वाली है।इसे मोहिनी एकादशी इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि इसी तिथि पर भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार धारण किया था।

ज्योतिष दृष्टिकोण से इस साल 19 मई को पड़ने वाली मोहिनी एकादशी तिथि पर कई दुर्लभ संयोग बन रहे हैं, जिससे प्रभाव से यह एकादशी और भी फलदायी मानी जा रही है।

तिथि दशमी 11:22:09 तक ,तिथि एकादशी 13:49:30 तक 

मोहिनी एकादशी का व्रत 19 मई को रखा जाएगा. इस दिन रविवार है. रविवार का शुभ दिन होने और साथ ही हस्त नक्षत्र पर पड़ने कारण मोहिनी एकादशी व्रत का दोगुना फल प्राप्त होगा.

19 मई को मोहिनी एकादशी पर सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग का निर्माण होगा. ज्योतिष में इन योग को बहुत ही शुभ माना गया है. इन योग में व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है.

ग्रहों की चाल में बदलाव होने के कारण इस दिन का महत्व और अधिक बढ़ जाएगा. ज्योतिष के अनुसार, 19 मई को शुक्र देव का गोचर वृषभ राशि में होने के बाद गुरु और शुक्र की युति बनेगी, जिसे नवम पंचम योग भी कहा जाता है. साथ ही गुरु-शुक्र की युति के शुभ संयोग से गजलक्ष्मी राजयोग का निर्माण होगा।

इस दिन किए व्रत और पूजन से मोक्ष की प्राप्ति होती है और जीवन कल्याणमय हो जाता है. बता दें कि इस वर्ष मोहिनी एकादशी का व्रत रविवार, 19 मई 2024 को रखा जाएगा।

धार्मिक व पौराणिक कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के बाद जब अमृत कलश की प्राप्ति हुई तो देवताओं और असुरों में इसे पहले पीने के लिए विवाद छिड़ गया. तब भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया और असुरों को अपने मोह जाल में फंसाकर सारा अमृत देवताओं को पिला दिया. इसी तिथि पर भगवान विष्णु ने स्त्री रूप धारण किया था. इसलिए इसे मोहिनी एकादशी कहा जाता है।

मोहिनी एकादशी पर ही देवताओं ने अमृतपान किया था, जिसके बाद देवताओं को अमरत्व प्राप्त हुआ. इसलिए भी धार्मिक दृष्टिकोण से यह दिन शुभ माना जाता है।

विष्णु धर्मोत्तर पुराण शास्त्र के अनुसार, जब सीता माता भगवान राम बिछड़ गए थे तब ऋषि नारद ने रामजी को मोहिनी एकादशी व्रत रखने को कहा था. इसके बाद भगवान राम ने मोहिनी एकादशी का व्रत रखा. व्रत के प्रभाव से ही भगवान राम को सीता माता को ढूंढने में सफलता मिली।

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