चम्बा मैडीकल कालेज में नशा छुड़ाने के लिए आ रहे युवक लंबे समय से मनोचिकित्सक के लिए परेशानी का सबब बन हुए हैं। - Smachar

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चम्बा मैडीकल कालेज में नशा छुड़ाने के लिए आ रहे युवक लंबे समय से मनोचिकित्सक के लिए परेशानी का सबब बन हुए हैं।

 चम्बा मैडीकल कालेज में नशा छुड़ाने के लिए आ रहे युवक लंबे समय से मनोचिकित्सक के लिए परेशानी का सबब बन हुए हैं।


इसमें कुछ युवक ऐसे हैं जो हर तीसरे दिन नशे को छोड़ने की दवाइयां लेने के लिए चम्बा मैडीकल कालेज में पहुंच रहे हैं। ऐसे में बार-बार दवाइयां लेने के लिए आ रहे युवक मैडीकल कालेज प्रशासन के लिए सिर दर्द बन गए हैं। इस बारे में बकायदा मनोचिकित्सक के द्वारा पुलिस चौकी में शिकायत भी दर्ज करवाई गई है। ऐसे 50 युवकों की लिस्ट बनाकर शहर पुलिस चौकी को सौंपी गई है, जो लगातार दवाइयां लेने के लिए मैडीकल कालेज पहुंच रहे हैं। युवकों के द्वारा ऐसा किए जाने से सरकार के द्वारा दी जा रही मुक्त दवाइयों की तस्करी की अंशका भी जताई गई है। मैडीकल कालेज के मनोचिकित्सक नीरज शर्मा ने पुलिस को सौंपी गई शिकायत में बताया कि वह बीते 5 साल से मैडीकल कालेज में सेवाएं दे रहे हैं लेकिन बीते कुछ समय से उनके पास नशा छुड़ाने के लिए कुछ युवा पहुंच रहे हैं, जो हर तीसरे दिन दवाइयां लेने के लिए पहुंच रहे हैं जबकि वह 1बार कम से कम 10 दिन की दवाइयां लिख कर देते हैं। उनके द्वारा नशा छुड़ाने के लिए 3 माह का कोर्स किया जाता है। इसके बाद भी अगर व्यक्ति के द्वारा नशा नहीं छोड़ जाता है तो उसे निवारण केंद्र में भर्ती करना पड़ता है। 

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नशे को छुड़ाने के लिए 60 प्रतिशत असर करती है दवाइयां 

व्यक्ति में नशे को छुड़ाने के लिए पहले सिंग्टम को कंट्रोल करने के लिए दवाइयां 60 प्रतिशत तक असर करती है, बाकी का कार्य नशा छोड़ने वाले व्यक्ति को खुद करना पड़ता है। नीरज शर्मा ने बताया कि नशा छोड़ने वाले व्यक्ति को खुद दिमाग में क्लियर करना पड़ता है कि उसे नशा छोड़ना है, जिसके लिए सुबह मॉर्निंग वॉक, दोपहर को उसे जूस समेत खानपान में अन्य बदलाव की सलाह दी जाती है। लेकिन जो युवा दवाइयां लेने के लिए आ रहे हैं वह नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। जिसके कारण वह नशा नहीं छोड़ रहे हैं। वहीं उनके साथ कोई अविभावक व माता -पिता कभी नहीं आए हैं जिससे ऐसा कहा जाए कि वह नशे के आदि हैं और नशा छोड़ने के लिए कोर्स कर रहे हैं।  

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दवाइयों का डेाज बढ़ाने के लिए पर्ची व डायरी से की जाती है छेड़छाड़ 

चम्बा मैडीकल कालेज में उक्त युवकों का रिकार्ड रखने के लिए बकायदा डायरी बनाई गई जिसमें उनका नाम पता लिखा गया। जिसमें दवाइयां लिखी गई लेकिन युवकों के द्वारा दवाइयों की अधिक डोज लेने के लिए पर्ची व डायरी से भी छेड़छाड़ की गई। पर्ची में अगर 4 दिन की दवाइयों को लिखा गया तो उसे मिटाकर 10 दिन की लिख दी गई तथा डोज की मात्रा में भी छेड़छाड़ की गई। युवक जहां चिकित्सक को अधिक डोज की दवा लिखने पर दबाब बनाते हैं तो वहीं सरकारी दवाइयों की डिस्पैंशनरी में भी दवाइयों देने वाले फार्मासिट पर अधिक दवाइयां देने को कहते हैं। जिससे कई बार बहसबाजी की स्थिति बन चुकी है। 

मैडीकल कालेज में नशा छुड़ाने आने वाले युवकों में नाबालिग भी शामिल है। पुलिस को सौंपी गई सूची में 15 से 30 वर्ष की आयु तक के युवा हैं। ऐसे में नाबालिक कैसे नशे की चपेट में आए और अब मैडीकल कालेज की परेशानी को बढ़ा रहे हैं। अगर कोई युवा 3 माह के बाद भी नशे को नहीं छोड़ रहा है तो फिर उसका मैडीकल करवाया जाता है ताकि पता लगाया जा सके कि किस प्रकार का नशा कर रहा है तथा उसे टांडा रैफर किया जाता है। चम्बा में आ रहे युवाओं के अधार कार्ड नंबर नोट करके भी उन्हें नशे की दवाइयां दी गई। कई बार तो युवा दूसरे लोगों के अधार कार्ड लेकर भी पहुंए गए जिसके बाद पकड़े जाने पर उन्हें दवाइयां नहीं दी गई। वहीं रविवार व अन्य छुट्टी के दिन अमरजैंसी में भी उक्त युवक दवाइयां लेने के लिए पहुंचे।

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