विष्णु कान्त शास्त्री के उपरान्त, किसी भी महामहिम राज्यपाल ने मन्दिरों के उत्थान के प्रति रुचि नहीं दिखाई : प्रवीन कुमार
विष्णु कान्त शास्त्री के उपरान्त, किसी भी महामहिम राज्यपाल ने मन्दिरों के उत्थान के प्रति रुचि नहीं दिखाई : प्रवीन कुमार
पालमपुर:- यह प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पालमपुर के पूर्व विधायक एवं चामुण्डा नन्दिकेश्वर ट्रस्ट के निवर्तमान ट्रस्टी प्रवीन कुमार ने कहा यह सर्वविदित है जव पण्डित विष्णु कान्त शास्त्री जी थोडे से कालखण्ड के लिए हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल बने थे तो तव किसी मन्दिर में जाते थे तो मन्दिरों के सुधार को लेकर मन्दिर प्रशासन एवं पुजारियों में कम्पन पैदा हो जाती थी । यहाँ तक कि जव मन्दिर के पुजारी हाथ में कंगन बांधते ओर माथे पर तिलक लगाते थे तो मन्त्रोचारण करते वक्त अगर शास्त्री जी को लगता था कि उच्चारण ठीक नहीं हो रहा है तो खुद मन्त्र पढ़ने लगते थे । उस समय हिमाचल की सड़कों पर मन्दिरों की आकृति के सुन्दर माईल स्टोन दिखते नज़र आते थे ।
पूर्व विधायक ने उदाहरण देते हुए कहा भारतवर्ष में कई चुनाव आयुक्त आए नौकरी करके चले गये लेकिन श्री टी एन शेषन जी बता गये कि चुनाव आयुक्त की कुर्सी की क्या ताकत होती है। अव विधानसभा एवं लोकसभा में चुने हुए माननीय सदस्यों द्वारा सदन में जो हुडदंगवाजी मचाई जाती है उस पर कोन चिन्तन करेगा। इसी तरह पूर्व विधायक ने पूर्व राज्यपाल विष्णु कान्त शास्त्री जी की कार्यप्रणाली का उदाहरण देते हुए कहा कि आज लम्बा समय हो गया सुप्रसिद्ध चामुण्डा नन्दिकेश्वर मन्दिर के निर्माण कार्य को चले हुए । किसी को कोई रुचि नहीं । पुराने मन्दिर का अस्तित्व पूरी तरह ध्वस्त करके रख दिया । जव प्राचीन मन्दिर की इमारत के ऊपर बेरहमी से बुलडोजर चल रहा था तो पता नहीं भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग क्यों मूकदर्शक बनकर नज़ारा देखता रहा ।
वर्षों से चामुण्डा मन्दिर में चल रहे त्रिगर्त संस्कृत महाविद्यालय को आज दिन तक मान्यता नहीं मिली है। पूर्व विधायक ने रोष प्रकट करते हुए कहा अगले माह फिर चैत्र नवरात्रे आने वाले हैं। आज दिन तक मन्दिर की यज्ञशाला तक नहीं बन पाई जहाँ नित्य हवन यज्ञ हो सके । नवरात्रों में चलने वाले महायज्ञ के दोरान विद्वान पण्डितों को रात को ठहरने के लिए भवन की कोई व्यवस्था नहीं ।
पूर्व विधायक ने हिमाचल प्रदेश के माननीय उप मुख्यमन्त्री मुकेश अग्निहोत्री से आग्रह किया है जिनके कि पास भाषा एवं संस्कृति विभाग भी है चिंतपूर्णी मंदिर की तरह यहाँ भी कुछ बदलाव लाएं । वर्षो से निर्माण कार्य चला है । प्रत्यक्ष दर्शी के तोर पर इस वक्त बहुत सी त्रुटियाँ एवं खामियों का समाधान एवं निपटारा हो सकता ।
साथ ही शिखर पहाड़ी पर स्थित सिद्ध शक्तिपीठ माता आदि हिमानी चामुण्डा के प्राचीन मन्दिर का भी वर्षों से निर्माण कार्य चला हुआ है। यहाँ मन्दिर के साथ हैलीपैड बना है। इस मन्दिर के भी दर्शन करके इसे माता बैष्णो देवी की तर्ज पर विकसित करने का संकल्प लें । पूर्व विधायक ने दावे ओर विशवास के साथ कहा अगर सरकार जरा सी भी रुचि ले तो यह मन्दिर माता वैष्णो देवी मन्दिर की तरह जिला कांगड़ा का सबसे बड़ा धार्मिक पर्यटन उधोग बन सकता है।
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