हजार रुपए फीस अदा करनी होती है। वहीं बच्चा गोद लेने के बाद माता-पिता को 50 हजार रुपये शुल्क एजेंसी के पास जमा करवाना होता है।
हजार रुपए फीस अदा करनी होती है। वहीं बच्चा गोद लेने के बाद माता-पिता को 50 हजार रुपये शुल्क एजेंसी के पास जमा करवाना होता है।
गोद लेने की पूरी प्रक्रिया
पहला चरण - पंजीकरण
शिमला : गायत्री गर्ग /
बच्चा गोद लेने वाले माता-पिता को CARA वेबसाइट पर पंजीकरण करना होता है।
वे अधिकृत एडॉप्शन एजेंसीज, राज्य एडॉप्शन रिसोर्स एजेंसी या जिला बाल संरक्षण इकाइयों के माध्यम से पंजीकरण कर सकते हैं।
दूसरा चरण होम स्टडी रिपोर्ट (HSR)
किसी अधिकृत एडॉप्शन एजेंसी के सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा एक होम स्टडी की जाती है।
होम स्टडी में इस बात की पड़ताल की जाती है कि गोद लेने वाला दंपत्ति बच्चे की देखरेख करने में पूरी तरह सक्षम हैं या नहीं।
तीसरा चरण संदर्भ और स्वीकृति
होम स्टडी के बाद CARA पोर्टल के माध्यम से उस दंपत्ति को एक बच्चे का संदर्भ दिया जाता है।
इसमें बच्चे का मेडिकल और सोशल बैकग्राउंड होता है और दंपत्ति के पास इसे स्वीकार करने के लिए 48 घंटे का वक्त होता है।
चौथा चरण गोद लेने से पहले देखभाल की प्रक्रिया
बच्चे को स्वीकार करने के बाद, उसे कुछ वक्त के लिए दंपत्ति के साथ देखभाल के लिए रखा जाता है।
इस अवधि में बच्चे और उसके दत्तक माता-पिता के बीच संबंधों के मजबूत होने की उम्मीद की जाती है और उसके बाद ही गोद लेने की कानूनी प्रक्रिया शुरू होती है।
पांचवें चरण में एजेंसी दत्तक माता-पिता के सारे दस्तावेजों की चेकिंग करने के बाद बच्चे को सौंपती है।
छठे चरण में गोद लेने के बाद का फॉलोअप
अधिकृत एडॉप्शन एजेंसी द्वारा समय-समय पर उस परिवार का फॉलो-अप लिया जाता है जिसने बच्चे को गोद लिया है।
हर 6 महीने के अंतराल में ये फॉलो-अप दो साल तक किए जाते हैं।
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