वीर हकीकत रॉय ने धैर्य से किया जुल्म का सामना : परमजीत सिंह गिल - Smachar

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वीर हकीकत रॉय ने धैर्य से किया जुल्म का सामना : परमजीत सिंह गिल

 वीर हकीकत रॉय ने धैर्य से किया जुल्म का सामना : परमजीत सिंह गिल

 शहादत दे दी लेकिन अत्याचारियों से हार नहीं मानी


 बटाला (अविनाश शर्मा, चरण सिंह)लोकसभा हलका गुरदासपुर के वरिष्ठ नेता एवं हिमालय परिवार संगठन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष परमजीत सिंह गिल ने कहा कि पंजाब एक ऐसी जगह है जहां शायद ही कोई ऐसा त्योहार हो जिस दिन कोई न कोई वीर देश और धर्म की खातिर शहीद न हुआ हो। बसंत पंचमी का त्यौहार नायक हकीकत राय की शहादत से भी संबंधित है। मुगल शासन के दौरान धर्म परिवर्तन न करने के कारण 14 वर्ष की आयु में बसंत पंचमी के दिन उन्हें शहीद कर दिया गया।

 गिल ने कहा कि वीर हकीकत रॉय का जन्म 1720 ई. में सियालकोट में एक खत्री (पुरी) परिवार में हुआ था और वह अपने माता-पिता की इकलौती संतान थे। नायक हकीकत रॉय का मन गुरुओं की साखियां सुनकर और विशेषकर साहिबजादों की शहादत से बहुत प्रभावित हुआ।

 गिल ने बताया कि उस समय के रिवाज के मुताबिक हकीकत राय अरबी-फारसी सीखने के लिए मस्जिद में मौलवी के पास भी जाते थे। उनके साथ पढ़ने वाले अधिकांश छात्र मुस्लिम थे जो तरह-तरह के हथकंडे अपनाकर उन्हें परेशान करते थे। लेकिन हकीकत राय चुप रहे और सब कुछ सहन करते रहे।

 एक दिन तो लड़कों ने हद ही कर दी और बिना वजह उसके सामने ही हिंदू देवी-देवताओं को बुरा-भला कहना शुरू कर दिया। हकीकत राय को यह सहन नहीं हुआ और उन्होंने क्रोधित होकर इस्लामी रहबर को बुरा-भला कहा। छात्रों ने इसकी शिकायत मौलवी रहमतुल्लाह से की। उन्होंने पहले खुद हकीकत रॉय की पिटाई की और फिर सारा मामला शहर के शासक अमीर बेग के कानों में डाल दिया। अमीर बेग ने हकीकत रॉय को गिरफ्तार कर लिया और उन्हें अमानवीय यातनाएँ दीं।

 गिल ने कहा कि जब हकीकत रॉय नहीं माने तो शहर के काजी जालम खान ने उनके खिलाफ इस्लाम की निंदा करते हुए फतवा जारी कर दिया और उनसे मौत या इस्लाम में से किसी एक को चुनने को कहा। इतना जुल्म सहने के बावजूद उस बालक योद्धा ने अपना धर्म छोड़ने से साफ इंकार कर दिया तो अमीर बेग ने हकीकत राय को जंजीरों से बांधकर लाहौर में जकारिया खान सूबेदार के सामने पेश किया।

 गिल ने कह ा कि लाहौर में उनपर धर्म परिवर्तन का दबाव डालने के लिए उन्हें और भी भीषण यातनाएँ दी गईं। उसे उल्टा लटका दिया गया और कोड़ों से तब तक पीटा गया जब तक वह बेहोश नहीं हो गया। लेकिन कई दिनों की यातनाओं के बाद भी जब हकीकत राय ने मुस्लिम बनना स्वीकार नहीं किया तो हकीकत रॉय को केवल 14 वर्ष की आयु में 1734 ई. में बसंत पंचमी के दिन शहीद कर दिया गया।

 गिल ने कहा कि आज जरूरत है कि हम अपने शहीदों की उपलब्धियों को याद करें और उनके बताये रास्ते पर चलें।

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