“मच्छयाल घाट (अंद्रेटा) में विराट हिंदू सम्मेलन का भव्य आयोजन, हिंदुत्व, राष्ट्रवाद और सामाजिक एकता पर मिला सशक्त संदेश - Smachar

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“मच्छयाल घाट (अंद्रेटा) में विराट हिंदू सम्मेलन का भव्य आयोजन, हिंदुत्व, राष्ट्रवाद और सामाजिक एकता पर मिला सशक्त संदेश

“मच्छयाल घाट (अंद्रेटा) में विराट हिंदू सम्मेलन का भव्य आयोजन, हिंदुत्व, राष्ट्रवाद और सामाजिक एकता पर मिला सशक्त संदेश


“मच्छयाल घाट (अंद्रेटा) में विराट हिंदू सम्मेलन का भव्य आयोजन, हिंदुत्व, राष्ट्रवाद और सामाजिक एकता पर मिला सशक्त संदेश”

पंचरुखी के मच्छयाल घाट, अंद्रेटा में शुक्रवार को विराट हिंदू सम्मेलन का भव्य आयोजन हुआ, जिसमें आसपास की आठ पंचायतों से महिलाओं, युवाओं और गणमान्यजनों सहित लगभग 900 लोगों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। जय श्री राम के गगनभेदी उद्घोष के बीच प्रारंभ हुए इस सम्मेलन में धर्म, संस्कृति, राष्ट्रवाद और सामाजिक समरसता का अद्भुत संगम देखने को मिला। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. अश्वनी कुमार ने की, जिन्होंने अपने प्रेरक संबोधन में हिंदू समाज को संगठित होकर सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन, शिक्षा‑विस्तार और सेवा कार्यों के माध्यम से राष्ट्र निर्माण में अग्रणी भूमिका निभाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि संगठित, सजग और संस्कारित समाज ही मातृभूमि को पुनः विश्वगुरु के रूप में प्रतिष्ठित कर सकता है। सम्मेलन की विशेष अतिथि सुहानी ने ‘समाज में महिलाओं की भागीदारी’ विषय पर बोलते हुए स्पष्ट किया कि हिंदुत्व केवल पूजा‑पद्धति नहीं, बल्कि जीवन जीने की श्रेष्ठ शैली है। उन्होंने कहा कि महिलाएं ही परिवार और समाज में संस्कारो हैं, इसलिए निर्णय‑निर्माण से लेकर नेतृत्व तक हर स्तर पर उनकी सक्रिय और सम्मानजनक भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए।

कैप्टन हेम राज ने अपने भावपूर्ण संबोधन में वर्तमान परिप्रेक्ष्य में हिंदू समाज के समक्ष उपस्थित चुनौतियों की तस्वीर खींची। उन्होंने मातृशक्ति से परिवार विस्तार, संस्कारित संतति और सुदृढ़ पारिवारिक व्यवस्था के माध्यम से सशक्त समाज एवं समर्थ राष्ट्र के निर्मित होने की बात कही। सम्मेलन के मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उत्तर क्षेत्र प्रांत प्रचारक प्रमुख बनवीर सिंह ने सरबंसदानी हिंद दी चादर गुरु तेग बहादुर जी के 450वें वर्ष के प्रसंगों के माध्यम से त्याग, बलिदान और धर्मनिष्ठा के आदर्शों पर प्रकाश डाला। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना, उसके मूल उद्देश्यों तथा अनुशासन और चरित्र‑निर्माण पर आधारित कार्यपद्धति की विस्तार से चर्चा करते हुए संघ को राष्ट्र निर्माण की धुरी बताया।

उन्होंने संघ के शताब्दी वर्ष के अवसर पर समाज के सहयोग से ‘पंच परिवर्तन’ जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर संगठित रूप से कार्य करने की आवश्यकता रेखांकित की। बनवीर सिंह ने समाज को कुरीतियों का त्याग करने, सामाजिक समरसता बढ़ाने, हिंदू समाज की एकजुटता मजबूत करने और सशक्त भारत के निर्माण में सक्रिय भागीदारी निभाने का आह्वान किया। मच्छयाल घाट के स्वामी प्रेमानंद सरस्वती महाराज विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहे और उन्होंने अपने उद्बोधन में धार्मिक‑आध्यात्मिक मूल्यों को व्यवहारिक जीवन में उतारने, संयमित आचरण और सेवा‑भाव को अपनाने की प्रेरणा दी। कार्यक्रम का मंच संचालन स्वरूप ने प्रभावी ढंग से किया और बताया कि हिंदू सम्मेलन का उद्देश्य सम्पूर्ण हिंदू समाज को संगठित कर मातृभूमि को पुनः विश्वगुरु बनाने की दिशा में व्यापक जनजागरण करना है। कार्यक्रम के दौरान हनुमान चालीसा का सामूहिक पाठ किया गया, जिसमें उपस्थित जनसमूह भक्ति‑भाव से सराबोर दिखाई दिया। अंत में सामूहिक भोज का आयोजन हुआ, जिसमें सम्मेलन में पहुंचे सभी श्रद्धालुओं और अतिथियों ने ससम्मान प्रसाद ग्रहण किया।

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