प्रथम एसपीयू इंटर कॉलेज एथलेटिक्स चैंपियनशिप में रिवालसर महाविद्यालय का ऐतिहासिक प्रदर्शन - Smachar

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प्रथम एसपीयू इंटर कॉलेज एथलेटिक्स चैंपियनशिप में रिवालसर महाविद्यालय का ऐतिहासिक प्रदर्शन

 प्रथम एसपीयू इंटर कॉलेज एथलेटिक्स चैंपियनशिप में रिवालसर महाविद्यालय का ऐतिहासिक प्रदर्शन


 रिवालसर : अजय सूर्या /

सरदार पटेल विश्वविद्यालय (एसपीयू), मंडी में 17 से 19 दिसंबर तक आयोजित प्रथम एसपीयू इंटर कॉलेज एथलेटिक्स चैंपियनशिप में रिवालसर महाविद्यालय के खिलाड़ियों ने पहली बार एथलेटिक्स स्पर्धाओं में भाग लेते हुए उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और इतिहास रच दिया। महाविद्यालय पिछले तीन वर्षों से विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेता रहा है, किंतु एथलेटिक्स में यह पहली सहभागिता रही, जो उपलब्धि के रूप में यादगार बन गई।

प्रतियोगिता में महाविद्यालय के एथलीट्स ने 10 किलोमीटर दौड़ में रजत पदक, लॉन्ग जंप में कांस्य पदक, 1500 मीटर दौड़ में चौथा स्थान तथा 400 मीटर, 800 मीटर, 100 मीटर, 200 मीटर, हाई जंप, 4×100 मीटर एवं 4×400 मीटर रिले में पांचवां स्थान प्राप्त कर उल्लेखनीय प्रदर्शन किया।

10 किलोमीटर दौड़ में रजत पदक रितेश कुमार (बी.ए. तृतीय वर्ष) ने जीता, जो ग्राम सलयानी, डाकघर भद्रवाल, तहसील सरकाघाट, जिला मंडी के निवासी हैं। वहीं लॉन्ग जंप में कांस्य पदक गौरव (बी.ए. प्रथम वर्ष) ने जीता, जो रिवालसर निवासी हैं। इनके साथ तनुज ठाकुर (बी.ए. तृतीय वर्ष) और हैप्पी (बी.ए. तृतीय वर्ष) ने भी विभिन्न इवेंट्स में शानदार प्रदर्शन किया।

प्रतियोगिता से लौटने पर महाविद्यालय परिसर में खिलाड़ियों का भव्य स्वागत किया गया। इस अवसर पर प्राचार्य डॉ. के. सी. कश्यप, खेल प्रभारी प्रो. यश पाल, प्रो. कुलदीप कुमार, प्रो. रामनीक शर्मा, प्रो. ब्रज नंदन, प्रो. सूरज मणि, ईश्वर दास, पुष्पराज सहित समस्त आचार्य वर्ग एवं गैर-शिक्षण कर्मचारी उपस्थित रहे।

खेल प्रभारी प्रो. यश पाल ने कहा कि यह उपलब्धि सामूहिक प्रयास, विश्वास और टीमवर्क का परिणाम है। उन्होंने बताया कि सीमित संसाधनों के बावजूद महाविद्यालय में खेल गतिविधियों को नियमित और संगठित स्वरूप देने का निरंतर प्रयास किया गया है, जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं।

प्राचार्य डॉ. के. सी. कश्यप ने सभी खिलाड़ियों को बधाई देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। महाविद्यालय समुदाय ने खिलाड़ियों के परिश्रम, अनुशासन और खेल भावना की सराहना की।

यह उपलब्धि साबित करती है कि यदि हौसले बुलंद हों और लक्ष्य स्पष्ट हों, तो सीमित संसाधन भी सफलता के कदम नहीं रोक सकते।

“कॉलेज छोटा है, पर हौसले बड़े हैं।”

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