हिमाचल अटल का ऋणी, उनके योगदान ने बदली देवभूमि की तस्वीर : जयराम ठाकुर - Smachar

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हिमाचल अटल का ऋणी, उनके योगदान ने बदली देवभूमि की तस्वीर : जयराम ठाकुर

 हिमाचल अटल  का ऋणी, उनके योगदान ने बदली देवभूमि की तस्वीर : जयराम ठाकुर

अटल  ने हिमाचल में घर ही नहीं बनाया बल्कि घर माना


इंडस्ट्रियल पैकेज से ही बद्दी बना एशिया का फार्मा हब, अटल टनल उनका सपना

एंबुलेंस सेवा 102 और 108 के कर्मियों की शिकायतों का करें समाधान

शिमला : गायत्री गर्ग /

 पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और भाजपा के संस्थापक सदस्य स्व अटल बिहारी वाजपेयी की 101 वीं जयंती के अवसर पर राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल के साथ रिज मैदान स्थित अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा पर माल्यार्पण करके उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके बाद पार्टी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के साथ रिपन अस्पताल में मरीजों को फल वितरित किया। मीडिया के प्रतिनिधियों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश अटल बिहारी वाजपेयी के योगदान का ऋणी है। हिमाचल प्रदेश में उन्होंने सिर्फ अपना घर ही नहीं बनाया अपना घर भी समझा। इसका हमें हमेशा लाभ मिला। भौगोलिक दृष्टि से बेहद चुनौतीपूर्ण हिमाचल में सड़कों की कमी बहुत बड़ी समस्या थी। प्रदेश के लोगों के पीठ का बोझ उतारने का काम एक नेता के रूप में सबसे पुनीत कार्य है। देश की सबसे बड़ी ग्रामीण सड़क योजना का सपना अटल जी ने देखा जिसकी वजह से हम हिमाचल के लोगों के पीठ कि बोझ उतारने में कामयाब हो रहे हैं। हिमाचल की आधा से ज़्यादा ग्रामीण सड़कें प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत बनी है। अटल जी के इंडस्ट्रियल पैकेज से ही बद्दी एशिया का फ़ार्मा हब बना। जिससे प्रदेश को न सिर्फ़ हज़ारों करोड़ का राज्य मिलता है बल्कि प्रदेश को हज़ारों की संख्या में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रोजगार भी मिल रहा है।

उन्होंने कहा कि देश में पिछले दस साल में एक 10 लाख किमी से ज़्यादा सड़कें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यका में बनी। हिमाचल में भी पिछले आठ सालों में दस हज़ार किमी से ज़्यादा सड़कें बनी हैं। अटल टनल उन्हीं का देखा सपना था, जिसे मोदी जी ने साकार किया। यह टनल हिमाचल के लिए हर तरीक़े वरदान साबित हुई। प्रदेश की कनेटक्टिविटी हो या पर्यटन और सामरिक दृष्टि से अटल टनल ने हिमाचल की दशा और दिशा बदलने में बड़ा योगदान किया। आज भी हर साल प्रदेश में हजारों किलोमीटर सड़क उसी योजना के तहत बन रही है औरहर साल सैकड़ों गांव मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं।

जयराम ठाकुर ने कहा कि अटल के जन्मदिन को पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती सुशासन दिवस के रूप में मनाते हैं। इसका उद्देश्य नागरिकों के लिए सरकार को अधिक जवाबदेह, पारदर्शी, प्रभावी बनाना है ।2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने इसकी घोषणा की। अटल  को भारत में नवभारत निर्माता के रूप में जाना जाता है। अपने पहले पूर्ण कार्यकाल में उन्होंने भारत के लिए जो लक्ष्य निर्धारित किए उसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरा कर रहे हैं। अमेरिका के विरोध के बाद भारत को परमाणु शक्ति संपन्न बनाना हो या कारगिल जैसी दुनिया की सबसे कठिन लड़ाइयों को भारत को विजयी बनाने का श्रेय अटल जी को ही जाता है। देश में सड़कों का जाल बिछाने बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने स्वर्णिम चतुर्भुज जैसी देश को जोड़ने वाले महामार्ग बनाने का श्रेय भी अटल जी को ही जाता है।

पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि आईजीएमसी प्रकरण में जांच रिपोर्ट के बाद सरकार द्वारा डॉक्टर्स के ख़िलाफ़ जो कार्रवाई हुई वह एक तरफ़ लेकिन आगे ऐसा न हो, अस्पताल पहुँचने पर मरीजों के साथ सम्मानजनक व्यवहार के साथ-साथ समुचित इलाज मिल सके, इसका भी विशेष ध्यान देना चाहिए। ऐसी परिस्थितियां फिर से न आएँ इस दिशा में प्रभावी कदम उठाने चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने बीबीएन में हुए गोली कांड से जुड़े सवाल के जवाब में कहा कि पूरे प्रदेश में सत्ता संरक्षित माफिया तांडव मचा रहे हैं। कानून व्यवस्था नाम की चीज प्रदेश में बची ही नहीं। इस मौके पर उनके साथ बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ राजीव बिंदल व अन्य नेता व पदाधिकारी उपस्थित रहे।

एंबुलेंस सेवा 102 और 108 के कर्मियों की शिकायतों का करें समाधान

जयराम ठाकुर ने कहा कि एंबुलेंस सेवा 102 और 108 के कर्मियों ने अपनी मांगों कोई लेकर सेवाएं रोकने का ऐलान किया है। इससे बहुत अराजकता हो सकती हैं। दोनों ही सेवाएं आपातकालीन हैं। इसके बंद होने से लोगों के जान पर बन आएगी ऐसे में मुख्यमंत्री से मेरा आग्रह हैं कि इस मामले पर गंभीरता से काम करें, जिससे एंबुलेंस सेवाएं किसी भी हाल में प्रभावित न हो। इसके साथ ही आईजीएमसी में रेजिडेंट्स डॉक्टर्स द्वारा मास कैजुअल लीव के मामले में सरकार संवेदनशीलता के साथ प्रभावी कदम उठाएं। जिससे प्रदेश स्वास्थ्य व्यवस्था किसी भी प्रकार से प्रभावित न हो क्योंकि अस्पतालों में शीतकालीन अवकाश की वजह से चिकित्सकों की संख्या पहले ही 50 प्रतिशत कम है।

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