100% गारंटी है ब्रेस्ट कैंसर नहीं होगा यदि पहले से है तो 72 %खत्म हो जाएगा : डॉ अर्चिता महाजन - Smachar

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100% गारंटी है ब्रेस्ट कैंसर नहीं होगा यदि पहले से है तो 72 %खत्म हो जाएगा : डॉ अर्चिता महाजन

100% गारंटी है ब्रेस्ट कैंसर नहीं होगा यदि पहले से है तो 72 %खत्म हो जाएगा : डॉ अर्चिता महाजन 

ब्रिस्क वॉक ओर डांस करने जैसी एरोबिक एक्सरसाइज करने से कैंसर की लास्ट स्टेज नहीं आती। 




( बटाला : अविनाश शर्मा, संजीव नैयर )

अर्चिता महाजन न्यूट्रिशन डाइटिशियन और चाइल्ड केयर होम्योपैथिक फार्मासिस्ट और ट्रेंड योगा टीचर  और पंजाब सरकार द्वारा सम्मानित ने बताया कि कुछ स्टडीज ऐसी आई है उनकी माने तो100% ब्रेस्ट कैंसर नहीं होगा|  यदि पहले से है तो 72 %खत्म हो जाएगा। दिन में तीन बार आधा घंटा भुजंगासन रस्सी कूदना स्विमिंग करना ,साइकलिंग करना ब्रिस्क वॉक करना लगातार बैठे ना रहना और यहां तक हो सके पैदल चलना ब्रेस्ट कैंसर होने का चांस खत्म कर देता है।ब्रिटिश जर्नल ऑफ स्पोर्ट्स मेडिसिन में प्रकाशित इस रिसर्च में कहा गया है कि जो लोग शारीरिक गतिविधियां नहीं करते, उन्हें ब्रेस्ट कैंसर (स्तन कैंसर) का खतरा दूसरों के मुकाबले ज्यादा होता है।हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में हुई एक रिसर्च कहती है कि रोजाना सिर्फ 30 मिनट टहलने से दिल की बीमारियों के खतरे को 19% तक कम किया जा सकता है।जिन लोगों के लिए ज्यादा फिजिकल एक्टिविटी आनुवंशिक प्रवृत्ति होती है, उन्हें ब्रेस्ट कैंसर का खतरा 41% कम होता है। इससे उनके मेनोपॉज, कैंसर की स्टेज और ग्रेड का कोई नाता नहीं है। साथ ही आनुवंशिक तौर पर जिनकी प्रवृत्ति हफ्ते में 3-4 दिन कठिन एक्सरसाइज करने की होती है, उन्हें ब्रेस्ट कैंसर का जोखिम 38% कम होता है।वहीं, जिन लोगों के लिए हर समय बैठे रहना आनुवंशिक प्रवृत्ति है, उन्हें ट्रिपल नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर का खतरा 104% ज्यादा होता है।अमेरिकन कैंसर सोसायटी की एक और रिसर्च में पाया गया कि जो महिलाएं हफ्ते में सात या उससे अधिक घंटे टहलती हैं, उनमें हफ्ते में तीन घंटे या उससे कम टहलने वाली महिलाओं के मुकाबले स्तन कैंसर का खतरा 14% कम हो जाता है। एरोबिक एक्सरसाइज करने से मेटास्टेटिक कैंसर का खतरा 72 प्रतिशत तक कम हो जाता है। क्योंकि, इंटेंस एरोबिक एक्सरसाइज करने से शारीरिक अंग ज्यादा ग्लूकोज की खपत कर लेते हैं और ट्यूमर को फैलने के लिए एनर्जी नहीं मिल पाती। यह स्टडी स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ और डिपार्टमेंट ऑफ ह्यूमन जेनेटिक्स एंड बायोकेमिस्ट्री के दो वैज्ञानिकों ने मिलकर की है।

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