जीव संत शरण में जाकर सहज ही भवसागर पार हो सकता है : साध्वी सौम्या भारती
जीव संत शरण में जाकर सहज ही भवसागर पार हो सकता है : साध्वी सौम्या भारती
सुजानपुर : दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के द्वारा स्थानीय श्री हरि रिजॉर्ट पूल नंबर 4 सुजानपुर में पांच दिवसीय "श्रीकृष्ण कथा" का आयोजन किया गया। जिसमें श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी सुश्री सौम्या भारती ने बताया कि भागवत महापुराण एक विलक्षण व दिव्यता से परिपूर्ण ग्रंथ है। क्योकि इस में निहित भगवान श्रीकृष्ण जी कि कथा मानव जाति को सुख समृद्धि व आंनद देने वाली है। क्योंकि भगवान स्वयं कल्याण एवं सुख के मूल स्रोत हैं। जो सम्पूर्ण विद्याओं के ईश्वर समस्त भूतों के अधीश्वर, ब्रह्मवेद के अधिपति तथा साक्षात् परमात्मा हैं। जो समस्त जीवों को आत्म ज्ञान देकर ईश्वर से जुड़ने की कला सिखाते हैं।
साध्वी जी ने बताया कि भगवान की कथा में गोता लगाने से मानव को प्रभु की प्रप्ति होती है। लेकिन कथा सुनने व उसमें उतरने में अंतर होता है। सुनना तो सहज है लेकिन इसमें उतरने की कला हमें केवल एक संत ही सिखा सकते है। हमारे समस्त वेद-शास्त्र सत्संग की महिमा का व्याख्यान अनेकों प्रकार से करते हैं। एक घड़ी के सत्संग की तुलना स्वर्ग की समस्त संपदा से की गई है। संत की कृपा से लकिनी के जीवन में आमूल-चूल परिवर्तन हो गया। संत के चरणों का प्रताप ही ऐसा है कि अहल्या, शबरी जैसे भक्त इसे प्राप्त कर सहज ही भवसागर से पार हो गये। संत के संग से ही मरूस्थल जीवन में बहार आ जाती है। नीरस जीवन सरस बन जाता है। विकारों से परिपूर्ण हृदय ईश्वरीय भक्ति से भर जाता है।
स्वयं भगवान शिव भी सत्संग का महत्व माँ पार्वती को बताते हुए कहते हैं कि उसकी विद्या, धन, बल, भाग्य सब कुछ निरर्थक है जिसे जीवन में संत की प्राप्ति नहीं हुई। परन्तु वास्तव में सत्संग कहते किसे हैं। सत्य और संग दो शब्दों के जोड़ से मिलकर बना यह शब्द हमें सत्य यानि परमात्मा और संग अर्थात् मिलन की और इंगित करता है। परमात्मा से मिलन के लिए संत एक मध्यस्त हैं। इसलिए हमें जीवन में पूर्ण संत की खोज में अग्रसर होना चाहिए, जो हमारा मिलाप परमात्मा से करवा दे। इस मौके पर कथा में शहर के पार्षद डॉक्टर अविनाश डोगरा, शुभलता, उपेश चौहान, मनीष चौहान , इंजीनियर अजय महाजन ,अतुल नईयर, एस.डी भला, विनय महाजन, अंजना महाजन, भूषण ओबेरॉय राम मूर्ति, राज कुमार, मास्टर चरणजीत उपस्थित थे। साध्वी ज्योति भारती, साध्वी शीतल भारती, साध्वी योगिनी भारती, साध्वी हरिता भारती, ने सुमधुर भजनों के गायन से उपस्थित भगवद् प्रेमियों को आनन्द विभोर किया। कथा का समापन विधिवत प्रभु की पावन आरती से किया गया, कथा के पश्चात सभी भक्तजनों के लिए भंडारे की व्यवस्था रही |
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