गुरुवार रात को निधन हो गया पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का
गुरुवार रात को निधन हो गया पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का
तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें देर शाम दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया था, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया है.शुक्रवार को राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार होगा.एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा गया है कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का 92 साल की उम्र में निधन हो गया है. उन्हें उम्र संबंधी स्वास्थ्य कारणों की वजह से गुरुवार (26 दिसंबर 2024) शाम को आठ बजकर छह मिनट पर एम्स में भर्ती कराया गया था.
वो अपने घर में अचानक बेहोश हो गए थे.उन्हें घर पर ही उपचार देने की कोशिश की गई.इसके बाद उन्हें एम्स की इमरजेंसी में लाया गया.लेकिन काफी कोशिशों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका.उन्होंने रात 9 बज कर 51 मिनट पर अंतिम सांस ली.
वो 1991-96 तक देश के वित्त मंत्री रहे. उस दौरान पीवी नरसिम्हा राव देश के प्रधानमंत्री थे.
नरसिम्हा राव को देश में आर्थिक उदारीकरण का जनक माना जाता है. उनकी नीतियों को लागू करने में मनमोहन सिंह ने अहम भूमिका निभाई थी
बता दें कि देश में राजकीय शोक की घोषणा पहले सिर्फ केंद्र सरकार करती थी. लेकिन नियमों में बदलाव होने के बाद राज्य सरकार भी राजकीय शोक की घोषणा कर सकती है. हालांकि पहले ये घोषणा केवल केंद्र सरकार की सलाह पर राष्ट्रपति ही कर सकते थे. देश के सभी राज्य अब खुद तय कर सकते हैं कि किसे राजकीय सम्मान देना है. इतना ही नहीं कई बार राज्य और केंद्र सरकार अलग-अलग राजकीय शोक घोषित करते हैं.
जब देश में किसी बड़े नेता, कलाकार या किसी ऐसी शख्सियत की मौत हो जाती है, जिसने देश के सम्मान के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया है. उस स्थिति में राजकीय या राष्ट्रीय शोक की घोषणा की जाती है. केंद्र सरकार के 1997 के नोटिफिकेशन में कहा गया है कि राजकीय शवयात्रा के दौरान कोई सार्वजनिक छुट्टी जरूरी नहीं है. नियमों के मुताबिक अनिवार्य सार्वजनिक छुट्टी को खत्म कर दिया गया है. अब सिर्फ पद पर रहते हुए राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री की मृत्यु होती है, तो छुट्टी होती है. लेकिन सरकार चाहे तो छुट्टी का ऐलान कर सकती है.
वहीं राजकीय शोक के दौरान फ्लैग कोड ऑफ इंडिया नियम के मुताबिक विधानसभा, सचिवालय समेत महत्वपूर्ण कार्यालयों में लगे राष्ट्रीय ध्वज आधे झुके रहते हैं. इसके इसके अलावा प्रदेश में कोई औपचारिक एवं सरकारी कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जाता है. इस अवधि के दौरान समारोहों और आधिकारिक मनोरंजन पर भी प्रतिबंध रहता है. राष्ट्रीय शोक, राजकीय शोक का महत्वपूर्ण पहलू राजकीय सम्मान से अंत्येष्टि भी है.
राजकीय शोक कितने दिनों तक हो सकता है. बता दें कि राज्य सरकार अपनी सुविधा और शख्सियत के मुताबिक राजकीय शोक का ऐलान करती है. जैसे उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद राज्य भर में तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया गया था. वहीं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर 7 दिन का राजकीय शोक घोषित किया गया था. राजकीय शोक घोषित होने के बाद सचिवालय, मंत्रालय समेत किसी भी राजकीय भवन में आयोजित सभी मनोरंजन, सांस्कृतिक कार्यक्रमों को रद्द कर दिया जाता है. इस दौरान सिर्फ विशेष कामकाजी काम होते हैं, बाहर के कोई कार्यक्रम नहीं होते हैं.
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