विश्व दलहन दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य
विश्व दलहन दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य आम नागरिकों और किसानों के बीच दालों के पोषण संबंधी और पर्यावरणीय लाभों के बारे में जागरूकता पैदा करना है:-डॉ. अमरीक
कलानौर: 11 फरवरी 2025 (अविनाश शर्मा, संजीव नैयर) विश्व दलहन दिवस हर साल 10 फरवरी को मनाया जाता है। यह संयुक्त राष्ट्र (यूएन) का एक महत्वपूर्ण आयोजन है जो मानव स्वास्थ्य के लिए दालों के महत्व को मान्यता देता है। इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य आम जनता और किसानों के बीच दालों के पोषण संबंधी और पर्यावरणीय लाभों के बारे में जागरूकता पैदा करना है। इस वर्ष विश्व दलहन दिवस का विषय था "दालें: कृषि-खाद्य प्रणालियों में विविधता लाना"। विश्व दलहन दिवस के अवसर पर कलानौर ब्लॉक में मुख्य कृषि अधिकारी गुरदासपुर डॉ. अमरीक सिंह की अध्यक्षता में ब्लॉक स्तरीय किसान जागरूकता कैंप लगाया गया तथा कृषि विकास अधिकारी डॉ. सोनल कुमार के नेतृत्व में किसान प्रशिक्षण कैंप लगाया गया। इस कैंप में मुख्य अतिथि के तौर पर गुरदासपुर के मुख्य कृषि अधिकारी डॉ. अमरीक सिंह शामिल हुए। इस अवसर पर कामरेड जगजीत सिंह, हरपाल सिंह, मनजीत सिंह, सेवा सिंह कलानौर के अलावा गांव कलानौर से बड़ी संख्या में किसान मौजूद थे।
किसानों को संबोधित करते हुए गुरदासपुर के मुख्य कृषि अधिकारी डॉ. अमरीक सिंह ने कहा कि यह दिवस वैश्विक खाद्य सुरक्षा को बढ़ाने, मृदा स्वास्थ्य का निर्माण करने, कृषि प्रणालियों में विविधता लाने, सतत विकास, 2030 एजेंडा को प्राप्त करने तथा कुपोषण और भुखमरी को कम करने के लिए मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि पंजाब में ग्रीष्मकालीन रतालू और मूंग की खेती धान की बुवाई से पहले या आलू की कटाई और गन्ने की कटाई के बाद की जाती है, जिससे न केवल किसानों को अतिरिक्त आय होती है बल्कि भूमि की उर्वरता भी बढ़ती है। उन्होंने कहा कि दालों में प्रोटीन अधिक और वसा कम होती है।
इनमें घुलनशील फाइबर प्रचुर मात्रा में होता है, जो शाकाहारियों के लिए प्रोटीन का मुख्य स्रोत है। उन्होंने कहा कि भारत में दालों की खपत प्रति व्यक्ति 80 ग्राम के मुकाबले केवल 42 ग्राम है, जिसे बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक किसान को अपनी घरेलू जरूरतों के लिए रबी और खरीफ सीजन के दौरान कुछ क्षेत्र में दलहन की खेती करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा मधुमेह और हृदय रोग जैसे गैर-संचारी रोगों के प्रबंधन के लिए दालों की सिफारिश की जाती है। दालें सबसे अधिक जलवायु-अनुकूल खाद्य पदार्थों में से एक हैं और प्रोटीन का एक उत्कृष्ट और सस्ता स्रोत हैं। उन्होंने कहा कि ग्रीष्मकालीन खेती के लिए प्रति एकड़ 20 किलोग्राम बीज का प्रयोग करना चाहिए, जबकि आमतौर पर किसान 10-15 किलोग्राम बीज ही प्रयोग करते हैं, जिससे प्रति एकड़ उपज कम होती है। इस अवसर पर कृषि विकास अधिकारी डॉ. सोनल कुमार जी ने कृषि विभाग द्वारा किसानों के हित में चलाई जा रही योजनाओं एवं गतिविधियों की जानकारी दी, डॉ. गायत्री शर्मा जी ने मिट्टी जांच के बारे में जानकारी दी तथा भिखारीवाल सर्कल इंचार्ज रशपाल सिंह ने गेहूं की फसल के बारे में जानकारी दी। इस अवसर पर डा. सोनल कुमार, कृषि विकास अधिकारी, कलानौर, कृषि विस्तार अधिकारी, रशपाल सिंह, कृषि विस्तार अधिकारी, रविंदर कौर, कृषि विस्तार अधिकारी, अमृतपाल कौर, कृषि उपनिरीक्षक, श्री हरदीप सिंह, श्री मनजिंदर पाल सिंह, श्री गुरमीत सिंह, श्री मलकीत सिंह, श्री गुरप्रताप सिंह, श्री प्रीतम सिंह, श्री अर्जुन कुमार आदि उपस्थित थे।
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