लाखों रुपए के का हुआ नुकसान लेकिन लोगों के लिए बना वरदान
लाखों रुपए के का हुआ नुकसान लेकिन लोगों के लिए बना वरदान,,,,,,,,
जी हां सुनने में यह बात बड़ी अटपटी सी लग रही है लेकिन ऐसा ही यहां चम्बा जिला के मरेडी से तीन पंचायत को जोड़ने वाला साल नदी पर बना पुल टूटने से हुआ है। करीब एक हफ्ता पहले मारेड़ी से सरांह ,उटीप ,वाट तीन पंचायत को जोड़ने वाला साल नदी पर करीब 60 साल पहले बना पुल जिसकी लोहे की तारे जंग लगने से गल -सड़ व टूट चुकी थी वह यहां सड़क निर्माण के दौरान एक बसे पत्थर के गिरने से पूरी रथ से टूट चूका हे। इसी पैदल आने जाने के लिए बने वाले पुल पर रोजाना सैकड़ो ग्रामीण वा स्कुली बच्चे आते जाते थे लोग अपने रोजमर्रा का सामान भी घोड़ों व खच्चरों के माध्यम से इसी पुल से ले जाया करते थे। उनकी हालत इतनी खस्ता हो चुकी थी कि इस पर से लोग बारी-बारी से आर पार करते थे। इसकी शिकायत लोगों ने कई बार विभाग से की थी लेकिन सड़क निर्माण कार्य से एक बड़ा पत्थर जब इस पुल पर गिरा तो यह पुल उसकी मार को सहन नहीं कर पाया और पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया। हालांकि जिस छोर पर यह पत्थर गिरा था उसके दूसरी छोर से यह पुल टूटा था उससे साफ जाहिर होता है कि इस पुल को सहारा देने वाली लोहे की रसिया पूरी तरह से गल चुकी थी। राहत की बात यह रही कि जिस समय यह पुल टूटा उस समय इस पुल के ऊपर से कोई भी गुजर नहीं रहा था यही वजह है कि यहां कोई जानी नुकसान नहीं हुआ अब जबकि रोजाना इन तीन पंचायत के सैकड़ो लोग मुख्यालय की तरफ अपने कामकाज के लिए आते हैं तो लोगों ने टेम्परेरी तौर पर एक लकड़ी की पुली (तरंगड़ी) बनाई है जिस पर से होकर बच्चे ,बूढ़े सभी लोग आते जाते हैं। सुबह छोटे बच्चों को मां-बाप इस पुल को पार करवाने के लिए यहां आना पड़ता है और शाम को जब स्कूल से छुट्टी होती है तो बच्चों को लेने के लिए भी उन्हें यहां पहुंचना पड़ता है। ताकि कोई नुकसान ना हो हो पाए।
यहां इस लकड़ी के पुल से नदी को पार करते हुए छोटे-छोटे स्कूली बच्चों ने बताया कि उन्हें यहां से रोजाना इस लकड़ी की पुली को पार करके स्कूल जाना पड़ता है जिसकी वजह से उन्हें हमेशा यहां डर लगा रहता है। उन्होंने बताया कि जो पैदल उनके गांव के लिए आने जाने का पुल था वह पूरी तरह से टूट चुका है और वह चाहते हैं कि जल्द से नए पुल का निर्माण हो ताकि वह बिना किसी डर से अपने स्कूल आ जा सके।
वही गांव के बुजुर्ग व पंचायत प्रतिनिधियों ने बताया कि उनके गांव के लिए सड़क बहुत ही जरूरी है। उन्होंने बताया कि यहां जो पैदल आने जाने के लिए पुल बना था उस पर पत्थर गिरा और वह टूट गया। उन्होंने बताया कि हम यह मानते हैं कि वह पत्थर हम ग्रामीणों के लिए वरदान साबित हुआ क्योंकि इस पुल का करीब 60 साल पहले इसका निर्माण हुआ था और यह इसकी लोहे की तारें पूरी तरह से जंग की वजह से सड़ गल चुकी थी और इस पर से रोजाना सैकड़ों लोग आते जाते थे। जब भी कोई शादी समारोह होता था तो लोग यहां से आते जाते थे तो उसे हमेशा डर रहता था लेकिन अब जबकि यह पुल टूटा है और राहत की बात यह है कि इससे कोई जानी नुकसान नहीं हुआ है। अब वह सरकार से मांग करते हैं कि उनके गांव के लिए जल्द से सड़क निर्माण करवाई जाए और यहां पर नए पुल का भी निर्माण करवाया जाए क्योंकि हर साल उनके गांव में क्विंटलों के हिसाब से मक्खी वह अन्य साग सब्जियां होती है जो उन्हें पीठ पर उठाकर लाना पड़ता है वह गाड़ी के माध्यम से शहर की मंडी तक पहुंचा पाएं ताकि उन्हें फायदा हो।
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