पालमपुर की भूमि : वीर सपूतों की पावन धरती
पालमपुर की भूमि : वीर सपूतों की पावन धरती
– इंजीनियर सुदर्शन भाटिया, विख्यात लेखक
पालमपुर : केवल कृष्ण /
पालमपुर की धरती सदा से ही वीरता, देशभक्ति और बलिदान की प्रतीक रही है। इसी पावन भूमि से देश को पहला वीर चक्र विजेता मेजर सोमनाथ शर्मा मिला, जिन्होंने भारत माता की रक्षा में सर्वोच्च बलिदान दिया। कारगिल युद्ध के अमर नायक कैप्टन विक्रम बत्रा, जिन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया, भी पालमपुर के ही सपूत थे।
कारगिल की कठिन और बर्फ़ीली चोटियों पर लड़ते हुए कैप्टन विक्रम बत्रा ने न केवल अपने कर्तव्य का पालन किया, बल्कि शत्रु की रणनीतियों को समय रहते उजागर कर अपने अधिकारियों को सतर्क कर दिया। इसी वीरता के चलते उन्हें सेना में “शेरशाह” के नाम से जाना जाने लगा। दुर्भाग्यवश, इस वीर प्रयास के दौरान उन्हें और उनके पांच साथियों को दुश्मनों ने बंदी बना लिया और उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया गया। उन्हें असहनीय यातनाएं दी गईं — आंखें फोड़ दी गईं, गुप्तांगों को क्षति पहुंचाई गई, और शरीर को पीट-पीट कर बुरी तरह जर्जर कर दिया गया।
इसी भूमि के अन्य वीर सपूतों — एन. के. कालिया, सुधीर वालिया, राकेश व अन्य कई सैनिक अधिकारियों ने भी मातृभूमि की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी है। भारतीय सेना के जांबाज़ सिपाहियों ने मात्र कुछ ही मिनटों में शत्रु की सीमा में घुसकर भारतीय हथियारों की ताकत का प्रदर्शन करते हुए 9 आतंकी कैंपों को ध्वस्त कर दिया और उनमें छिपे लगभग 100 आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया।
जैसे ही यह समाचार देशवासियों तक पहुँचा, समूचे भारत में खुशी की लहर दौड़ गई। 140 करोड़ नागरिकों ने भारत सरकार और हमारी सेना के तीनों अंगों – थल, जल और वायु – की जय-जयकार करते हुए, अपने वीर शहीदों को कृतज्ञतापूर्वक श्रद्धांजलि अर्पित की। माताएं, बहनें और बेटियां जिन्होंने अपने सुहाग और अपने भाई खोए, उनके बलिदान को समूचा देश नमन करता रहा।
इस अवसर पर प्रसिद्ध लेखक और समाजसेवी इंजीनियर सुदर्शन भाटिया ने गहरी भावनाओं के साथ कहा कि देश के जागरूक युवाओं ने एक बार फिर पालमपुर की पावन भूमि के शहीदों को श्रद्धा से नमन किया है और उनके परिवारों के प्रति भी शुभकामनाएं प्रकट की हैं। उन्होंने यह भी बताया कि वे प्रतिदिन प्रातः उठते ही सबसे पहले ईश्वर का स्मरण करते हैं, माता-पिता को प्रणाम करते हैं और तत्पश्चात भारत के वीर सैनिकों को श्रद्धा-सहित नमन करते हैं।
उन्होंने कहा कि कैप्टन विक्रम बत्रा के परिवार और एन. के. कालिया के परिवार से उनके पारिवारिक रिश्ते वर्षों पुराने हैं। कैप्टन विक्रम बत्रा और उनके भाई बचपन में उनके बच्चों के साथ पढ़ते और खेलते थे। वे उन्हें स्नेहपूर्वक लव-कुश के नाम से पुकारते थे। एन. के. कालिया तथा उनकी धर्मपत्नी विजय कालिया भी भाटिया परिवार के घनिष्ठ मित्र रहे हैं।
इंजीनियर भाटिया ने यह भी बताया कि जब कैप्टन विक्रम बत्रा दुश्मनों पर टूट रहे थे, तो शौर्य और पराक्रम के प्रतीक बन चुके थे। वहीं, जब कप्तान सौरव कालिया युद्धभूमि की ओर जा रहे थे, उन्होंने संभवतः पठानकोट या अमृतसर से अपनी मां को अंतिम बार फोन कर कहा था – “मां, तेरा आशीर्वाद बना रहे।” इसके पश्चात उन्होंने रणभूमि में दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देते हुए वीरगति प्राप्त की।
सुदर्शन भाटिया भावुक होकर कहते हैं,
“पालमपुर की यह भूमि धन्य है, जहां इतने अद्वितीय वीर सपूतों ने जन्म लिया। आज भी लोग इस भूमि की माटी को अपने माथे पर तिलक करते हैं और गर्वपूर्वक शहीदों को नमन करते हैं।”
उन्होंने अंत में कहा कि यह हम सभी भारतवासियों का नैतिक और राष्ट्रीय कर्तव्य है कि हम इन वीर सपूतों की स्मृति को जीवंत बनाए रखें, उनके परिवारों को ससम्मान और सहयोग दें, और देश के युवाओं में राष्ट्रभक्ति का ज्वार बनाए रखें।
कोई टिप्पणी नहीं