सेना को मिलेगें भारी संख्या में ड्रोन,न्यू तकनीक से लैंस
सेना को मिलेगें भारी संख्या में ड्रोन,न्यू तकनीक से लैंस
रक्षा मंत्रालय ने 2000 करोड़ रुपए की आपातकालीन खरीद को मंजूरी दे दी
रक्षा मंत्रालय की तरफ से ये मंजूरी एक आपातकालीन खरीद के तौर पर दी गई है। इसका मतलब है कि खतरा सिर पर है और सेना को तुंरत तैयार किया जा रहा है। ये फंड ऐसे ड्रोन्स के लिए जारी किया गया है जो भारत की सीमा सुरक्षा को न केवल मजबूत बनाएंगे बल्कि दुश्मन की हरकतों पर पल-पल की नजर भी रखेंगे और जरूरत पड़ने पर तुरंत हमला कर सकेंगे। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि 1,981.90 करोड़ रुपये की राशि के ये अनुबंध भारतीय सेना के लिए 2,000 करोड़ रुपये के कुल स्वीकृत परिव्यय के मुकाबले अंतिम रूप दिए गए हैं। आपातकालीन खरीद योजना के तहत फास्ट-ट्रैक प्रक्रियाओं के माध्यम से निष्पादित, उपकरण और हथियारों का उद्देश्य आतंकवाद विरोधी वातावरण में तैनात सैनिकों के लिए स्थितिजन्य जागरूकता, मारक क्षमता, गतिशीलता और सुरक्षा को बढ़ाना है। मंत्रालय ने कहा कि तेजी से क्षमता वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए अधिग्रहण को संकुचित समयसीमा के भीतर पूरा किया गया था। ये खरीद भारतीय सेना को उभरती सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए मिशन-महत्वपूर्ण और पूरी तरह से स्वदेशी प्रणालियों से लैस करेगी। सूत्रों ने कहा कि इस तरह की और खरीद हो सकती है क्योंकि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इस्तेमाल की गई सूची को फिर से भरने के लिए बलों को करीब 40,000 करोड़ रुपये उपलब्ध कराए गए थे।
सेना को कौन कौन से ड्रोन मिलेंगे
1. इंटिग्रेटेड ड्रोन डिटेक्शन एंड इंटरडिक्शन सिस्टम यानी दुश्मन के ड्रोन को पहचान कर, ट्रैक कर और उसे हवा में ही निष्क्रिय करने में सक्षम होगा। भारत के पास अब वो टेक्नोलाजी होगी जिससे कोई भी विदेशी ड्रोन सीमा में दाखिल नहीं हो पाएगा।
2. रिमोटली पाइलेटेड एरियल व्हीकल्स खासतौर से निगरानी और स्ट्राइक मिशन दोनों के लिए तैयार किए गए हैं। सेना को ऐसे आरपीवी मिलेंगे जो दिन रात हर मौसम में ऑन ऑपरेट कर सकते हैं।
3. लायट्री म्यूनिशन ड्रोन टारगेट के आसपास चक्कर काटते हैं और जैसे ही कमांड मिलती है टारगेट पर गिरकर धमाका कर देते हैं।
4. सर्विलांसिग कॉम्बैट ड्रोन न केवल निगरानी करेंगे बल्कि जरूरत पड़ने पर दुश्मन के टारगेट पर लॉन्ग रेंज अटैक भी कर सकेंगे।
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