आपदा के समय मनोसामाजिक मदद अत्यंत अहम: साधन
आपदा के समय मनोसामाजिक मदद अत्यंत अहम: साधन
तीन दिवसीय शिविर में मानसिक स्वास्थ्य देखभाल का शुभारंभ
धर्मशाला जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा आपदा के समय मानसिक स्वास्थ्य और मनोसामाजिक देखभाल पर तीन दिव्य प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ उद्यम शिल्पी बेक्टा ने किया। उन्होंने अपने दस्तावेज़ में कहा कि आपदा प्रबंधन के सिद्धांत में मानसिक स्वास्थ्य और मनोसामाजिक सहायता की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम फ्रंटलाइन वर्कर्स के फ़्रांसीसी बनाने में सहायक सिद्ध होते हैं। उन्होंने कहा कि आपदा के प्रभाव संबंधित हैं। आम तौर पर, किसी भी आपदा में शारीरिक और आर्थिक प्रभाव अधिक दिखाई देते हैं। स्याही पर शारीरिक या आर्थिक, अंततः मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ता है। हालाँकि, मनोवैज्ञानिक प्रभाव को नकारा नहीं जा सकता। मानसिक स्वास्थ्य के बारे में कम जागरूकता आपदाओं का एक मुख्य कारण मनोवैज्ञानिक प्रभाव है। इसलिए, किसी भी आपदा के बाद प्राथमिक देखभाल सलाहकार (पीसीडी) को बायोसाइकोसोशल प्रभाव के प्रति निगरानी बनाए रखना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि डीडीएलएम का यह प्रयास आपदा के दौरान प्रभावितों की मानसिक स्थिति को समझने और उन्हें समय पर सहायता प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में देखा जा रहा है।
प्रशिक्षण के पहले दिन डॉ. टैंकर ठाकुर, मनोचिकित्सक, जोनल अस्पताल धर्मशाला एवं संदीप शर्मा ने विशेषज्ञ के रूप में भाग लिया। उन्होंने आपदा की स्थिति में मानसिक तनाव, अवसाद और मनोसामाजिक समर्थन के प्रभावी अध्ययन के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
इस प्रशिक्षण में पुलिस विभाग, इंजीनियर्स, होम गार्ड्स, शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग, विभिन्न स्वयंसेवी कार्यकर्ताओं और विभिन्न स्वयंसेवी कार्यकर्ताओं सहित बड़ी संख्या में फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।
कार्यक्रम आगामी दो दिनों तक चलेगा, जिसमें विषय-विशेषज्ञों द्वारा पेशेवर प्रशिक्षण, समूह चर्चा और केश अध्ययन के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य और मनोसामाजिक सहायता से जुड़े विभिन्न संकायों पर अध्ययन किया जाएगा।
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