छोटे बच्चे घर की रौनक होते हैं - Smachar

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छोटे बच्चे घर की रौनक होते हैं

 छोटे बच्चे घर की रौनक होते हैं

वे ईश्वर की ओर से दिया गया एक अनमोल तोहफ़ा होते हैं"


बटाला : अविनाश शर्मा, चरण सिंह /

जीवन की भागदौड़ और सामाजिक उलझनों के बीच अगर कोई चीज़ सच्ची ख़ुशी और आत्मिक शांति देती है, तो वो हैं — घर के छोटे बच्चे। ये मासूम मुस्कानें, निश्छल नज़रों और निर्मल मन वाले बच्चे । केवल परिवार की रौनक ही नहीं, बल्कि समाज की उम्मीद भी होते हैं। बच्चों की हँसी वो रौशनी है जो घर की दीवारों को भी ज़िंदा कर देती है। उनकी उछल-कूद, शरारतें और खेलकूद घर के हर कोने को उत्साह और उम्मीद से भर देते हैं। जहाँ बच्चे खिलखिलाते हैं, वहाँ अपने आप ही परिवार की मुस्कानें भी खिल उठती हैं। बच्चे हमारी ज़िंदगी की सबसे ख़ूबसूरत यादें होते हैं। वो हमें सिखाते हैं कि छोटी-छोटी बातों में भी कैसे खुश रहना है। उनकी भोली भाषा, अजीब से सवाल, और उनकी दुनिया — वो होती है एक अलग ही संसार, जहाँ न कोई चिंता है, न कोई लालच। माता-पिता के लिए भी बच्चे एक सच्चा वरदान होते हैं। उनकी परवरिश, संस्कार और शिक्षा — ये सब एक यात्रा होती है जो माता-पिता को भी और ज़्यादा इंसानियत सिखाती है। जहाँ बच्चा एक क़दम चलता है, वहाँ माँ-बाप अपने हौसलों की गहराई मापते हैं। आज के व्यस्त युग में, जहाँ समय की कद्र कम होती जा रही है, वहीं बच्चों के साथ बिताया गया वक़्त एक अनमोल धरोहर बन जाता है। बच्चे ही हैं जो हमें सच्चे मायनों में प्रेम, सहानुभूति और सहनशीलता सिखाते हैं।

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