"डॉo दास महेश व्यास जी ने पांगणा में चल रही शिवमहापुराण की कथा में किया हिमाचल की दिव्य महिमा का बखान।" - Smachar

Header Ads

Breaking News

"डॉo दास महेश व्यास जी ने पांगणा में चल रही शिवमहापुराण की कथा में किया हिमाचल की दिव्य महिमा का बखान।"

"डॉo दास महेश व्यास जी ने पांगणा में चल रही शिवमहापुराण की कथा में किया हिमाचल की दिव्य महिमा का बखान।"


 पांडवों द्वारा स्थापित पांगणा नगरी में शिवमहापुराण की कथा का प्रवचन दो सत्रों में सुनाया जा रहा है।

दिन के सत्र का नाम "हिम रस" रखा गया है जिसमें पूज्यनीय गुरुदेव जी हिमाचल प्रदेश की महता का बखान करते हुए कहते हैं कि शिव द्वारा पार्वती को सबसे पहले अमरकथा हिमाचल में ही सुनाई गई। इसलिए हिमाचल सबसे पहले सत्संग की भूमि है। तथा इसी हिमाचल में व्यास जी ने महाभारत सहित अन्य अन्य पुराणों की भी रचनाएं की है। 

"हिम रस" सत्र में व्यास जी ने शिव और शक्ति की महिमा का बखान करते हुए कहा कि हिमाचल शिव और शक्ति की अपार कृपा से आच्छादित स्थान है, यहां के कण - कण में शंकर और पात - पात में शक्ति(पार्वती) विद्यमान रहती है।

वहीं शाम के सत्र में हो रहे प्रवचन का नाम "आधार" रखा गया है, जिसमें पाँगणा नगरी के प्राचीन शिव मंदिर पांडेश्वर महादेव मन्दिर के नव निर्माण के लिए आधार बनाने हेतु सर्व जनमानस से सहयोग का निवेदन भी किया गया। तथा साथ ही सनातन धर्म की रक्षा के लिए मंदिर का निर्माण जरूरी बताते हुए स्वच्छ समाज निर्माण में मन्दिर की अहम भूमिका का महत्व भी बताया।

व्यास जी ने कहा कि अनेकों आक्रांताओं ने समय समय पर हमारे प्राचीन विश्वविद्यालयों "तक्षशिला", " नालन्दा" जैसे संस्थानों को लूटा, ताकि हमारी शिक्षा और ज्ञान की उपलब्धियों को नष्ट किया जाए और हम अपनी संस्कृति और सभ्यता को भूल जाएं। उस वक्त ये मंदिर ही थे जिनकी वजह से हमारे संस्कार बचे रह सके, इन मन्दिरों के अनेकों शिलालेख और स्थापित मूर्तियों के चिन्ह आज भी बीते इतिहास के साक्ष्य के रूप में उपलब्ध है। इस हेतु प्राचीन मंदिरों तथा ऐतिहासिक धरोहरों का संरक्षण और संवर्धन होना चाहिए।

 उन्होंने कहा कि प्रकृति और आस्था के नियमों से छेड़छाड़ भी प्राकृतिक आपदा का एक बड़ा कारण है, हिमाचल देवभूमि है और हम लोग देवताओं के साथ जीवन जीते है। इसी कारण यहां का पर्यटन विकास भी देवताओं के नियमों को ध्यान में रखकर ही विकसित किया जाना चाहिए। गुरुदेव जी ने कहा यहां पर्यटन शान्ति के लिए आना चाहिए न कि मौज मस्ती के लिए क्योंकि यह ऋषि मुनियों की धरती है। इस समय करसोग और थुनाग में त्रासदी बहुत दुखद घटना है हमें इससे सीख लेने की आवश्यकता है। गुरुदेव जी ने कहा कि शाम के सत्र में आप लोग जो भी भेंट व्यास पीठ पर चढ़ाते हैं,उसे व्यासपीठ पर न चढ़ाकर समिति में ही जमा करें और उसी भेंट से मन्दिर भी बनेगा पर उससे पूर्व यथाशक्ति एक हिस्सा त्रासदी से पीड़ित लोगों की सहायता के लिए भी प्रदान किया जाए।

कोई टिप्पणी नहीं