उच्च न्यायालय हिमाचल प्रदेश खंडपीठ का निर्णय पिछली सरकारों के मुंह पर एक तमाचा : डॉ संजीव गुलेरीया
उच्च न्यायालय हिमाचल प्रदेश खंडपीठ का निर्णय पिछली सरकारों के मुंह पर एक तमाचा : डॉ संजीव गुलेरीया
नगरोटा सूरियां : प्रेम स्वरूप शर्मा / उच्च न्यायालय हिमाचल
प्रदेश खंडपीठ का निर्णय पिछली सरकारों के मुंह पर एक तमाचा है क्योंकि पिछली सरकारों ने कर्मचारियों के हितों की अनदेखी करी है, यह कहना है डाक्टर संजीव गुलेरीया प्रदेश अध्यक्ष न्यु पेंशन स्कीम रिटायर्ड कर्मचारी अधिकारी महासंघ हिमाचल प्रदेश का।
उन्होंने बताया कि पिछली सरकारों ने कर्मचारियों के अनुबंध सेवाकाल को नियमित कार्यकाल में मानने से इन्कार कर दिया था जिस कारण कर्मचारियों ने माननीय उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और मुख्य न्यायाधीश श्री रामचंद्र राव और न्यायधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने सरकार के फैसले को खारिज करते हुए अनुबंध सेवाकाल को नियमित सेवा कार्य काल के साथ जोड़कर वरिष्ठता और पदोन्नति में गिनने के आदेश जारी कर दिए।
डाक्टर संजीव गुलेरीया ने कहा कि मैं मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू जी से निवेदन करता हूं कि माननीय उच्च न्यायालय के इस फैसले का सम्मान करते हुए कर्मचारियों से न्याय करें।
पिछली सरकारों की तरह फैसले को और आगे घसीटने और लटकाने के लिए ब्यूरोक्रेसी के झांसें में फंस कर सर्वोच्च न्यायालय में इस फैसले के विरुद्ध न जाएं।
डाक्टर संजीव गुलेरीया ने कहा कि मुख्यमंत्री ने आपदा काल त्रासदी के समय वित्तीय स्थिति हिमाचल प्रदेश की डांवाडोल होने के वावजूद प्रदेश को पटरी में लाने का जो अथक प्रयास किया है उसके लिए हम सभी प्रदेशवासी मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू का आभार प्रकट करते हैं और उम्मीद करते हैं कि पढ़े-लिखे बेरोजगार युवा पीढ़ी को रोजगार संसाधन उपलब्ध करवाने में भी सफल होंगे ।
डाक्टर संजीव गुलेरीया ने मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू से मांग की है कि एनआरएचएम हैल्थ डिपार्टमेंट में और एसएमसी शिक्षा विभाग में कार्यरत अध्यापक वर्ग और पंचायती विभाग में कार्यरत कर्मचारियों के लिए भी स्थाई नीति बनाई जाए जिस से कि यह कर्मचारी भी सरकारी सेवा का लाभ उठा सकें।
डाक्टर संजीव गुलेरीया ने कहा कि एक मांग मुख्यमंत्री से और रहेगी कि वित्तीय स्थिति हिमाचल प्रदेश की सृदड होने पर सीसीएस रूल्स 1972 के अन्तर्गत रिटायर्ड कर्मचारी अधिकारी जो पुरानी पेंशन व्यवस्था में नहीं आ रहे हैं उन्हें भी सम्मानजनक कर्मचारियों के पद के अनुरूप सम्मानजनक पेंशन बुढ़ापे का सहारा शीघ्र अतिशीघ्र दी जाए।
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