गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रकाश का एकमात्र उद्देश्य था मानवता की रक्षा करना : परमजीत सिंह गिल - Smachar

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गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रकाश का एकमात्र उद्देश्य था मानवता की रक्षा करना : परमजीत सिंह गिल

गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रकाश का एकमात्र उद्देश्य था मानवता की रक्षा करना  : परमजीत सिंह गिल 


बटाला (अविनाश शर्मा, संजीव नैयर):-   हिमालय परिवार संगठन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं लोकसभा हलका गुरदासपुर के वरिष्ठ नेता परमजीत सिंह गिल ने कहा कि बहुआयामी व्यक्तित्व के स्वामी श्री गुरु गोबिंद सिंह जी एक महान क्रांतिकारी योद्धा थे, जिन्होंने सशस्त्र खालसा-पंथ का निर्माण किया।


  श्री गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती आज संपूर्ण सिख जगत बड़ी श्रद्धा के साथ मना रहा है।


 उन्होंने कहा कि मानवता के लिए अपने पूरे परिवार का बलिदान देने वाले श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की, हालांकि उन्होंने अपना अधिकांश जीवन पंजाब में जुल्म से लड़ते हुए बिताया, लेकिन उनका प्रारंभिक जीवन पटना साहिब (बिहार) में बीता


 उन्होंने कहा कि साहिब-ए-कमाल, नीले घोड़े के शाह असवर, कलगीधर, सिखों के दसवें गुरु और खालसा के संस्थापक श्री गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म पटना में माता गुजरी की कोख से हुआ था।


 उन्होंने कहा कि शास्त्र विद्या में निपुण श्री गुरु गोबिंद सिंह जी शास्त्र विद्या के भी धनी थे।  दशम पातशाह ने फ़ारसी के साथ-साथ संस्कृत का भी अध्ययन किया।  गुरु साहिब जी ने पंजाबी, हिंदी, संस्कृत और फ़ारसी में गुरबानी लिखी।

  इतिहासकार लिखते हैं कि जब गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म हुआ, तो भाई भीखण शाह ने उस दिन उगते सूरज की ओर मुंह करके नमाज अदा की और यह जानने के लिए कि श्री गुरु गोबिंद सिंह जी किस धर्म के हैं, वे श्री गुरु गोबिंद सिंह जी का नाम पूछकर दर्शन के लिए गये और गुरु साहिब से पूछा, "आप किस धर्म के पैगम्बर हैं?"  तब बाल गोबिंद ने दोनों प्यालों पर हाथ रखा।  इससे भीखण शाह को समझ आ गया कि यह कोई साधारण अवतार नहीं है।

 उन्होंने कहा कि गुरु साहिब जी ने अपने जीवनकाल में कई युद्ध लड़े और हर युद्ध में जीत हासिल की।  गुरु साहिब जी का एकमात्र उद्देश्य पीड़ितों और गरीबों की रक्षा करना था।  गुरु साहिब जी ने इसके लिए अपने परिवार तक का बलिदान दे दिया।  इसकी शुरुआत गुरु साहिब जी ने अपने पिता गुरु तेग बहादुर जी से की थी।

आज के दिन हमें गुरु साहिब जी के दर्शाए हुए मार्ग पर चलते हुए मानवता के कल्याण के लिए कुछ ना कुछ योगदान करने का प्रण करना चाहिए।


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