रोहतक में मुख्यमंत्री के नाम आरएमओपीएस कर्मचारियों के खून से लिखा हुआ ज्ञापन भेजा - Smachar

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रोहतक में मुख्यमंत्री के नाम आरएमओपीएस कर्मचारियों के खून से लिखा हुआ ज्ञापन भेजा


ब्यूरो:
इस अवसर पर राजस्थान में पुरानी पेंशन बहाल करवाने वाले संगठन एनपीएसईएफआर के प्रदेश अध्यक्ष रविन्द्र शर्मा ने कहा कि पुरानी पेंशन हर कर्मचारी का अधिकार है। पुरानी पेंशन नीति से कर्मचारी का जहां जीवन सुरक्षित होता है वहीं बुढ़ापे में सामाजिक सुरक्षा मिलती है। उन्होंने हरियाणा में आरएमओपीएस द्वारा चलाई जा रही मुहिम का पुरजोर समर्थन करते हुए हर प्रकार का सहयोग देने का आश्वासन दिया।

आरएमओपीएस हरियाणा का राज्य स्तरीय सम्मेलन स्थानीय शहीद मदन लाल धींगड़ा कम्युनिटी सेंटर में प्रिंसिपल अशोक नांदल की अध्यक्षता में हुआ।

सम्मेलन के बाद सभी कर्मचारियों ने एकजुट होकर शहर में जुलूस निकाला तथा लघु सचिवालय में पहुंचकर उपायुक्त के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम कर्मचारियों के खून से लिखा हुआ ज्ञापन भेजा। सम्मेलन का मंच संचालन नरेन्द्र खोखर ने किया। अपने अध्यक्षीय भाषण में अशोक नांदल ने कहा कि जब तक पुरानी पेंशन बहाल नहीं हो जाती तब तक कर्मचारी चैन से नहीं बैठेंगे। उन्होंने राज्य सरकार से मांग की कि जल्द से जल्द विधानसभा सत्र बुलाकर कर्मचारियों की इस बहुप्रतीक्षित मांग को पूरा करें अन्यथा संगठन बड़ा आंदोलन चलाने के लिए मजबूर होगा।

हिमाचल प्रदेश से आये एनपीएसईए एचपी के वरिष्ठ नेता नरेश ठाकुर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में पुरानी पेंशन नीति बहाल करवाने के लिए कर्मचारियों ने अपना भरपूर संघर्ष किया है जिसका परिणाम यह निकला कि वहां पर राज्य सरकार को सत्ता से बेदखल होना पड़ा। कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणापत्र में कर्मचारियों को पुरानी पेंशन देने का वादा किया था, जिसकी वजह से उसे हिमाचल में बंपर जीत हासिल हुई है।


सम्मेलन के बाद सभी कर्मचारियों ने एकजुट होकर शहर भर में जुलूस निकाला तथा लघु सचिवालय में पहुंचकर उपायुक्त के माध्यम से मुख्यमंत्री को कर्मचारियों के खून से लिखा हुआ ज्ञापन भेजा। सेवानिवृत्त कर्मचारियों ने भी इस सम्मेलन में शिरकत की तथा कर्मचारियों को हर स्तर पर सहयोग व समर्थन का भरोसा दिलाया। 


सम्मेलन में राजस्थान से आये विनोद चौधरी, रजनीश खन्ना, जगदीप लाठर, कृष्ण मलिक, प्रमिला खोखर, प्रवीन गर्ग, सिकंदर सांगवान, अशोक पांचाल, सुरेश नेहरा, जोगेन्द्र बल्हारा, विजय पाल, आशीष खोखर, कर्मपाल, संजीव गुलिया, संजीव स्वामी, सुभाष भट्टी, अशोक खोखर आदि ने भी अपने विचार रखे।

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