महाशिवरात्रि के दिन इन राशियों पर बरसेगी शिव की कृपा,शिव चालीसा, शिव आरती - Smachar

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महाशिवरात्रि के दिन इन राशियों पर बरसेगी शिव की कृपा,शिव चालीसा, शिव आरती

महाशिवरात्रि के दिन इन राशियों पर बरसेगी शिव की कृपा,शिव चालीसा, शिव आरती के साथ करें शिव पूजन 


महाशिवरात्रि के दिन धनिष्ठा नक्षत्र और शिव योग का खास संयोग बन रहा है. इसके अलावा सर्वार्थ सिद्धि योग और सिद्ध योग का भी दुर्लभ संयोग बन रहा है. महाशिवरात्रि के दिन बनने वाले दुर्लभ योगों के शुभ प्रभाव से कुछ राशियों की किस्मत करवट लेगी. शिवजी की कृपा के शुभ परिणामस्वरूप इन राशियों की जिंदगी में अच्छे दिन की शुरुआत हो जाएगी. महा शिवरात्रि पर भगवान शिव किन राशियों पर खास कृपा रखने वाले हैं:-

मेष राशि


महा शिवरात्रि पर शिवजी की विशेष कृपा रहने वाली है. जिसके परिणामस्वरूप जीवन में चल रही आर्थिक परेशानियों से छुटकारा मिलेगा. शादीशुदा लोगों के वैवाहिक जीवन में खुशहाली आएगी. स्वास्थ्य अच्छी रहगी. जो लोग प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में लगे हैं, उन्हें शुभ समाचार मिलेगा. नौकरी में कार्यस्थल पर अधिकारी खुश नजर आएंगे. बिजनेस में खास आर्थिक लाभ देखने को मिलेगा. साझेदारी वाले व्यापार में धन का प्रबल योग है.


वृषभ राशि


महा शिवरात्रि के दिन से शिव जी की कृपा मिलनी शुरू हो जाएगी. मकान और जमीन खरीदने का योग बनेगा. आर्थिक स्थिति पहले से अच्छी होगी. जिस काम में रुकावटें आ रही थीं, वो सफलतापूर्वक संपन्न होगी. विवाहित लोगों को भौतिक सुख-सुविधा का भरपूर आनंद मिलेगा.


कन्या राशि


महा शिवरात्रि के दिन से मन में पॉजिटिव एनर्जी का संचार होगा. घर-परिवार में खुशियों का वातावरण नजर आएगा. धन का आगमन का रास्ता साफ होगा. अगर शादीशुदा जिंदगी में किसी तरह की परेशानी चल रही है तो उससे छुटकारा मिलेगा.


मकर राशि


व्यापार में गजब का मुनाफा देखने को मिलेगा. बिजनेस के उद्देश्य से की गई यात्रा से धन लाभ होगा. घर-परिवार में सदस्यों का सहयोग मिलेगा. जो लोग नौकरी कर रहे हैं, उन्हें पदोन्नति का लाभ मिल सकता है. साथ ही अधिकारियों की ओर से विशेष लाभ भी मिलेगा. महा शिवरात्रि के दिन से मानसिक तनाव धीरे-धीरे कम होगा।


महाशिवरात्रि का पर्व हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। वर्ष 2024 में महाशिवरात्रि शुक्रवार, 8 मार्च को मनाई जाएगी।

पूजा प्रारंभ करने से पहले आचमन करें और संकल्प लें। संकल्प में आप यह मनोकामना करें कि आप पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से पूजा संपन्न कर सकें।


पंचामृत स्नान: शिवलिंग का पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर) से स्नान कराएं। इसके बाद, शिवलिंग पर जल चढ़ाएं और बेलपत्र अर्पित करें।


अभिषेक: शिवलिंग पर जल, दूध, दही, शहद, शक्कर, घी, धतूरा, भांग, और इत्र चढ़ाएं।


मंत्र जाप: "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप करें। आप "शिव चालीसा" या "महामृत्युंजय मंत्र" का भी पाठ कर सकते हैं।

Shiva Chalisa

 

।।दोहा।।

 

श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।

कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥

 

जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥

भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥

 

अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥

वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥

मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥

कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥

 

नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥

कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥

 

देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥

किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥

तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥

आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥

 

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥

किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥

 

दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥

वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥

 

प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥

कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥

 

पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥

सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥

 

एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥

कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥

 जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥

दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥

 

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥

लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥

 

मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥

स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥

 

धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥

अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥

 

शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥

योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥

 

नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥

जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥

ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥

पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥

 

पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥

त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥

 

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥

जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥

कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥

 

॥दोहा॥

नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।

तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश॥

मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान।

अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥ 


आरती: भगवान शिव की आरती करें:-

जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला ।


शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला ॥


ॐ जय शिव ओंकारा




काशी में विराजे विश्वनाथ, नंदी ब्रह्मचारी ।


नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी ॥


ॐ जय शिव ओंकारा




त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे ।


कहत शिवानंद स्वामी सुख संपति पावे ॥


ॐ जय शिव ओंकारा.


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