योग का आश्रय लेकर मनुष्य चाहे तो सौ वर्ष तक भी निरोगी जीवन जी सकता है:- स्वामी विज्ञानानंद जी। - Smachar

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योग का आश्रय लेकर मनुष्य चाहे तो सौ वर्ष तक भी निरोगी जीवन जी सकता है:- स्वामी विज्ञानानंद जी।

 योग का आश्रय लेकर मनुष्य चाहे तो सौ वर्ष तक भी निरोगी जीवन जी सकता है:- स्वामी विज्ञानानंद जी।


बटाला,हरपुरा (अविनाश शर्मा , संजीव नैयर )   

"दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान" की ओर से हरपुरा स्थित अपने स्थानीय आश्रम में विश्व स्वास्थ्य दिवस के उपलक्ष्य में दो दिवसीय "विलक्षण योग एवं ध्यान शिविर" का आयोजन किया गया। जिसकेआज पहले दिन संस्थान की ओर से " आशुतोष महाराज जी" के शिष्य स्वामी विज्ञानानन्द जी ने बताया कि बढ़ते हुए शहरीकरण, प्रदूषण, अनियमित आहार विहार और ओद्योगिकीकरण से जहां वृक्ष कटाव से प्राकृतिक असंतुलन की स्थिति पैदा हुई है वहीँ प्रदूषित वायु में सांस लेना भी दूभर हो चुका है। जिससे हृदय से सम्बंधित रोगों के साथ साथ मधुमेह, टी०बी, कैंसर, डेंगू, चिकनगुनिया व विविध विषम ज्वरों में अभिवृद्धि हो रही है।                               

स्वामी जी ने बताया की 

"विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO" के अनुसार विज्ञान का सहारा लेकर आधुनिक चिकित्सा पद्धति ने जहां चरमोत्कर्ष को प्राप्त किया है वहीँ अभी बहुत सी ऐसी बीमारियां हैं जिनका समाधान आधुनिक चिकित्सा प्रणाली में तो नहीं परंतु "भारतीय वैदिक योग दर्शन" में है। वस्तुतः योग का आश्रय लेकर "जीवेम शरदः शतम्" की अवधारणा के अनुरूप मनुष्य चाहे तो सौ वर्ष तक भी निरोगी जीवन यापन कर सकता है। स्वामी जी ने उपस्थित साधकों को *नाड़ी शोधन, अनुलोम विलोम, स्कन्ध चालन, पाद चालन, मंडूक आसन, अर्ध चंद्रासन, उत्तिष्ट तान आसन इत्यादि क्रियाओं का अभ्यास करवाया और साथ ही इनके दैहिक और वैज्ञानिक लाभों से परिचित भी करवाया। प्रकृति संरक्षण की ओर बल देते हुए स्वामी जी ने साधकों को जल संरक्षण और पौधारोपण करने की प्रेरणा दी और संकल्प भी करवाया।                                  

ध्यान देने योग्य है कि कार्यक्रम के अंतर्गत आज संस्थान द्वारा अपने आरोग्य" प्रकल्प के अंतर्गत साधकों को आयुर्वेदिक औषधियां भी उपलब्ध करवाई गईं। कार्यक्रम का आरम्भ विधिवत् वेद मंत्रोच्चारण के साथ हुआ। साधकों के सामूहिक ध्यान के साथ कार्यक्रम के अंत में स्वामी बलराम जी व स्वामी धर्म जी ने शान्ति मन्त्र का उच्चारण कर सर्व जगत कल्याण की प्रार्थना भी की। साधकों ने दैहिक स्वस्थता व आत्मिक शक्ति से ओतप्रोत हो कार्यक्रम का भरपूर लाभ प्राप्त किया।

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