शिमला में पहाड़ों के धंसने के कारणों का पता लगाएंगे भू - वैज्ञानिक
शिमला के पहाड़ी इलाकों में हो रहे भूस्खलन के कारणों की जांच करना और इनके प्रभावों को कम करने के लिए कदम उठाना है।राजधानी शिमला और इसके आसपास के क्षेत्रों में बढ़ती भूस्खलन की घटनाओं को देखते हुए राज्य सरकार ने एक व्यापक बहु-विभागीय अध्ययन शुरू करने का निर्णय लिया है।
अध्ययन का मुख्य उद्देश्य शिमला के पहाड़ी इलाकों में हो रहे भूस्खलन के कारणों की जांच करना और इनके प्रभावों को कम करने के लिए कदम उठाना है। इस अध्ययन टीम में खनन, लोक निर्माण, वन, जल संसाधन और नगर नियोजन विभाग के विशेषज्ञ शामिल होंगे। शिमला के पहाड़ी क्षेत्रों में भारी बारिश के दौरान भूस्खलन की घटनाओं में तेजी से वृद्धि हो रही है। इन घटनाओं से न केवल जनजीवन बाधित होता है बल्कि पर्यावरण और आर्थिक नुकसान भी बढ़ता जा रहा है। इस बढ़ते खतरे से निपटने के लिए राज्य सरकार ने विभिन्न विभागों के विशेषज्ञों को एकजुट कर इस समस्या की गहराई से जांच करवाने का निर्णय लिया है। यह अध्ययन भूगर्भीय संरचना, भूमि उपयोग, जलवायु परिवर्तन और पहाड़ी इलाकों में हो रहे अनियंत्रित निर्माण कार्यों तथा वनों की कटाई के प्रभावों पर केंद्रित होगा।
खनन विभाग के भू-वैज्ञानिक गौरव शर्मा ने बताया कि बहु-विभागीय अध्ययन के माध्यम से राज्य सरकार शिमला में भूस्खलन के खतरे को कम करने के लिए एक ठोस और कारगर योजना तैयार कर रही है। इस अध्ययन के प्रारंभिक परिणाम अगले वर्ष की शुरुआत में आने की उम्मीद है, जिसके आधार पर सरकार द्वारा आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
अध्ययन में पहाड़ों के धंसने के कारणों का पता लगाएंगे। अध्ययन में प्रभावित क्षेत्रों की पहचान भी की जाएगी। इन क्षेत्रों में राहत और पुनर्वास कार्यों को अधिक प्रभावी बनाने के लिए भी योजना बनाई जाएगी। इसके अलावा अध्ययन से प्राप्त जानकारी का इस्तेमाल शिमला में होने वाले विकास कार्यों में किया जाएगा ताकि पर्यावरणीय संतुलन बना रहे। हाल ही के वर्षों में शिमला और आसपास के इलाकों में भूस्खलन की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है। पिछले माह भारी बारिश के कारण हुए भूस्खलनों से कई सड़कों और इमारतों को नुकसान हुआ था।
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