दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से शिव दुर्गा मंदिर में श्रावण मास के उपलक्ष में भगवान शिव की महिमा का कार्यक्रम हुआ - Smachar

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दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से शिव दुर्गा मंदिर में श्रावण मास के उपलक्ष में भगवान शिव की महिमा का कार्यक्रम हुआ

दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से शिव दुर्गा मंदिर, दारा सलाम, बटाला में श्रावण मास के उपलक्ष में एक दिवसीय भगवान शिव की महिमा का कार्यक्रम किया गया





( बटाल : अविनाश शर्मा, संजीव  नैयर,चरण सिंह ) 

दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से शिव दुर्गा मंदिर, दारा सलाम, बटाला में श्रावण मास के उपलक्ष में एक दिवसीय भगवान शिव की महिमा का कार्यक्रम किया गया। जिसमें श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी शंकरप्रीता भारती जी ने कहा कि भगवान शिव ने जो अलौकिक अलंकार धारण किए गए हैं। वह एक एक अलंकार मानव को जीवन की वास्तविकता की ओर इशारा करते हैं। उनके  स्वरूप का एक एक पहलू महान शिक्षाएं और संदेश देता है उनका हर वस्त्र और अलंकार एक इशारा है, चैतन्य शिवत्व की ओर। भगवान शिव ने अपने अंगों पर चिता भस्म का लेप किया यह भी बहुत अच्छा और अर्थ युक्त इशारा लिए हुए हैं शिव की योग अग्नि के ताप में उनकी इंद्रियों और माया के सभी रस जलकर भस्म हो गए हैं। शिव तत्व में स्थित उनकी पूरी देह सांसारिक रसों से दूर है। उनकी देह पर हुआ यह भस्म का लेप इसी त्याग इसी वैराग्य को दर्शाता है। जो मानव को संदेश देता है कि यह शरीर क्षणभंगुर है।

साध्वी हरिंदर भारती जी ने कहा कि भगवान शिव के तन पर सांप लिपटे हुए हैं। प्रभु का यह पक्ष भी बहुत प्रेरणा देने वाला है। यह सांप काल के प्रतीक है। यह भगवान शिव के गले या भुज पर तीन-तीन घेरे लेकर लिपटे रहते हैं। यह तीन घेरे भूत, वर्तमान और भविष्य के प्रतीक है। भगवान का इन्हें आभूषण रूप में धारण करना यह बतलाता है कि उन्होंने कल को जीत लिया है। भगवान शिव को त्रिनेत्र धारी अर्थात्  तीन नेत्रों वाला कहा गया है। उनके स्वरूप का यह पहलू हमको एक गूढ़ संकेत देता है। वह यह कि हम सभी तीन नेत्रों वाले हैं। हम सभी के माथे पर एक तीसरा नेत्र स्थित है। पर यह नेत्र जीवन भर बंद ही रहता है। इसलिए भगवान शंकर का जागृति नेत्र प्रेरित करता है, कि हम भी एक पूर्ण गुरु की शरण प्राप्त कर अपना यह शिव नेत्र जागृत कराएं। जैसे ही हमारा यह तीन नेत्र खुलेगा। हम अपने भीतर ब्रहम सकता का साक्षात्कार करेंगे ईश्वर का दर्शन कर पाएंगे। कार्यक्रम के दौरान सध्वी रवनीत भारती, साध्वी अविनाश भारती एवं साध्वी मीनू भारती जी के माध्यम से सुमधुर भजनों का गायन किया गया। समापन प्रभु की पावन पुनीत आरती से किया गया। 

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