नूरपुर से ताल्लुक रखने वाली ऐसी बेटी मुक्तिका की कहानी साझा करने आए हैं जिसने कानून की दुनिया में कदम रखने का सपना देखा था। - Smachar

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नूरपुर से ताल्लुक रखने वाली ऐसी बेटी मुक्तिका की कहानी साझा करने आए हैं जिसने कानून की दुनिया में कदम रखने का सपना देखा था।

 नूरपुर से ताल्लुक रखने वाली ऐसी बेटी मुक्तिका की कहानी साझा करने आए हैं जिसने कानून की दुनिया में कदम रखने का सपना देखा था।



उसने कम उम्र में ही अपनी राह बनाने का निश्चय कर लिया था और लगन और कड़ी मेहनत से आगे बढ़ना चाहती थी। लेकिन जीवन में भाग्य को कुछ ओर ही मंजूर था जिसकी वजह से उसे परेशानियों का सामना करना पड़ा पर इस बेटी ने इन परेशानियों को मात देते हुए सपने सपने को पूरा करने की हिम्मत दिखाई है यह बेटी मुक्तिका चंडीगढ़ एमसीएम डीएवी कालेज में ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रही थी 23 अप्रैल 2023 को अपने परिवार सहित वैष्णो देवी गई थी वापिस में इनका परिवार सहित एक एक्सिडेंट हो जाता है जिसमें परिवार सहित सब को चोट पहुंचती है और मुक्तिका को इलाज के लिए चंडीगढ़ ले जाया जाता है इसको स्पाइनल कॉर्ड की दिक्कत हो जाती इसकी सर्जरी होती है डाक्टरो ने चलने फिरने से मना कर दिया और यह भी कहा कि यह चल फिर नहीं सकती पिता भी इलाज कहीं ओर चला हुआ था ।जब यह इलाज करवा कर घर आई तो पढ़ाई से कौसो दूर हो चुकी थी मगर मां वैष्णो देवी , ईश्वर का एक ऐसा चमत्कार हुआ कि इस बेटी ने हिम्मत दिखाई और कुछ महीनों बाद इसने जो सोचा था जो सपना संजोया था उसे पूरा करने ठान ली और बिना कालेज गए दर्द सहते हुए भी पढ़ाई शुरू कर वाकर के सहारे चलना फिरना शुरू किया और चंडीगढ़ कालेज में वाकर सहारे चल कर अपने एग्जाम दिए और अच्छे नंबर लेकर ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल कर ली । और अब आगे की पढ़ाई के लिए जुट गई ।





मुक्तिका कपूर ने कहा कि मैं दो साल पहले अपनी ग्रेजुएशन एमसीएम डीएवी कालेज चंडीगढ़ से कर रही थी मैंने तीन स्मैसटर के पेपर दे दिए थे जब चौथे स्मैसटर के पेपरों को 15 दिन रह गए थे उससे पहले मैं अपने परिवार के साथ वैष्णो देवी गई थी वापिस में सड़क हादसे में मेरी एक ऐसी इंजरी हुई कि मेरी स्पाइनल कॉर्ड में फैक्चर हो गया जिससे मेरी टांगें में इशू आ गया उस कारण मुझे अपने एग्जाम रोकने पड़े पांच छः महीने तो मुझे बिस्तर पर ही निकालने पड़े जब पढ़ाई से में दूर हो चुकी थी मैंने शुरू से सोचा था कि मैं जज बनूंगी अपना ला में आगे तक जाऊंगी इस सपने को मुझे छोड़ना पड़ा था लेकिन मैन कुछ महीनों बाद हिम्मत दिखाई और अपने एग्जाम देने का फिर से निर्णय लिया इसमें मेरे कालेज के टीचर्स ने मां-पिता,जितने भी हमारे रिश्तेदार हैं उन्होंने बहुत मदद की जिनकी दुआओं की वजह से आज मैं यहां पहुंची हूं मैंने ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल कर ली इसमें कालेज ने मेरा बहुत साथ दिया बिना कालेज गए मैंने एग्जाम दिए और मेरा यही कहना है कि अगर इरादे मजबूत हो हिम्मत हो तो कुछ भी हासिल हो सकता है ज़िन्दगी बदलाव तो होते ही रहते हैं ।

माता ने कहा हमें अपनी बेटी पर नाज है इसने बहुत ज्यादा हिम्मत करके बड़ा कुछ सेह कर ,दर्द सेह बहुत ज्यादा हिम्मत की है और एग्जाम पास किए और अच्छे नंबर हासिल किए हम चाहते हैं कि आगे भी ऐसे ही बढ़ती रहे और अपनी हिम्मत दिखाती रहे और भगवान इसकी हर खुशी पूरी करे


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