हिमाचल में यह कैसा "व्यवस्था परिवर्तन" चल रहा है
हिमाचल में यह कैसा "व्यवस्था परिवर्तन" चल रहा है
शिमला का प्रसिद्ध समर फ़ेस्टिवल, जिसे हर साल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दी जाती थी, इस बार "अंतरराष्ट्रीय समर फ़ेस्टिवल" की जगह केवल "समर फ़ेस्टिवल" बनकर रह गया है। यह बदलाव सिर्फ़ शब्दों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह दर्शाता है कि प्रदेश की सांस्कृतिक पहचान, पर्यटन की छवि और प्रशासनिक पारदर्शिता किस तेज़ी से गिरावट की ओर जा रही है।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि "अंतरराष्ट्रीय" शब्द को क्यों हटाया गया?
क्या अब यह आयोजन उस स्तर पर नहीं रहा, जिसे अंतरराष्ट्रीय कहा जा सके?
क्या सरकार ने बजट में कटौती की है या फिर यह आयोजन अब केवल रस्म अदायगी बनकर रह गया है?
शिमला जिला प्रशासन और राज्य सरकार इस बदलाव को लेकर चुप क्यों हैं?
हर बार मीडिया के माध्यम से आम जनता को समर फेस्टिवल की तैयारियों, कार्यक्रमों और मेहमानों के बारे में जानकारी दी जाती थी। इस बार वह प्रेस वार्ता भी क्यों नहीं की गई?
क्या जिला प्रशासन इस बदलाव को जनता से छिपाना चाहता है?
"व्यवस्था परिवर्तन" के नाम पर क्या अब सांस्कृतिक कार्यक्रमों को भी छोटा और सीमित किया जाएगा?
कहीं ऐसा तो नहीं कि जैसे-जैसे सरकार की नीतियों से जनता का मोहभंग हो रहा है, वैसे-वैसे सरकार अब बड़े आयोजनों को छोटे स्तर पर लाकर अपनी नाकामी को छिपाने का प्रयास कर रही है?
शिमला समर फ़ेस्टिवल केवल एक सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं है, बल्कि यह हिमाचल की सांस्कृतिक विविधता, पर्यटन क्षमता और जनसंपर्क का प्रतीक रहा है। यदि इसे जानबूझकर सीमित किया जा रहा है, तो यह प्रदेश की छवि और पर्यटन व्यवसाय – दोनों के लिए गंभीर क्षति है।
हम मांग करते हैं कि शिमला जिला प्रशासन और राज्य सरकार इस पर तत्काल सफाई दें –
"अंतरराष्ट्रीय" शब्द को हटाने के पीछे की असल वजह बताएं
इस वर्ष की समर फेस्टिवल रूपरेखा और बजट का विवरण सार्वजनिक करें
प्रेस वार्ता क्यों नहीं की गई, इसका उत्तर दें
और यह आश्वासन दें कि हिमाचल की सांस्कृतिक पहचान को किसी भी प्रकार से कमजोर नहीं किया जाएगा
हिमाचल की जनता जानना चाहती है – क्या "व्यवस्था परिवर्तन" का मतलब अब पर्व, परंपरा और पहचान का पतन है?
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