जिस गुरु का शिष्य गुरु ना बन पाए वह गुरु अधूरा :श्री श्री सुदर्शन जी - Smachar

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जिस गुरु का शिष्य गुरु ना बन पाए वह गुरु अधूरा :श्री श्री सुदर्शन जी

जिस गुरु का शिष्य गुरु ना बन पाए वह गुरु अधूरा :श्री श्री सुदर्शन जी


पंजाब ब्यूरो (पठानकोट: पंकज शर्मा)

वर्ल्ड वाइड स्पेशल प्रीमियम "पास्ट प्रेजेंट फ्यूचर" श्री श्री ज्ञान विकास केंद्र के यूट्यूब चैनल पर स्थानीय वरिष्ठ सदस्य चाचा वेद प्रकाश ने किया लॉन्च*

"आर्ट ऑफ हैपिएस्ट लिविंग" टीम पठानकोट ने केक काटकर गुरुजी का मनाया जन्म दिवस

2011में वर्कशॉप से मिली एनर्जी को सामाजिक कार्यों में लगाने के लिए गुरु जी ने किया प्रेरित : संजीव महाजन

   श्री श्री ज्ञान विकास केंद्र, "आर्ट ऑफ हैपिएस्ट लिविंग" टीम पठानकोट द्वारा आज विशेष कार्यक्रम का आयोजन स्थानीय आयोजक एवं प्रवक्ता संजीव महाजन फॉलोअप विशेषज्ञ संजीव तूर और अजय नैयर की संयुक्त अध्यक्षता में गुरकरतार फार्म, सैली रोड में किया गया जिसमें गुरु करतार फार्म के कांट्रेक्टर अमित महाजन विशेष रूप से शामिल हुए। मेडिटेशन उपरांत ठीक 7:00 बजे श्री श्री ज्ञान विकास केंद्र के संस्थापक मास्टर्ज़ मास्टर ऑफ यूनिवर्स श्री श्री सुदर्शन जी के जन्म दिवस के शुभ अवसर विश्व भर में प्रदर्शित स्पेशल प्रीमियर "पास्ट प्रेजेंट फ्यूचर" श्री श्री ज्ञान विकास केंद्र के यूट्यूब चैनल पर पठानकोट में वरिष्ठ सदस्य चाचा वेद प्रकाश द्वारा लांच किया गया।

     प्रवक्ता संजीव महाजन ने बताया कि आज का दिन हमारे लिए हर्षित और उल्लास भरा है कि आज हमारे प्रिय गुरुजी जोकि अध्यात्मिक पुंज, एक महान सोच वाला, फिलॉस्फर, मोटिवेशनल गुरु, श्री श्री ज्ञान विकास केंद्र के संस्थापक और चमत्कारी आदियुग के रचनाकार, मास्टर्ज़ मास्टर ऑफ द यूनिवर्स श्री श्री सुदर्शन जी का आज जन्म दिवस है। उनका जन्म 28 जून को पंजाब के जालंधर शहर में हुआ। उनका शुरुआती जीवन संघर्षों से भरा रहा। 23 वर्ष की आयु में इनका विवाह श्री माताजी के साथ हुआ और इनके घर दो पुत्रों का जन्म हुआ। 1997 में श्री श्री रविशंकर जी इनकी जिंदगी में आए और उनका संपूर्ण जीवन अध्यात्म की ओर मुड़ गया। गुरुजी 1998 में मोन समाधि में चले गए। इनकी समाज के प्रति समर्पण और सेवा भावना ने 2002 में श्री श्री ज्ञान विकास केंद्र की स्थापना की। दिसंबर 2011 में गुरु जी ने कलयुग के सॉफ्टवेयर को अपने अध्यात्मिक ज्ञान, अनुभव और नए विचारो से "चमत्कारी आदियुग" की रचना करके संपूर्ण विश्व को एक नई दिशा दी। गुरु जी जो कि संसार में लाखों लोगों के मार्गदर्शक हैं। गुरु जी की प्रेरणा है कि संसार का दूसरा नाम परमात्मा है जब तुम संसार के लिए कुछ करते हो तो तुम परमात्मा के लिए ही वह काम करते हो ।। उनका कहना है कि कुदरत का नियम है जब तुम्हारे कारण कोई सुखी होगा तो तुम्हें उसका फल मिलेगा और अगर तुम्हारे कारण कोई दुखी होगा चाहे जाने या अनजाने में तब भी उसका फल तुम ही को मिलेगा उसके लिए दलील अपील का कोई काम नहीं।। गुरुजी ने कहा कि जिस गुरु का शिष्य गुरु ना बन पाए वह गुरु अधूरा और मैंने अपने गुरु के जिंदा रहते हुए गुरु बनकर गुरु को पूर्ण गुरु का दर्जा दिया है।

  प्रवक्ता संजीव महाजन ने कहा कि 2011 में गुरु जी के सानिध्य में सात दिवसीय वर्कशॉप के बाद उनकी प्रेरणा एवं मार्गदर्शन से वह स्वस्थ जीवन जी रहे हैं और असंख्य समाज सेवा के कार्यों से जुड़े हैं उन्होंने कहा कि केंद्र लोगों को योग और ध्यान के महत्व के बारे में जागरूक करने के लिए विभिन्न शहरों में सात दिवसीय वर्कशॉप का आयोजन करता है और यह आयोजन असंख्य लोगों के जीवन को बदलने में बहुत सफल रहे हैं।

 


इस अवसर पर सरबजीत तूर, रोजी गुप्ता, इंदु मेहरा, मीनाक्षी महाजन,भारती गुप्ता, नीतू ,अजय नैयर, पुनीत महाजन, तरसेम शर्मा, गगन सैनी, रमन, छिंदर, सुखदेव, सतिंदर, राकेश मेहता, सिकंदर, अमित चोपड़ा, रूपलाल, अमरजीत, पंकज आदि उपस्थित थे।।

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